स्वास्थ जगत

कंपकंपी छुड़ा रहा चीनी निमोनिया

 

कोरोना का संक्रमण बच्चों में नगण्य पाया गया था। वर्तमान स्थिति को लेकर चीन ने दुनिया को कहा है कि चिंता की कोई बात नहीं है, वह इस वायरस को लेकर सतर्क है और तमाम कोशिशें कर रहा है कि वायरस का खात्मा किया जा सके, पर चीन के उत्तरी क्षेत्रों में इसी महीने जब इंफ्लुएंजा जैसी इस बीमारी का फैलाव हुआ तो चीन ने इसे दुनिया के साथ साझा नहीं किया। चीन यह भी नहीं बता रहा कि इसकी रोकथाम के उसने क्या कदम उठाए और उनके क्या नतीजे मिले।

कोरोना की दूसरी लहर याद है? क्या एक बार फिर चीन दुनिया के लिए खतरनाक बीमारी का उद्गम स्थल बन रहा है? भारत के पड़ोसी देश चीन में एक बार फिर हाहाकार मचा हुआ है। यहां रहस्यमयी निमोनिया कहे जा रहे इन्फ्लूएंजा वायरस के सब-टाइप एच9एन2 का प्रकोप दिखाई पड़ रहा है। कई अन्य देशों में भी इस वायरस के मामले सामने आए हैं। इसकी चपेट में कोविड-19 महामारी से किसी तरह बचे रह गए छोटे बच्चे आ रहे हैं, ऐसे में चीन से आए कोरोना को झेलने के बाद भारत में इस बीमारी के संक्रमण को लेकर भी खतरे की संभावना जताई जा रही है लेकिन क्या सचमुच अब भारत के बच्चों पर बीमारी का खतरा मंडरा रहा है? क्या यह बीमारी चीन के बाद अन्य देशों और भारत में भी फैलने जा रही है? एक बार कोरोना की बीमारी से करोड़ों जान गंवा चुका विश्व आज फिर इस सवाल के मुद्दे पर उलझ रहा है। दरअसल कोरोना 19 के रूप में चीन ने दुनिया को ऐसी बीमारी का संकट दिया जिस की आहें सदियों तक मानवीय समाज की रगों को दुखाती रहेंगी। अब इन दिनों चीन में फैल रही रहस्यमयी बीमारी को लेकर एक बार फिर दुनिया के शीर्ष संगठन और देश परेशान हैं। कोरोना महामारी चीन से ही दुनिया भर में फैली थी। इस कारण दहशत का वातावरण अधिक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन से लेकर अमेरिका, रूस जैसे देश भी चीन से इस वायरस को लेकर जानकारी मांग चुके हैं लेकिन अब तक चीनी शासकों ने कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया है। यह चीन की हद दर्जे की लापरवाही है।पूर्व में भी चीन ने ऐसा ही किया था विश्व स्वास्थ्य संगठन के तमाम गाइडलाइंस को धता बता कर कोरोना के मामले में भी चीनी सरकार ने दुनिया को अँधेरे में रखा था। नतीजा सबने भुगता।

जानकारी मिली है कि चीन के उत्तर-पूर्वी इलाके में स्थित लियाओनिंग प्रांत और बीजिंग के बच्चों में निमोनिया के नए और हैरान करने वाले लक्षण देखे गये। बच्चों को खांसी, बुखार और फेफड़ों में सूजन की समस्या हो रही है, जिससे इलाके के सभी अस्पताल लगभग भर गए हैं। इस बीमारी के प्रकोप को देखते हुए चीन के सभी स्कूलों को बंद करने का फैसला ले लिया गया है।चीन में फैल रही बीमारी खासतौर पर बच्चों को निशाना बना रही है, यह और चिंताजनक बात है। यह गंभीर और तीव्र सांस संबंधी बीमारी है या निमोनिया की नई किस्म अथवा कोरोना वायरस की ही नई नस्ल है, फिलहाल कुछ भी निश्चित नहीं है। चीन में औसतन 7000 मामले हर रोज सामने आ रहे हैं। यदि यह निमोनिया है और बच्चों में सांस संबंधी बीमारी बढ़ रही है, तो चिकित्सक इसे सामान्य अवस्था नहीं मान रहे। कोरोना वायरस के संदर्भ में भी चीन ने ईमानदार घोषणा नहीं की थी और लंबे अंतराल तक सिर्फ कयास ही लगते रहे। विश्व स्वास्थ्य संगठन आज तक इसकी पुष्टि नहीं कर पाया है कि कोरोना वायरस चीन की प्रयोगशाला में तैयार किया गया अथवा प्राकृतिक रूप से ही फैला था अथवा जैविक अस्त्र का कोई रूप था, पर वैश्विक महामारी का वह दौर अत्यंत भयावह और बेहद त्रासदी भरा था। भारत में ही 5.5 लाख मौतें हुई थीं। यह सरकारी आंकड़ा है हालांकि गैर सरकारी सूत्रों के अनुसार मृतकों की यह तादाद दस गुना अधिक थी । गैर- सरकारी संगठन और कुछ पश्चिमी देशों के बड़े अखबारों ने यह संख्या करीब 50 लाख आंकी थी। दुनिया में करोड़ों लोगों की मौतें हुई, उन आंकड़ों का विश्लेषण करने के लिए किसी के पास समय नहीं है। ध्यान रहें ऐसी महामारी एक सदी के बाद आयी थी।

