अमेरिकी सांसद की नजर में मोदी
भारत में जब लोकसभा के चुनाव हो रहे हैं और सत्तारूढ़ दल भाजपा ने अपने गठबंधन एनडीए के लिए 543 मंे से 400 पार का लक्ष्य बनाया है, तब अमेरिका के एक वरिष्ठ सांसद का साक्षात्कार सभी का ध्यान खींचता है। अमेरिका के सांसद ब्रैड शरमन ने नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री के रूप मंे कार्यकाल को अमेरिका के साथ द्विपक्षीय संबंधों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण बताया है। अभी गत दिनों (9 अप्रैल) अमेरिका के वरिष्ठ सांसद ने चीन का जिक्र करते हुए कहा कि वहां तो लोकतंत्र है ही नहीं। अमेरिकी सांसद शरमन ने भारत की आर्थिक प्रगति और विकासात्मक कार्यों का विशेष रूप से उल्लेख किया है।
अमेरिका के एक वरिष्ठ सांसद ने भारत में 2014 से हुई आर्थिक प्रगति एवं विकासात्मक कार्यों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह भारत का चेहरा बन गए हैं। अमेरिकी संसद में भारत के बड़े समर्थकों में से एक माने जाने वाले ब्रैड शरमन ने कहा कि भारत और अमेरिका ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत होते देखा है। उन्होंने चीन का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि वहां लोकतंत्र नहीं है और न ही वहां की कानून प्रणाली पर भरोसा किया जा सकता है। उन्होंने साथ ही कहा कि रूस के साथ भारत के रक्षा संबंध, भारत और अमेरिका के संबंधों के लिए एक चुनौती हैं।
शरमन ने पीटीआई से इंटरव्यू में मंगलवार (9 अप्रैल) को कहा, वह (मोदी) भारत का चेहरा बन गए हैं और हमने बहुत महत्वपूर्ण आर्थिक प्रगति देखी है। बेशक, हर देश की अपनी चुनौतियां होती हैं, हर नेता की अपनी चुनौतियां होती हैं। मैं किसी देश की सफलता का श्रेय केवल एक नेता को नहीं देता। मेरा मतलब है कि आपके पास 1.3 अरब से अधिक लोग हैं और वे सभी भारत को और अधिक सफल देश बनाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। शरमन (68) अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के विदेश मामलों की समिति के डेमोक्रेटिक सदस्य हैं और पिछले 28 साल से भारत और अमेरिका के संबंधों को मजबूत बनाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा, अमेरिका और भारत के संबंध काफी मजबूत हुए हैं। मैंने कई व्यवसायियों से इस बारे में बात की है कि कैसे भारत निवेश के लिए उत्कृष्ट स्थान है और उन देशों की तुलना में व्यापार करने के लिए एक बेहतर जगह है जो लोकतांत्रिक नहीं हैं और जहां कानून का स्थापित नियम नहीं है। विशेष रूप से जो लोग चीन में निर्माण करते हैं, उन्हें इस तथ्य पर विचार करना चाहिए कि वह लोकतांत्रिक देश नहीं है और वह ऐसा देश नहीं है जिसके कानून के शासन की प्रणाली पर भरोसा किया जा सके। शरमन ने कहा, किसी व्यवसाय की सफलता के लिए निष्पक्ष और ईमानदार अदालत प्रणाली तक पहुंच होना अत्यंत महत्वपूर्ण है जो भारत में है, लेकिन कुछ देशों में नहीं है।
ध्यान रहे अमेरिका ने भारत समेत दुनिया के 28 देशों के साथ परस्पर रक्षा समझौता किया है। यह समझौता अमेरिका के रक्षा मंत्री और दूसरे देशों के रक्षा मंत्रियों के बीच हुए हैं। परस्पर रक्षा समझौते का उद्देश्य सहयोगी और मित्र देशों के साथ पारंपरिक हथियारों में मानकीकरण, एक-दूसरे पर निर्भरता, अंतरसंचालनीयता को बढ़ावा देना है। भारत और अमेरिका के बीच जनरल इलेक्ट्रिक के एफ414 जेट इंजन की तकनीक से भारत के लड़ाकू विमान तेजस मार्क-2 के इंजन बनाने का समझौता हुआ है। इसके अलावा भारत ने अमेरिका से 31 एमक्यू-9बी ड्रोन खरीदने के सौदे को भी मंजूरी दे दी है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तीन दिवसीय अमेरिकी यात्रा बेहद अहम रही थी।
इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच कई अहम समझौते हुए हैं। भारत और अमेरिका के बीच होने वाले सबसे अहम समझौते में आर्टेमिस एकॉर्ड्स शामिल है। इसके जरिए समान विचारधारा वाले देश को नागरिक अंतरिक्ष खोज वाले मुद्दे पर एक साथ काम करते हैं। साल 2024 में नासा और इसरो एक साथ मिलकर संयुक्त मिशन करने पर सहमत हुए हैं। इस मिशन के पूरा होने के बाद भारत उन देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा, जो अंतरिक्ष में अमेरिका का सहयोगी है। अगले साल नासा के जरिए भारतीय अंतरिक्ष यात्री इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की भी यात्रा करेंगे।
कंप्यूटर चिप बनाने वाली कंपनी माइक्रोन ने गुजरात में अपना सेमीकंडक्टर असेंबली और टेस्टिंग का संयंत्र स्थापित करने का फैसला लिया है। माइक्रोन टेक्नोलॉजी और भारत नेशनल सेमीकंडक्टर मिशन मिलकर भारत में सेमीकंडक्टर बनाएंगे। इसके लिए कंपनी की ओर से 2.75 अरब डॉलर का निवेश किया जाएगा। राष्ट्रपति बाइडेन की ओर से कहा गया है कि कैंसर और डायबिटीज जैसी बीमारियों के टेस्ट और इलाज के लिए इस समझौते पर सहमति जताई गई है। भारत में जीई एयरोस्पेस कंपनी का इंजन मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाया जाएगा। इसके बाद फाइटर जेट के इंजन भारत में बनने लगेंगे। जानकारी के मुताबिक, इस कंपनी में भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट तेजस के मेक-2 का एफ 414 इंजन बनाया जाएगा।
भारत और अमेरिका ने मिलकर यूएस-इंडिया डिफेंस एक्सीलेरेशन इकोसिस्टम शुरू करने के फैसले पर सहमति जताई है, जिस नेटवर्क में दोनों देशों की यूनिवर्सिटी, स्टार्टअप्स, इंडस्ट्री और थिंक टैंक्स शामिल होंगे। अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस स्पेस फोर्स ने भारत के स्टार्टअप्स पर भी हस्ताक्षर किया है। इस समझौते के बाद भारतीय स्टार्टअप कंपनियां भी आने वाले समय में दुनिया के अन्य देशों में अपना हथियार सप्लाई कर सकती है।
भारत और अमेरिका के बीच इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी की शुरुआत भी की गई है। हालांकि, दोनों देशों के बीच इसकी शुरुआत जनवरी में ही हो गई थी, लेकिन आधिकारिक तौर पर इसकी घोषणा अमेरिकी दौरे पर की गई है। इसके साथ ही, दोनों देशों ने आपस में समझौता किया है कि वो आपस में जटिल तकनीक बाटेंगे और उसको सुरक्षित रखेंगे। भारत और अमेरिका के बीच एमक्यू-9 रीपर ड्रोन की खरीद पर भी मुहर लगी। इसकी तैनाती हिंद महासागर, चीनी सीमा के साथ अन्य अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए की जाएगी। इस सौदे के तहत भारत के खाते में 29 हजार करोड़ रुपये में 30 लड़ाकू ड्रोन आ जाएंगे। दोनों देशों के इस समझौते से चीन काफी बौखलाया हुआ है। फिलहाल, भारत को यह ड्रोन पायलट प्रोजेक्ट के तहत दिए जाएंगे, इसके बाद तीनों सेनाओं से फीडबैक मिलने के बाद इनका निर्माण भी भारत में किया जाएगा।
भारत के हैदराबाद और बेंगलुरु में अमेरिका ने दो नए दूतावास स्थापित करने का ऐलान किया है। देश की राजधानी में स्थापित अमेरिकी दूतावास विश्व के सबसे बड़े दूतावासों में से एक है। गौरतलब है कि यह अमेरिकी दूतावास मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और हैदराबाद में चार वाणिज्य दूतावासों के साथ समन्वय करता है और यह सुनिश्चित करता है कि दोनों देशों के बीच के संबंधों में किसी तरह का तनाव न आए। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)