विविध

स्वागत भारतीय नव वर्ष 2081

 

दुनिया मंे सामान्य तौर पर पहली जनवरी को नया साल (न्यू इयर) मनाया जाता है लेकिन सभी देशों के अपने-अपने नये साल भी होते हैं। उनकी पौराणिक मान्यताएं हैं। इसी क्रम मंे हम भारतीयों का नया वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारम्भ होता है। इस गणना के तहत 9 अप्रैल मंगलवार से नव संवत्सर अर्थात भारतीय नव वर्ष मनाया जाता है। भारतीय नव वर्ष आदिशक्ति की उपासना अर्थात वासंतिक नवरात्र से प्रारम्भ होता है। पौराणिक आख्यानों के अनुसार शारदीय नवरात्र की आराधना के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने महा अहंकारी राक्षस राज रावण का दशमी के दिन वध किया था। वासंतिक नवरात्र की आराधना के बाद नवमी तिथि को भगवान राम ने मर्यादा की स्थापना और अत्याचार करने वालों का विनाश करने के लिए अयोध्या मंे राजा दशरथ के घर अवतार लिया था। इस प्रकार भारतीय नव वर्ष का पौराणिक ही नहीं प्राकृतिक महत्व भी है। यह मौसम वसंत का होता है जब पेड़-पौधे पुराने पत्ते त्याग कर नये पत्ते (किसलय) धारण करते हैं। भारतीय नव वर्ष को राजा विक्रमादित्य से भी जोड़कर देखा जाता है। उन्हांेने ही इस वर्ष का प्रारम्भ किया था। इसलिए इसे विक्रमी संवत भी कहते हैं। इसी दिन ब्रह्मा ने सृष्टि का आरम्भ किया था। भारतीय साल का राजा और मंत्री परिवर्तित होता रहता है। इस बार राजा मंगल और मंत्री शनि देव बताये जा रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राजा और मंत्री दोनों बहुत ही सशक्त हैं।

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 9 अप्रैल दिन मंगलवार को है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग में नव विक्रम संवत्सर-2081 और चैत्र नवरात्र की शुरुआत होगी। इस बार शुरू हो रहे संवत का नाम पिंगल है। इस साल ग्रह मंडल का राजा मंगल और मंत्री शनि होंगे। ज्योतिष विज्ञानियों के मुताबिक, इनके असर से कई क्षेत्रों में परेशानियां बढ़ेंगी, लेकिन रियल एस्टेट, सिनेमा, रंगमंच, शिक्षा व्यवस्था, नारी शक्ति और अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। ऑटोमोबाइल, तकनीक, दूरसंचार, कंप्यूटर, रोबॉटिक्स के लिहाज से भी यह नया साल शुभ होगा। ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल रात 11.52 बजे से 9 अप्रैल रात 8.33 बजे तक रहेगी। इस तरह उदया तिथि के मुताबिक नव संवत्सर 9 अप्रैल को शुरू होगा। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग रहेंगे। इस दिन नए वर्ष के पंचांग का पूजन कर वर्षफल सुना जाता है। निवास स्थानों पर ध्वजा और बंदनवार लगाए जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन नीम के नए कोमल पत्तों, जीरा, काली मिर्च, हींग, नमक पीसकर खाने से वर्ष भर अरोग्यता रहती है। ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि नए संवत्सर 2081 में ग्रह मंडल का राजा मंगल और मंत्री शनि है। ग्रह मंडल में सस्येश मंगल, धान्येश चंद्र, रसेश गुरु, नीरसेश मंगल, मेघेष शनि, फलेश शुक्र, धनेश मंगल और दुर्गेश शनि भी होंगे। इनमें सात स्थानों पर क्रूर ग्रहों का अधिकार होगा और बाकी तीन स्थान सौम्य ग्रह को मिले हैं। राजा सहित कुल चार विभाग अकेले मंगल के अधीन हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मंगल और शनि दोनों बहुत प्रचंड हैं। इससे मंगल के कारण जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली स्थिति बनेगी। वहीं, शनि के कारण अपनी करनी की सजा भी पाएंगे।

ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि नवसंवत्सर के प्रवेश की लगन धनु होने से गुरु पंचम त्रिकोण में मित्र राशि में है। इससे सत्ता में बैठे व्यक्ति की बुद्धिमत्ता से परिस्थितियों का समाधान निकलेगा। इसके साथ भारत की सैन्य ताकत बढ़ेगी। वहीं, राजनीतिक उथल-पुथल रहेगी। तूफान, भूकंप, प्राकृतिक आपदा से जन-धन की हानि की आशंका है। इसके साथ पृथ्वी का तापमान बढ़ेगा। झुलसा देने वाली गर्म हवाओं से पशु-पक्षी, फल-फूल, वनस्पतियों को नुकसान होगा।
सनातन परंपरा के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नव वर्ष का आरंभ होता है। ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही सृष्टि का निर्माण हुआ था। अथर्ववेद में भी इस बात का संकेत मिलता है।

कुछ ज्योतिषियों का यह भी मानना है कि एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक वार नहीं बदलता इसलिए 8 अप्रैल को सोमवार रहेगा और सोमवार का वारेश चंद्र है इसलिए वर्ष का राजा चंद्र होगा।चूंकि नव संवत्सर की शुरुआत 8 अप्रैल को देर रात्रि में हो रही है इसलिए शक्ति साधना के लिए नवरात्र की शुरुआत 8 तारीख से न होकर 9 अप्रैल प्रातः काल से की जाएगी। 9 अप्रैल प्रातः काल से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होगी और 8 अप्रैल को रात्रि 11: 50: 44 बजे से चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की शुरुआत होगी।सूर्य के मेष राशि में प्रवेश के अनुसार वर्ष का मंत्री नियुक्त होता है। इसके अनुसार इस वर्ष का मंत्री शनि होगा। हिंदू नव वर्ष 2024 का राजा चंद्र और मंत्री शनि होगा। चंद्र और शनि दोनों एक दूसरे से भिन्न प्रकृति एवं प्रवृति के ग्रह हैं। वर्ष प्रतिपदा की कुंडली में केतु को छोड़कर अन्य सभी ग्रह सिर्फ 65 डिग्री के अंशात्मक दूरी में होंगे। वर्षेश चंद्र जलीय राशि में जलीय ग्रह शुक्र के साथ साथ सूर्य और राहु के साथ नजदीकी संबंध में होगा।राजा चंद्र का मीन राशि, रेवती नक्षत्र में, सूर्य, राहु और शुक्र के साथ होगा और मंत्री शनि स्वराशि कुंभ राशि, वायु तत्व राशि में मंगल के साथ होगा।

बुध मेष राशि, अग्नि तत्व राशि में वक्री और गंडांत में गुरु के साथ होगा। इसपर वैसे शनि की दृष्टि होगी जो मेष के मालिक मंगल के साथ होगा।वर्ष प्रतिपदा के दिन ही यानि 8 अप्रैल को सूर्य ग्रहण भी है जो अमेरिका, मेक्सिको, कनाडा में पूर्ण एवं पश्चिमी यूरोप, ग्वाटेमाला, ऐलसालवाडोर, निकारागुआ, पुर्तगाल, आयरलैंड आदि जगहों में आंशिक रूप में देखा जायेगा। राजा चंद्र की अपेक्षा मंत्री शनि की स्थिति मजबूत होना तथा ग्रहों का आपस में जिस प्रकार का संबंध तैयार हो रहा है वह इस संकेत दे रहे हैं कि अमेरिका में राजनैतिक उथल पुथल की स्थिति के साथ साथ वैश्विक मंच पर उसकी स्थिति पहले से और कमजोर हो सकती है। पश्चिमी यूरोप में भी राजनैतिक उथल पुथल संभव है। देश, काल का समर्थन प्राकृतिक आपदा के साथ साथ जलवायु परिवर्तन के लिए अनुकूल भूमि प्रदान कर रहे हैं और हिमालयन रेंज में भूकंप की स्थिति बनेगी।

लंबी अवधि तक चलनेवाली गर्मी की वजह से हिन्दूकुश रेंज में बाढ़ की स्थिति तो बनेगी ही साथ ही साथ जल संकट की स्थिति बनेगी। इस वर्ष अपने जीवन से हर एक ऐसे शब्द को निकाल फेंकिए जो आपके प्रगति पथ में बाधक हैं या आपके भीतर नकारात्मक विचारों के संवाहक हैं। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button