अब नयी बीमारी आहट दे चुकी है। चीन में निमोनिया के जो लक्षण बताए जा रहे हैं और प्रसार जिस तरह हो रहा है, वो कमोबेश कोरोना सरीखा नही उससे अधिक खतरनाक मालूम पड़ता हैं, लिहाजा भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य सरकारों और संघ शासित क्षेत्रों को गाइडलाइंस भेजी हैं कि वे अपनी स्वास्थ्य सेवाओं की तुरंत समीक्षा करें। अस्पतालों में बिस्तर, दवाएं, इंफ्लुएंजा के टीके, मेडिकल ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, एंटीबायोटिक्स, टेस्टिंग किट्स आदि की व्यवस्थाएं दुरुस्त कर लें। कोविड-19 के लिए जारी किए गए संशोधित निगरानी दिशा-निर्देशों को भी लागू करें। इससे बीमारी की एकीकृत निगरानी हो सकेगी। हालांकि परामर्श में यह स्पष्ट किया गया है कि चीन के वायरस का मनुष्य से मनुष्य में संक्रमण या संचार देखने में नहीं आया है। चीनी वायरस के निशाने पर बच्चे हैं, इस संदर्भ में यह कोरोना से भिन्न लगता है, क्योंकि कोरोना का संक्रमण बच्चों में नगण्य पाया गया था। वर्तमान स्थिति को लेकर चीन ने दुनिया को कहा है कि चिंता की कोई बात नहीं है, वह इस वायरस को लेकर सतर्क है और तमाम कोशिशें कर रहा है कि वायरस का खात्मा किया जा सके, पर चीन के उत्तरी क्षेत्रों में इसी महीने जब इंफ्लुएंजा जैसी इस बीमारी का फैलाव हुआ तो चीन ने इसे दुनिया के साथ साझा नहीं किया। चीन यह भी नहीं बता रहा कि इसकी रोकथाम के उसने क्या कदम उठाए और उनके क्या नतीजे मिले। फिर भी वह शेष दुनिया को तसल्ली दे रहा, कोरोना में भी बुनियादी वायरस ऐसा ही था, जिसके प्रभाव से औसत संक्रमित व्यक्ति की सांस उखड़ती थी। चीन को दनिया के हित में इस बीमारी को लेकर हर पहलू की जांच होनी चाहिए।

आश्चर्य है कि चीन में बच्चों में सांस से संबंधित बीमारी माइक्रो प्लाज्मा निमोनिया और इन्फ्लूएंजा फ्लू के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी सभी देशों को अलर्ट जारी किया है। इसके बाद भारत सरकार ने भी देश में निगरानी बढ़ाने के दिशा निर्देश दिए हैं। केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के बाद हरियाणा, राजस्थान जैसे कई राज्य सरकारें पहले ही अलर्ट मोड पर आ चुकी हैं। अब उत्तराखंड सरकार भी इसको लेकर सतर्क हो गई है। धामी सरकार ने इस बीमारी को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

सवाल यह है कि आखिर आज भी दुनिया चीन के घातक कारनामों के खिलाफ मुखर क्यों नहीं है? कोरोना को लेकर की गयी जांच तकरीबन चीन की करतूत के करीब पहुंचने के बावजूद बेनतीजा क्यों है? क्या तमाम वैश्विक संगठन सिर्फ कागजी और अशक्त गरीब मुल्कों पर दादागिरी दिखाने के लिए है? चीन और अमेरिका के खिलाफ ये संगठन पूछ हिलाते नजर आते हैं। सवाल यह है कि क्या एक और पेनडमिक का सामना करना विश्व की मजबूरी होगी? समय रहते इस मुसीबत से मुकाबले के लिए तैयारी कर लेनी चाहिए। हाल ही में यूपी की योगी सरकार के स्वास्थ्य विभाग को दिए गए निर्देश इशारा करते हैं कि मुसीबत दरवाजे के करीब है। जरूरत इस बात की है कि बाकी राज्य सरकारें भी केंद्र के परामर्श को गंभीरता से लेते हुए समय रहते तैयारी शुरू करें। (हिफी)

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)

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