विचित्र है सर्पों की दुनिया

(श्रेष्ठा कपूर-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
मनुष्यों की एक प्रजाति भी नागवंश कहलाती थी। इन नागों को देवत्व भी प्राप्त था। सर्पों की माता सुरक्षा ने सीता माता की खोज के लिए लंका जाते समय हनुमान जी की परीक्षा ली और ‘राम काज सब करिहउ तुम्ह बल बुद्धि निधान का आशीर्वाद भी दिया था। सर्प उड़ते हैं और उनके पास ऐसी मणि होती है जो सूर्य के समान प्रकाश बिखेरती है। इस तरह की कितनी ही कहानियां प्रचलित हैं। अभी छत्तीसगढ़ मंे एक विचित्र सांप मिा जिसके दो मुंह और चार आंखें हैं। हमारे देश मंे सांपों की अनगिनत प्रजातियां हैं जिनमंे आधा दर्जन बेहद जहरीले माने जाते हैं।
छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में बेहद दुर्लभ और खास प्रजाति का सांप मिला है। स्थानीय लोगों का दावा है कि सांप के एक नहीं दो मुंह थे। इसकी दो नहीं चार आंखें थी। इस अनोखे सांप को देखने लोगों की भीड़ लग गई। गांव वाले सांप को चमात्कार मानकर इसकी पूजा भी करने लगे। दरअसल गुरुवार को बलौदा वन परिक्षेत्र के ग्राम शनिचरीडीह में स्थानीय लोग अपने रोजमर्रा के कार्यों में लगे हुए थे। इसी दैरान अचानक गांव के रहने वाले एक शख्स के आंगन ने लोगों ने ऐसा सांप देखा कि हैरान रह गए। पहले तो लोग समझ ही नहीं पाए कि यह जीव है क्या। लोगों ने देखा कि यह जीव सांप की तरह रेंग रहा है। फिर लोगों को समझ आया कि यह एक दुर्लभ प्रजाति का सांप है। लोगों ने पास जाकर देखा तो पता चला कि यह दो मुंह वाला सांप है। उसकी चार आंखें थी। सांप को देखकर लोग हैरान रह गए। धीरे-धीरे अनोखा सांप मिलने की बात पूरे गांव में फैल गई। फिर कई लोग उसे देखने के लिए दोड़ पड़े। दुर्लभ किस्म के सांप के मिलने की खबर अचानक पूरे गांव में फैल गई। सुनते ही लोग अनोखे सांप को देखने दौड़ पड़े। धीरे-धीरे लोगों की भीड़ जमा हो गई। लोग सांप को भगवान का रूप मानने लग गए। कुछ लोग इसकी पूजा करने लगे। जानकारों की मानें तो यह सांप सैंड बोवा प्रजाति का है। छत्तीसगढ़ के स्थानीय भाषा में इसे मुसलेड़ी कहते हैं। इसका आकार बाकि सांपों से छोटा होता है। जानकारों की मानें तो दो मुंह वाला सांप दुर्लभ प्रजाति का माना जाता है। यह काफी धीरे-धीरे चलता है। इस वजह से जल्दी शिकार हो जाता है। आम तौर पर यह लोगों के बीच दिखाई नहीं देता। इसका जीवन काल भी काफी छोटा होता है। यह जहरीले सांप में नहीं आता।
भारत से सबसे खतरनाक ऐसे 6 सांप हैं, जो दिखने में हैं तो बेहद खूबसूरत लेकिन डस लें तो कईयों की जान एक ही डंक में ले ले।
इंडियन कोबरा: भारत में पाए जाने वाला इंडियन कोबरा सभी सापों में सबसे जहरीला सांप है। भारत में इस सांप को नाग के नाम से भी जाना जाता है हिन्दू धर्म में इसकी पूजा भी की जाती है। भारत में नाग लगभग सभी इलाकों में आसानी से देखने को मिल जाते हैं। इसके काटने से इंसान का बच पाना बहुत ही मुश्किल होता है। एक वयस्क नाग की लंबाई 1 मीटर से 1.5 मीटर (3.3 से 4.9 फीट) तक हो सकती है। इंडियन क्रेट भारत के सबसे खतरनाक साँपों में से एक है। इसके एक बार काटने से इतना जहर निकलता है जिससे 60 लोगों की जान जा सकती है। इस सांप की 12 प्रजातियाँ और 5 उप प्रजातियाँ होती हैं। सालाना लगभग 10,000 मौतों के लिए जिम्मेदार है।
