लेखक की कलम

योगी की लोकप्रियता साबित

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

  •   विधानसभा के साथ विधान परिषद में भी भाजपा को मिला बहुमत
  •  40 साल पहले कांग्रेस को मिला था दोनों सदनों में बहुमत
  •  9 सीटों पर भाजपा प्रत्याशी निर्विरोध जीते

उत्तर प्रदेश मंे विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) के चुनाव मंे भाजपा ने एक बार फिर विपक्षी दलांे को धराशायी कर दिया है। इस बार तो सपा का पूरी तरह सफाया हो गया है। विधान परिषद सदस्यों के चुनाव मंे पार्षद, प्रधान, जिला पंचायत सदस्य जैसे विभिन्न स्तर के जनप्रतिनिधि मत देते हैं। इसलिए योगी आदित्यनाथ ने यह साबित कर दिया कि हाल में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव मंे उनकी पार्टी को 254 विधायक यूं ही नहीं मिल गये। सरकार की लोकप्रियता के चलते ही योगी की लगातार दूसरी बार प्रचण्ड बहुमत से सरकार बनी और अब विधान परिषद के सदस्य भी चुने गये हैं। इन चुनावों मंे 9 सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी निर्विरोध जीत हासिल कर चुके थे। इसके बाद 27 सीटों के लिए गत 9 अप्रैल को मतदान हुआ था। इसका परिणाम 12 अप्रैल को आया है। तीन सीटों पर निर्दलीय जीते हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव को आजमगढ़ मंे गहरी निराशा हुई है जहां से उन्हांेने संसदीय सीट खाली की है। इस सीट पर अब उपचुनाव होना है। यहां से विधान परिषद चुनाव मंे भाजपा से निष्कासित यशवंत सिंह के बेटे विक्रांत सिंह रिशु ने जीत हासिल की है। योगी को इस बात का भी श्रेय मिलेगा कि पहली बार भाजपा को विधानसभा के साथ विधान परिषद मंे भी बहुमत हासिल हुआ है। इससे पूर्व 1982 मंे कांग्रेस को दोनों सदनों मंे बहुमत मिला था।
उत्तर प्रदेश विधान परिषद की 36 में से 27 सीटों के लिए 9 अप्रैल को हुए मतदान के लिए मंगलवार (12 अप्रैल) को मतगणना हुई। मतों की गिनती सभी 27 जिलों के कलेक्ट्रेट पर सुबह 8 बजे से शुरू हो गई। सभी सीटों पर मुख्य मुकाबला बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच रहा। चुनाव 36 सीटों पर होने थे, लेकिन 9 सीटों पर बीजेपी के प्रत्याशी निर्विरोध चुने गए हैं। लिहाजा 27 पर वोटिंग हुई। 9 अप्रैल को आगरा-फिरोजाबाद, मुरादाबाद- बिजनौर, रामपुर-बरेली, गोरखपुर- महाराजगंज, पीलीभीत- शाहजहांपुर, सीतापुर, लखनऊ-उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, बाराबंकी, बहराइच, आजमगढ़-मऊ, गाजीपुर, जौनपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, झांसी-जालौन- ललितपुर, इटावा- फर्रुखाबाद, गोंडा, फैजाबाद, कानपुर-फतेहपुर, मेरठ-गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर- सहारनपुर, बलिया, बस्ती-सिद्धार्थनगर और देवरिया में वोटिंग हुई थी। इन सीटों पर 96 कैंडिडेट मैदान में थे। आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि स्थानीय निकाय प्राधिकार क्षेत्र के इस चुनाव में सत्ता पक्ष की ही जीत होती है। 2004 में मुलायम सिंह यादव जब मुख्यमंत्री थे तब सपा 36 में से 24 सीटों पर जीती थी। इसके बाद 2010 में मायावती के शासनकाल में बसपा ने 36 में से 34 सीटों पर कब्जा किया था। अखिलेश के समय भी कुछ नहीं बदला था, 2016 में अखिलेश की समाजवादी पार्टी ने भी 36 में से 31 सीटें जीती थीं।
