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हनीट्रैप को बनाया जासूसी का औजार!

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)

सेना, गृहमंत्रालय व अन्य सुरक्षा बलों के जवानों और अधिकारियों को हनीट्रैप कर दुश्मन देश के लिए गोपनीय सूचना भेजने के मामले सामने आ रहे हैं। बीते दिनों एक ताजा मामला सामने आया है जिसमें केद्रीय गृह मंत्रालय के कर्मचारी नवीन पाल ने हनी ट्रैप का शिकार होकर गोपनीय दस्तावेज पाकिस्तान भेज दिए। वह सोशल मीडिया पर जिस महिला को कोलकाता की अंजलि समझकर उसके इश्क में गिरफ्तार हो कर देश के साथ गद्दारी कर रहा था, पुलिस जांच में उसकी लोकेशन कराची की निकली। जांच में जुटी एजेंसिया मान रही है कि वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़ी हो सकती है। संदेह है कि वह आईएसआई की कोई अधिकारी या कर्मचारी भी हो सकती है । उसने नवीन पाल को पहले मीठी मीठी बातें बना कर अपने इश्क के जाल में फंसा लिया फिर जानकारी लेने के बदले पैसे देने का लालच दिया और कई बार में 85 हजार रुपये भी दिए। इस पूरे भंडाफोड़ के बाद पुलिस ने नवीन को गिरफ्तार कर लिया है।
इंटरमीडिएट पास नवीन पटेल क्रासिंग रिपब्लिक कालोनी के भीमनगर का निवासी है। वह गृह मंत्रालय में संविदा पर बहुउद्देशीय कर्मचारी के रूप में काम कर रहा था। देश की खुफिया जांच एजेंसियों के पास यह जानकारी आई कि गृह मंत्रालय का कोई कर्मचारी गोपनीय सूचनाएं बाहर भेज रहा है। उक्त सूचना की जांच की गई तो नवीन के बारे में पता चला और उसके मोबाइल कॉल डिटेल से पूरा राज खुल गया।
जानकारी के अनुसार वह बीते दो महीने से गोपनीय दस्तावेज भेज रहा है। वह व्हाट्स एप पर अंजलि नाम की महिला से चैट कर रहा था। दोनों की चैट भी बरामद हुई। पहले अंजलि मीठी-मीठी बातें करती थी। इसके बाद उससे दस्तावेज मांगने लगी। इश्क में फंसा नवीन सूचना साझा करने। इसके बदले वह नवीन को पेटीएम के माध्यम से रकम भी भेजती। अब तक 85 हजार रुपये दे चुकी थी।
नवीन के मोबाइल डाटा से पता चला है कि उसने गृह मंत्रालय की कई फाइलों के फोटो खींचकर भेजे हैं। इनमें जी-20 से जुड़ी फाइलें भी हैं। एक दस्तावेज भेजने पर उसे पांच से दस हजार रुपये मिलते थे। उसने कई नक्शे भी भेजे हैं। पुलिस पूछताछ में उसने कहा कि उसे नहीं मालूम था कि दस्तावेज पाकिस्तान जा रहे हैं। पुलिस को शक है कि वह किसी अंतरराष्ट्रीय गिरोह से जुड़ा है।डीसीपी देहात शुभम पटेल के अनुसार नवीन पटेल के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत भी कार्रवाई की जाएगी। उसके पास एपल का फोन बरामद हुए हैं। उसके बैंक खातों की डिटेल भी खंगाली जा रही है।
हनीट्रैप में फंसा कर देश से गद्दारी करने का यह पहला मामला नहीं है इस से पहले भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। हाल ही में गुजरात एटीएस ने पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वाल एक शख्स को पकड़ा था। गुजरात एटीएस के अनुसार इस शख्स ने हनीट्रैप होने के बाद पाकिस्तान को खुफिया जानकारियां साझा की है। पुलिस ने आरोपी को अरेस्ट कर लिया है। एटीएस के अनुसार जानकारी देने के बदले में उसे 25 हजार रुपये भी मिले हैं।गुजरात एटीएस से मिली शुरुआती जानकारी में सामने आया है कि निलेश वालिया नाम का यह शख्स पाकिस्तान के लिए जासूसी कर रहा था। निलेश पहले हनीट्रैप में फंसा और फिर गुप्त जानकारी पाकिस्तान भेजी। जांच में सामने आया है कि निलेश अदिति के नाम से फेक प्रोफाइल से पाकिस्तान के हैंडलर से संपर्क में आया था। इसके बाद इसने बीएसएफ से जुड़ी कई अहम जानकरियां पाकिस्तान भेजीं। इसके बदले में उसे रुपये भी मिले। बीएसएफ से जुड़ी जानकारियां देने के लिए उसे 25 हजार रुपये दिए गए।आरोपी के मोबाइल की एफएसएल रिपोर्ट के बाद जानकारियां सामने आई हैं। आगे की पूछताछ में कुछ और बड़े खुलासे हो सकते हैं। गुजरात एटीएस को आशंका है कि जासूसी का यह नेटवर्क आईएसआई से जुड़ा हो सकता है।