रसेल वाइपर- रसेल वाइपर वैसे तो यह इंडियन क्रैट से कम जहरीला होता है। यह भूरे रंग का सांप होता है और उस पर काले रंग के गोल धब्बे होते हैं। इसके फुंफकारने की आवाज काफी तेज होती है, जिसे दस से बीस फीट दूर से सुना जा सकता है। इंडियन ग्रीन पिट वाईपर को भारत में “बम्बू वाईपर” या “ट्री वाईपर” के नाम से भी जाना जाता है। यह सांप मुख्य रूप से झाड़ियों में और बांस के पेड़ों पर रहते हैं। यह सांप मेंढक, छिपकली और कीड़ों को अपना शिकार बनाते हैं। इन साँपों की लंबाई 2.5 फीट होती है। इंडियन ग्रीन पिट की प्रजाति ज्यादातर भारत के पश्चिमी घाट पर पायी जाती है। सॉ-स्केल्ड वाइपर रू इस सांप की लंबाई छोटी होती है पर इसकी फुर्ती, तेजी और आक्रामक वृत्ति इसे खतरनाक बना देती है और इसका असर भी घातक और जान लेवा होता है। इसके काटने से तकरीबन 5000 लोगों की सालाना मौत हो जाती है। यह काफी विषैला होता है। द किंग कोबरा रू श्द किंग कोबराश् सांप भारत ही नहीं बल्कि विश्व के लंबे सांपों में से एक माना जाता है। द किंग कोबरा की लंबाई 13 से 15 फीट तक होती है। यह भी औरों की तरह बेहद जहरीला होता है, ज्यादातर यह नम जंगलों में, दलदल भरे इलाकों में या बांस के जंगल में पाया जाता है।
सांप के काटने पर योग्य चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। साथ ही प्रचलित इलाज भी कर लें। लोग कहते हैं कि सांप के काटने पर व्यक्ति की जान चली जाती है। लेकिन यह बात सरासर गलत है। आज तक सांप की कुल प्रजातियों की बात करें तो 550 है। उनमें से सबसे ज्यादा जहरीले सांपों की संख्या मात्र 10 है। वह सांप भी बहुत कम ही पाए जाते हैं और जब भी कोई जहरीला सांप काट ले तो व्यक्ति के शरीर में जहर फैलने में समय लगता है और जितना तेजी से जहर फैलता है। उसी के अनुसार उस व्यक्ति की मृत्यु होती है। सांप का दांत बाहर होना ही लोगों की मौत का कारण बन जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि ज्यादातर लोग सिर्फ सांप काट लेने के डर से ही मौत के मुंह में चले जाते हैं। यह सोचकर कि उन्हें सांप ने काट लिया है।जबकि ऐसा नहीं होता है कि सांप ने इतना जहर भी डाला हो कि व्यक्ति की मौत हो जाए।
हम आपको इसी से जुड़े कुछ पौधों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी मदद से सांप का जहर को खत्म पर व्यक्ति को स्वस्थ किया जा सकता है।
द्रोणपुष्पी का नाम तो आपने सुना ही होगा। जिसे लोग गम्मा के नाम से भी जानते हैं। अक्सर यह पौधा जंगली इलाकों में या सड़क के किनारे आसानी से उगा हुआ दिख जाता है। यह एक प्रकार का खरपतवार है। अगर किसी को सांप काट ले तो द्रोणपुष्पी का स्वरस निकालकर रोगी को पिला देने से रोगी का जहर सिर्फ 10 मिनट में ही उतर जाता है। स्वरस का मतलब होता है इसके संपूर्ण पौधे का रस।
यदि किसी को सांप ने काट लिया हो तो मोर के पंख को जहां पंख में आंख बनी होती है। उसको पीसकर पानी में मिलाकर सांप के काटे हुए जगह पर लगाने से बहुत जल्द ही सांप के जहर का असर उतर जाता है और व्यक्ति की जान बच जाती है।
जहां सांप ने काट लिया हो वहां पर सबसे पहले प्लस के आकार का ब्लड सी कट लगा दे और उसके बाद उसमें बिना बुझा हुआ चुना को बारीक पीसकर लगा दें। इसके बाद ऊपर से दो-तीन बूंद पानी उस पर डाल दें। यह तरीका रोगी का सारा जहर खींच लेगा और उसको राहत आने लगेगी।
इसी तरह सांप के कटे हुए पीड़ित व्यक्ति को गिलोय की जड़ का रस निकालकर पिलाने से सांप का जहर उतर जाता है। कभी-कभी सांप के काटे हुए व्यक्ति का शरीर नीला पड़ जाता है। उस स्थिति में गिलोय के रस को रोगी के कान, आंख और नाक में डालना चाहिए। इससे तुरंत लाभ मिलने लगता है। (हिफी)