तीज-त्योहार

पांच दिवसीय दीपोत्सव के निहितार्थ

 

कृषि प्रधान देश भारत मंे खरीफ की फसल पक कर जब तैयार होती है, तब दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। दीपावली के पर्व पर विशेष रूप से धन की देवी लक्ष्मी और बुद्धि के देवता विघ्न-विनाशक गणेश जी की पूजा की जाती है। दीपोत्सव का त्योहार पांच दिनों तक चलता है। इसमंे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के राक्षसराज रावण के संहार के बाद अयोध्या लौटने की खुशी मंे दीप जलाने और इन्द्र के प्रकोप से गोकुल वासियों को बचाने के लिए भगवान कृष्ण के गोवर्द्धन पर्वत को उंगली पर उठाने का धार्मिक आख्यान भी शामिल है। यमुना का अपने भाई यम को प्रसन्न करके वर मांगने का त्योहार एम ़िद्वतीया अर्थात् भाईदूज का पर्व भी दीपोत्सव मंे शामिल है। इस प्रकार सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण के साथ कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। भारत उत्सवधर्मा है, इसलिए उत्साह मंे कोई बाधा नहीं पड़नी चाहिए। दीपावली पर लक्ष्मी जी की पूजा के साथ गणेश जी की पूजा इसीलिए करते हैं ताकि धन को कैसे व्यय किया जाए, इसकी बुद्धि गणेश जी से मिले। इस तरह की धारणा को भी त्यागना होगा कि हीरे-सोने से पूजा करने से ही लक्ष्मी जी प्रसन्न होंगी। देवी-देवता श्रद्धा से प्रसन्न होते हैं। इसीलिए दीपोत्सव पर लक्ष्मी जी के पूजन में एक तरफ जहां सोने-चांदी के जेवर रखने की बात कही गयी है तो दूसरी तरफ धनिया का बीज भी लक्ष्मी को प्रसन्न कर देता है। आंगन बुहारने वाली झाड़ू को इसीलिए लक्ष्मी कहा जाता है और स्वच्छता से स्वास्थ्य की रक्षा होती है, इसलिए धनतेरस के दिन ही आयुर्वेद के जनक धनवंतरि की जयंती भी मनायी जाती है। कृषि में गोवंश की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण होती है, यह बात अब उतनी प्रासंगिक नहीं रही लेकिन तीन दशक पूर्व गोवंश के बिना कृषि कार्य हो ही नहीं पाते थे। इसलिए पांच दिवसीय दीपोत्सव को उसी उमंग के साथ मनाएं जिसकी परिकल्पना हमारे पूर्वजों ने की थी।

दिवाली की शुरुआत धनतेरस से होती है। हिन्दू धर्म में धनतेरस का त्यौहार बहुत ही धूम धाम सें मनाया जाता है। यह पर्व हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोंदशी तिथि को मनाया जाता है। इस साल धनतेरस 10 नवंबर को मनाया जाएगा। सबसे खास बात है कि धनतेरस खरीदारी के लिये सबसे शुभ दिन माना जाता है। इस दिन कुछ न कुछ खरीदने का रिवाज है। इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। वहीं धनतेरस के दिन पांच रूपए की वस्तु की खरीदारी भी आपके आर्थिक संकट को दूर कर सकती है।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार धनतेरस खरीददारी के लिये सबसे शुभ दिन माना जाता है। इस दिन सबसे ज्यादा बाजारों में खरीददारी होती है। लोग गाड़ी, सोना, चांदी, झाडू खरीदते है। इससे घर में बरकत होती है। एक ऐसी भी चीज है, जो बाजारों मे बहुत सस्ती दर पर उपलब्ध हो जायेगी और वो आपके घर के आर्थिक संकट को हमेशा के लिये दूर कर सकती है। वो है धनिया। इसका बिज खरीद कर माता लक्ष्मी को अर्पण करने से घर की आर्थिक तंगी दूर होती है। धनिया का बीज खरीद कर माता लक्ष्मी पर अर्पण करते हैं तो घर में आर्थिक तंगी दूर होती है और माता लक्ष्मी की कृपा सें धन की वर्षा होगी। वहीं पूजा समाप्ति के बाद इस धनिया के बीज को फेके नहीं, बल्कि कही बो दें। धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी की पूजन का विधान है। माता लक्ष्मी की पूजा प्रदोष काल में की जाती है, इसलिए धनतेरस के दिन शाम के 05 बजकर 29 मिनट सें लेकर रात के 08 बजकर 07 तक लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त रहने वाला है।