हाल ही में उजागर हुए एक बेहद सनसनीखेज जासूसी मामले में रक्षा अनुसंधान विभाग का एक प्रमुख कार्मिक भी सोशल मीडिया पर हनीट्रेप का शिकार बनकर बहुत अहम प्रोजेक्ट की जानकारी शेयर कर रहा था। यह मामला महाराष्ट्र के पुणे शहर का है। यहां महाराष्ट्र एटीएस ने रक्षा अनुसंधान विभाग के वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर को पुणे से गिरफ्तार किया. कुरुलकर डीआरडीओ में बतौर वैज्ञानिक कार्यरत हैं। आरोप है कि उन्होंने हनी ट्रैप में फंसकर पाकिस्तान को खुफिया जानकारी दी। इस मामले में एटीएस की चार्जशीट के मुताबित प्रदीप पाकिस्तानी महिला एजेंट के प्रति आकर्षित हो गए थे। महिला एजेंट ने अपना नाम जारा दासगुप्ता बताया था। पाकिस्तान की एजेंट ने प्रदीप से डिफेंस प्रोजेक्ट के अलावा भारतीय मिसाइल सिस्टम के बारे में बात की।
जारा दासगुप्ता नाम बताने वाली पाकिस्तानी एजेंट ने खुद को ब्रिटेन में सॉफ्टवेयर इंजीनियर बताया था। उसने अश्लील मैसेज भेजकर वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर से दोस्ती की। इन बातों का पता चलने पर जब महाराष्ट्र एटीएस ने जांच की तो जारा जासगुप्ता का मूल पता पाकिस्तान का मिला। आगे की जांच में यह भी पता चला कि पाकिस्तानी एजेंट ने वैज्ञानिक से ब्रह्मोस लॉन्चर, ड्रोन, यूसीवी, अग्नि मिसाइल लॉन्चर और मिलिट्री ब्रिजिंग सिस्टम के बारे में क्लासीफाइड जानकारी हासिल की। खुलासा होने पर इस वैज्ञानिक को गिरफतार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
एक प्रमुख मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ साल में करीब 35 सैन्यकर्मी और बीएसएफ के जवान पाकिस्तान के लिए जासूसी करते पकड़े गए या पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के हनी ट्रैप में फंसे। इनमें से ज्यादातर मामले में ये जवान स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के चक्कर में हनी ट्रैप में फंसे हैं।
जासूसी के आरोप में पकड़े गए इन सर्विस पर्सनल में 15 आर्मी के, 7 नेवी के और 2 एयरफोर्स के बताए जा रहे हैं। यह स्थिति चिंता जनक है। देश की सुरक्षा से जुड़ी प्रमुख जिम्मेदारी पर तैनात वैज्ञानिक व सुरक्षा बल या सुरक्षा एजेंसियों के जवानों से इतने हल्का जमीर व चंद रूपयों के लिए फिसलने वाले व्यक्तित्व की उम्मीद नहीं होती है। यह बेहद शर्मनाक है। सरकार जासूसी करते पकड़ में आए अपने ही देश के वैज्ञानिक व सुरक्षा कर्मियों की इन बेहद शर्मसार करने वाली हरकतों के कारण इन के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है। वहीं भविष्य में इस तरह की गतिविधियों से सुरक्षा के लिए सरकारी एहतियाती तौर पर कई कदम उठा रही है। सरकार को देश की सुरक्षा के साथ गद्दारी करने वाले तत्वों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने के साथ जागरूकता के लिए भी योजना बनानी चाहिए। (हिफी)

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