प्रेरणास्पद लघुकथा 

  ☆ आग ☆

पेट की आग ज्यादा जला रही थी मैडम।

                                     मानवीय संवेदनाओं पर आधारित  एक विचारणीय लघुकथा आग। 

                                                                               ☆ आग ☆

तपती धूप में वह नंगे पैर कॉलेज आता था । एक नोटबुक हाथ में लिए चुपचाप आकर क्लास में पीछे बैठ जाता। क्लास खत्म होते ही  सबसे पहले बाहर निकल जाता। मेरी नजर उसके नंगे पैरों पर थी। पैसेवाले घरों की लडकियां गर्मी में सिर पर छाता लेकर चल रही हैं और इसके पैरों में चप्पल भी नहीं। एक दिन वह सामने पडा तो मैंने बिना उससे कुछ पूछे चप्पल खरीदने के लिए पैसे दिए। उसने चुपचाप जेब में  रख लिए।

दूसरे दिन वह फिर बिना चप्पल के दिखाई दिया। अरे! पैर नहीं जलते क्या तुम्हारे ?  चप्पल क्यों नहीं खरीदी ? मैंने पूछा।  बहुत धीरे से उसने कहा  – पेट की आग ज्यादा जला रही थी मैडम।

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