इसी वर्ष अर्थात् 2022 के विधानसभा चुनावों में 274 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत में आई भाजपा ने 9 सीटें तो बिना लड़े ही अपने पाले में कर ली थीं। मतगणना के समय सियासी जानकारों का मानना था कि दो सीटों को छोड़कर जहां कांटे की टक्कर मानी जा रही है, वहीं, इस चुनाव में 34 सीटें भाजपा के खाते में जाती हुई दिखाई दे रही हैं। सबसे चैंकाने वाला मामला आजगढ़ में रहा। विधानसभा चुनाव में आजमगढ़ की सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली समाजवादी पार्टी को अपने ही गढ़ में बड़ा झटका लगा है। यूपी विधान परिषद चुनाव में आजमगढ़ सीट पर समाजवादी पार्टी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। मंगलवार को आए परिणाम में बीजेपी से 6 साल के लिए निष्कासित यशवंत सिंह के बेटे विक्रांत सिंह रिशु ने बीजेपी के अरुण कांत यादव को हराकर जीत दर्ज की। सपा के राकेश कुमार यादव उर्फ गुड्डू तीसरे नंबर पर रहे। विक्रांत सिंह रिशु को 4075 वोट प्राप्त हुए, जबकि सपा विधायक रमाकांत यादव के बेटे अरुण कांत यादव पर दांव खेलने वाली बीजेपी को 1262 मत प्राप्त हुए। तीसरे नंबर पर रहे सपा के राकेश उर्फ गुड्डू को 356 वोट प्राप्त हुए। निर्दलीय अम्ब्रीश कुमार विजयंता के 13 और सिकंदर कुशवाहा को तीन मत प्राप्त हुए। कुल 36 सीटों में से समाजवादी पार्टी को एक भी सीट हासिल नहीं हुई है। बीजेपी की 33 सीटों पर जीत मिली। पूर्व मंे 9 सीटों पर निर्विरोध जीत दर्ज करने वाली बीजेपी ने जिन 27 सीटों पर मतदान हुए थे उसमें से 24 सीटों पर जीत हासिल की। इस तरह उसे 36 में से 33 सीटों पर जीत हासिल हुई। लिहाजा विधानसभा के साथ ही अब विधान परिषद में बीजेपी को प्रचंड बहुमत हासिल हो गया। ऐसा 40 बाद हुआ है जब किसी पार्टी को दोनों सदनों में बहुमत मिला हो। इससे सरकार को किसी भी बिल और विधेेयक को पारित करवाने में आसानी होगी। तीन सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी की जीत हुई है। आजमगढ़ के अलावा वाराणसी में निर्दलीय प्रत्याशी अन्नपूर्णा सिंह तो प्रतापगढ़ सीट से जनसत्ता दल लोकतान्त्रिक के अक्षय प्रताप सिंह की जीत हुई है।
आजमगढ़ से निर्दलीय विक्रांत सिंह रिशु, गाजीपुर से विशाल सिंह चंचल, बस्ती से सुभाष यदुवंश, सहारनपुर से वंदना वर्मा मेरठ-गाजियाबाद से धर्मेंद्र भरद्वाज, सीतापुर से बीजेपी के पवन सिंह चैहान और अयोध्या से बीजेपी के हरिओम पांडेय की जीत हुई है। वाराणसी सीट से जेल में बंद बाहुबली बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज की है। उन्होंने बीजेपी के डॉ सुदामा पटेल को हराया। आगरा-फिरोजाबाद सीट से बीजेपी के विजय शिवहरे और गोरखपुर से बीजेपी के सीपी चंद, बहराइच से बीजेपी की प्रज्ञा तिवारी, जौनपुर से बीजेपी के बृजेश सिंह प्रिंशु, रायबरेली से बीजेपी के दिनेश प्रताप सिंह, लखनऊ से बीजेपी के रामचंद्र प्रधान, बाराबंकी से बीजेपी के अंगद कुमार सिंह, फतेहपुर-कानपुर से बीजेपी केअविनाश सिंह चैहान, गोंडा से बीजेपी के अवधेश कुमार, सुल्तानपुर से बीजेपी के शैलेन्द्र सिंह, बलिया से बीजेपी के रविशंकर सिंह, फर्रुखाबाद से बीजेपी के प्रांशु दत्त द्विवेदी, झांसी-जालौन-ललितपुर सीट से बीजेपी के रमा निरंजन, प्रयागराज-कौशाम्बी सीट से बीजेपी के डॉ केपी श्रीवास्तव, पीलीभीत-शाहजहांपुर सीट से बीजेपी के सुधीर गुप्ता और देवरिया से बीजेपी के डॉ. रतन पाल सिंह की जीत हो चुकी है। प्रतापगढ़ सीट से जनसत्ता दल के प्रत्याशी अक्षय प्रताप उर्फ गोपाल एमएलसी के चुनाव में विजयी हुए हैं। उन्होंने बीजेपी के हरिप्रताप सिंह को हराया। इस प्रकार विधानसभा के बाद विधान परिषद में भी योगी का डंका बजा है। (हिफी)

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