राजनीति

राजस्थान: मंत्रिमंडल के ‘लालों’ पर भजन

 

राजस्थान विधानसभा चुनाव के परिणाम आए 26 दिन हो गए लेकिन भजन लाल शर्मा के मंत्रिमंडल के ‘लालों’ पर फैसला नहीं हो पाया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा व दोनों उपमुख्यमंत्री दीयाकुमारी व प्रेमचंद बैरवा को शपथ लिए भी 14 दिन बीत गए हैं। इसके बावजूद प्रदेश में मंत्रिमंडल का गठन नहीं होने से भाजपा व प्रदेश सरकार बैक फुट पर आ गई है। मंत्रिमंडल नहीं बनने को लेकर कांग्रेस बीजेपी पर लगातार हमला कर रही है। वहीं प्रदेश में लोगों को डबल इंजन की सरकार का बेसब्री से इंतजार हो रहा है। अब तो प्रदेश के आम लोगों के सब्र का बांध भी टूटने लगा है तथा लोग सवाल करने लगे हैं कि प्रदेश में आखिर मंत्रिमंडल का गठन क्यों नहीं हो पा रहा है।

प्रदेश में मंत्रिमंडल का गठन नहीं होने का मुख्य कारण केंद्रीय नेतृत्व को माना जा रहा है। लोगों का कहना है कि जब तक दिल्ली से नामों की अंतिम सूची पर मोहर नहीं लगेगी, तब तक मंत्रिमंडल का गठन नहीं होगा। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ दो उपमुख्यमंत्री भी बनाए गए थे। मगर अभी तक विभाग नहीं मिलने के कारण वह दोनों भी खाली बैठे हुए नजर आ रहे हैं।

जयपुर के राजभवन में पिछले एक सप्ताह से मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारी चल रही है। चर्चा है कि राजभवन में एक सप्ताह पूर्व ही नए मंत्रियों के शपथ ग्रहण के लिए पंडाल वगैरह बना दिए गए थे। मगर मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं होने के कारण पिछले एक सप्ताह से उनका किराया लग रहा है। राजस्थान में भाजपा से जीतने वाले विधायक भी मंत्री बनने के लिए अपनी लाविंग कर के थक चुके हैं। उनको भी लगने लगा है कि पता नहीं कितने दिन और लगेंगे मंत्रिमंडल विस्तार में।
हालांकि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने एक जनवरी से उज्जवला व बीपीएल परिवारों की महिलाओं को 450 रूपये में गैस सिलेंडर देने जैसे कुछ बड़े फैसले किए हैं। मगर जब तक मंत्रिमंडल का पूरी तरह गठन नहीं हो जाता तब तक सरकार की योजनाओं, नीतियों को गति नहीं मिल पाएगी है। मंत्रिमंडल के गठन के बाद ही जिलों के प्रभारी मंत्री लगाए जाएंगे। उसके बाद ही सरकारी ब्यूरोक्रेसी में फेरबदल होगा। मंत्रिमंडल विस्तार के अटक जाने से नई सरकार के गठन की पूरी प्रक्रिया भी रुकी हुई है।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा व दोनों उपमुख्यमंत्री दिल्ली जाकर पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह के साथ ही सभी वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं। उसके उपरांत भी दिल्ली से मंत्रिमंडल विस्तार की हरी झंडी नहीं मिल पाई है। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि वसुंधरा राजे के चलते भी मंत्रिमंडल विस्तार में देरी हो रही है।
वसुंधरा राजे अपने समर्थक कई विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल करवाना चाहती है। वहीं भाजपा आलाकमान वसुंधरा समर्थक कुछ गिने-चुने विधायकों को ही मंत्री बनाने पर सहमत है। जब तक वसुंधरा राजे अपने समर्थकों को मंत्री बनाने को लेकर संतुष्ट नहीं हो जाती हैं तब तक मंत्रिमंडल का विस्तार होना मुश्किल लग रहा है। वसुंधरा राजे को जिस तरह से मुख्यमंत्री पद की दौड़ से बाहर किया गया था, उसी तरह मंत्रिमंडल विस्तार में उनकी पूरी तरह से उपेक्षा नहीं की जा सकती है। वसुंधरा राजे को संतुष्ट करके ही मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा।

भजनलाल सरकार ने अशोक गहलोत सरकार द्वारा गठित सभी बोडर्, निगम, आयोग, समितियों को भंग कर उनके प्रदेश व जिला स्तरीय पदाधिकारी को हटा दिया है। मगर उनके स्थान पर नए लोगों को भी तब तक नियुक्त नहीं किया जाएगा, जब तक पूरा मंत्रिमंडल का गठन होकर मंत्रियों के विभागों का वितरण नहीं हो जाए। हालांकि राजस्थान में भर्ती परीक्षाओं में हुई धांधली की जांच को लेकर विशेष जांच दल का गठन कर दिया गया है। मगर राजस्थान लोक सेवा आयोग व राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड को भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए सरकार को उसके संविधान, नियमों में संशोधन करना होगा, जो मंत्रिमंडल गठन होने के बाद ही हो पाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी चुनावी जनसभाओं में प्रदेश में पेट्रोल व डीजल की कीमतों को अन्य पड़ोसी प्रदेशों के समकक्ष करने की बात भी जोर-जोर से उठाई थी। मगर मंत्रिमंडल का गठन नहीं होने से उस दिशा में भी अभी तक कोई काम नहीं हो पाया है। प्रदेश की जनता आज भी महंगा पेट्रोल, डीजल खरीद रही है। ऐसे में भाजपा आलाकमान को चाहिए कि राजस्थान मंत्रिमंडल का विस्तार जल्दी से जल्दी करवा दे, ताकि आमजन में पार्टी की जो नकारात्मक छवि बन रही है, वह समाप्त हो तथा आम आदमी के हित में नई सरकार काम शुरू कर सके। मंत्रिमंडल के गठन में जितनी देरी इस बार हो रही है, उतनी देरी राजस्थान के इतिहास में शायद कभी नहीं हुई। (हिफी)

(रमेश सर्राफ धमोरा-हिफी फीचर)

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