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जानलेवा भी हो सकता है बर्थडे केक

 

जी हां यदि आपके घर-परिवार में आपका या किसी जिगर के टुकड़े का बर्थडे सेलीब्रेशन होना है और उस के लिए बर्थडे केक काटना है तो अच्छी तरह केक की क्वालिटी और निर्माण यूनिट की गुणवत्ता को सुनिश्चित कर लीजिए। कहीं ऐसा न हो कि यह केक खराब मैटेरियल और असुरक्षित गंदगी युक्त स्थान पर फूड सेफ्टी के तमाम बेसिक नियमों को ताक पर रखकर बनाया गया हो अथवा असुरक्षित गंदे हाथों से पैकिंग कर आपके परिवार तक डिलीवर किया गया हो और आपके व परिवार के जीवन के लिए खतरा बन जाए। हाल ही में पंजाब के पटियाला शहर में एक 10 साल की बच्ची की केक खाने के बाद मौत हो गई। दरअसल पटियाला के अमन नगर इलाके में रहने वाली 10 साल की बच्ची मानवी का 24 मार्च को जन्मदिन था। इस मौके पर उसकी मां काजल ने जोमैटो पर कान्हा फर्म से केक मंगवाया। रात को परिवार के सभी लोगों ने जन्मदिन मनाया और केक खाया। केक खाने के बाद मानवी की तबीयत बिगड़ गई जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां इलाज के दौरान मानवी की मौत हो गई। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में मानवी अपनी मौत से कुछ घंटे पहले अपने परिवार के साथ केक काटती और जश्न मनाती नजर आ रही है।लड़की के दादा ने कहा कि 24 मार्च को शाम 7 बजे उसका जन्मदिन मनाया। उस रात 10 बजे तक पूरा परिवार बीमार पड़ गया। दोनों छोटी बेटियों को उल्टियां होने लगीं। सौभाग्य से सबसे छोटी बेटी प्रेमन उल्टी करने के बाद बच गई। मानवी की तबीयत बिगड़ने पर उसे अस्पताल ले गए लेकिन बचाया नहीं जा सका। परिवार के अनुसार, ‘केक कान्हा’ बेकरी से ऑर्डर किया गया था।

बताया गया है कि केक खाने के बाद से ही बच्ची को बेहद प्यास लगने लगी थी और उसका मुंह सूख रहा था, वहीं उसकी छोटी बहन को उल्टियां होने लगी थीं। हालांकि, इसके बाद वह रात को सो गई, लेकिन अगले दिन सुबह के समय उसकी हालत और बिगड़ गई, जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। मृत्यु की वजह प्वाइजन फूड बताई जा रही है।डॉक्टर्स का कहना है कि उस बच्ची की छोटी बहन की जान इसलिए बच गई क्योंकि उसे उल्टी हो गई थी, जिससे उसके भीतर से कंटैमिनेटेड फूड बाहर आ गया था, लेकिन बर्थडे गर्ल मानवी को नहीं बचाया जा सका।

इस मामले में ऑनलाइन फूड डिलीवरी ऐप जोमैटो ने भी घटना पर दुख जताते हुए इस फर्म को अपनी लिस्ट से बाहर कर दिया है। लेकिन यह कार्रवाई बेहद सूक्ष्म और शिथिल मालूम पड़ती है जोमैटो जैसे बड़े प्लेटफार्म देश के छोटे बड़े शहरों तक अपने व्यापार सेवा को विस्तार दे रहे हैं क्या उनके लिए यह जरूरी नहीं है कि वह किस उत्पादन व उत्पादक का सामान डिलीवरी कर रहे हैं। उसको एप पर रजिस्टर करने से पहले उस यूनिट की पंजीकृत ट्रेड होने व अस्तित्व में होने की पुष्टि कराएं। इस मामले में जोमैटो को भी पक्षकार बना कर कार्यवाही की जानी चाहिए।

पुलिस मामले की विवेचना करने के बाद भी केक सप्लायर कंफैकशनरी का पता लगाने में सफल नहीं हो सकी लेकिन बच्ची के परिवार ने इसको ढूंढ लिया। एक ओर पुलिस जहां इस मामले की जांच पड़ताल में लगी हुई थी तो वहीं दूसरी ओर मानवी की मौत के बाद उसके परिजनों ने अपनी समझबूझ दिखाते हुए वापस से उसी फार्म से एक केक आर्डर किया जहां से उन्होंने मानवी के बर्थडे के लिए किया था। 30 मार्च को फिर जोमैटो के जरिए उन्होंने कान्हा फर्म के जरिए केक मंगवाया और जब डिलीवरी एजेंट केक डिलीवर करने पहुंचा तो उसे पकड़ लिया।