भगवान धन्वंतरि की पूजा अर्चना की जाती है। इस बार 300 साल बाद धनतेरस पर अनोखा संयोग बनने जा रहा हैं। धनतेरस तिथि पर भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से साधक को अपार धन की प्राप्ति होती है साथ ही घर से दरिद्रता दूर होती है। इस दिन विशेष रूप से घर में लक्ष्मी जी की प्रतिमा, कुबेर यंत्र, कलश, चरण पादुका और सोने चांदी के सिक्के घर में लाना चाहिए। इससे घर में सुख को शांति बनी रहती है। धनतेरस को लेकर 300 साल में पहली बार ऐसा संजोग बैठ रहा है कि बृहस्पति के होरा में धनतेरस की शाम 5 से लेकर 6.30 बजे तक सोना चांदी खरीदें है तो इससे दिन दुगना रात चैगुना घर में बरकत होती है और व्यापार में भी बढ़ोतरी होती है। चांदी खरीदना सबसे शुभ माना जाता है। वहीं अगर राशियों की बात की जाए तो वृषभ, तुला और मीन, कुम्भ सहित धनु राशि के लिए यह धनतेरस सबसे शुभ मानी जा रही है। यह राशि वाले लोग अगर चांदी, सोना, पंच धातु खरीदते हैं तो वह उनके लिए शुभ होगा।

उत्तर प्रदेश मंे भोले की नगरी काशी में धनतेरस के दिन खजाने वाली देवी का दरबार खुलेगा। इस बार पहला ऐसा मौका होगा जब पूरे 5 दिनों तक माता अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी प्रतिमा के दर्शन होंगे। अनुमान है कि इस बार पांच दिनों में 5 लाख से ज्यादा भक्तों तक देवी का ये खजाना पहुंचाएगा। इसके लिए मंदिर प्रबंधन ने भी तैयारियां पूरी कर ली हैं।
धनतेरस के भोर में आरती के बाद भक्त माता अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी प्रतिमा के दर्शन कर पाएंगे। यह क्रम 14 नवंबर तक चलता रहेगा। बता दें कि साल में सिर्फ धनतेरस के दिन ही माता का दरबार भक्तों के लिए खुलता है और माता भक्तों पर खजाना बरसाती हैं।

मंदिर के महंत शंकर पूरी के अनुसार हर बार 4 दिनों तक देवी का दरबार भक्तों के लिए खोला जाता है लेकिन भक्तों की भीड़ को देखते हुए इस साल पांच दिन भक्तों को देवी दर्शन देंगी और उन्हें खजाना भी वितरित किया जाएगा। उसके बाद 14 नवंबर को अन्नकूट महोत्सव होगा जिसमें 56 तरह के व्यंजन से देवी का दरबार सजाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी भक्त धनतेरस के दिन माता अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी प्रतिमा के दर्शन करता है और उनसे खजाना प्राप्त कर उसे अपनी तिजोरी या धन स्थान में रखता है, तो देवी अन्नपूर्णा उनके घर में कभी भी अन्न और धन की कमी नहीं होने देती हैं। यही वजह है कि देवी के इस खजाने के लिए देशभर से श्रद्धालु दर्शन के लिए यहां आते हैं।
दीपोत्सव 12 नंवबर रविवार को है। उस दिन शाम के समय में माता लक्ष्मी, गणेश जी और कुबेर की पूजा होगी। कार्तिक अमावस्या पर दीपावली की पूजा करने से धन, संपत्ति, सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य आदि में बढ़ोत्तरी होती है। माता लक्ष्मी धन, वैभव प्रदान करती हैं, गणेश जी के आशीर्वाद से सभी कार्य शुभ होते हैं और धन स्थाई होता है, जबकि धनपति कुबेर की पूजा करने से धन संरक्षित रहता है। दीपावली की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5.39 बजे से शाम 7.35 बजे तक है, जबकि निशिता पूजा मुहूर्त रात 11.39 बजे से देर रात 12.32 बजे तक है। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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