गौर करने वाली बात यह है कि जोमैटो के स्टोर का एड्रेस फर्जी निकला है। जब मानवी की मौत के बाद उसके परिजनों ने केक भेजने वाले कान्हा फॉर्म के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई तो जांच में पता चला कि वह फर्जी फर्म है और जोमैटो के ऑनलाइन स्टोर पर लिखा हुआ एड्रेस फेक है और असल में उस एड्रेस पर कोई दुकान ही नहीं है। जब पुलिस को इस बात की जानकारी दी गई तो डिलीवरी एजेंट के साथ पुलिस केक भेजने वाली दुकान पर पहुंची तो पता चला कि कान्हा फर्म फर्जी था और केक न्यू इंडिया बेकरी से भेजा गया था। इस दौरान केक से मौत होने के बाद सभी परिजनों ने बचे हुए केक को फ्रिज में संभाल कर रख दिया ताकि उसे जांच के लिए भेजा जा सके। इस मामले में मैनेजर समेत 3 कर्मचारियों की गिरफ्तारी की गई है।

पुलिस के मुताबिक न्यू इंडिया बेकरी के मालिक ने ही कान्हा फर्म नाम से एक और बेकरी रजिस्टर्ड करा रखी थी और जोमैटो पर डिलीवरी के लिए इसी नाम का इस्तेमाल करता था। इस घटना को लेकर सिटी एसपी ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ आईपीसी धारा 304 के तहत मामला दर्ज किया गया है। बेकरी के कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि बेकरी का मालिक फरार है जिसकी तलाश जारी थी।

पीड़ित परिवार का आरोप है कि मामले में एफआईआर भी बच्ची की मौत के 5 दिन बाद दर्ज की गई थी। परिवार ने यह भी कहा है कि स्वास्थ्य विभाग ने उनकी बिल्कुल भी मदद नहीं की फिलहाल मृत बच्ची के विसरा की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। उससे काफी हद तक मामले की सच्चाई सामने आ सकती है।

बहरहाल आपको बता दें कि फूडपॉइजनिंग खराब बासी या फंगल विषैला खाना या द्रव्य के सेवन की वजह से होता है। खाने में कोई हानिकारक बैक्टिरिया, वायरस, फंगस या कोई जहरीला पदार्थ मौजूद होने की वजह से फूड पॉइजनिंग होती है।लब्ध प्रतिष्ठ डॉ प्रज्ञा अग्रवाल के अनुसार फूड पॉइजनिंग आमतौर पर तब होता है, जब खाना बासी हो, गंदगी में बनाया गया हो, फलों और सब्जियों को अच्छे से धोया न गया हो, गंदे हाथों से खाने को छूना या खाना, अच्छे से पकाया न गया हो या सही तरीके से स्टोर न किया गया हो। शरीर में कंटैमिनेटेड खाना जाने की वजह से शरीर उस टॉक्सिन को बाहर निकालने की कोशिश करता है, जिस कारण फूड पॉइजनिंग के लक्षण नजर आने शुरू होते हैं।आमतौर पर, यह एक से दो दिन में ठीक हो जाता है, लेकिन कुछ मामलों में यह गंभीर रूप ले लेता है, जिसका वक्त पर इलाज न मिलने पर जान जाने का जोखिम भी रहता है। यह समस्या बच्चों, प्रेग्नेंट महिला और बुजुर्गों के लिए खतरनाक हो सकती है। उनके अनुसार कई बार एक पेय या खाद्य पदार्थ के तुरंत बाद विषम प्रभाव वाले पेय या खाद्य पदार्थ का सेवन भी खतरनाक हो सकता है। इसलिए संकेत मिलते ही डाॅ से परीक्षण कराना चाहिए। देरी जानलेवा हो सकती है। बहरहाल सावधान रहें, सचेत रहे तभी घर से बाहर बने किसी भोजन का उपयोग करें। (हिफी)

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)

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