सम-सामयिक

बारिश और भीगता अनाज

 

ऐसा नहीं कि बारिश सिर्फ मुंबई या फिल्मों में अच्छी लगती है बल्कि तपती धरती को इसी से राहत मिलती है। वारिश से मौसम सुहावना हो जाता है। मन-मयूर नृत्य करने लगता है। इस बार तो मार्च से ही सूर्य देव अपना तेज दिखाने लगे थे और कई वर्षों के बाद मार्च-अप्रैल में इतनी गर्मी पड़ी है। ऐसे मौसम में इन्द्रदेव की अनुकम्पा हो जाए और झमाझम वारिश होने लगे तो आनंद का माहौल बनना स्वाभाविक है। गत दिनों हरियाणा के टोहाना में मौसम ने अचानक करवट ली और जोर की बारिश हुई। इसी के साथ एक परिदृश्य ने मन को झकझोर भी दिया। इसी वारिश में सैकड़ों बोरा गेहूं भीग गया। काफी गेहूं खुले में पड़ा था उसे भी सुरक्षित स्थान पर नहीं रखा जा सका। इन दिनों देश भर में लोकसभा के चुनाव हो रहे हैं और सरकारी मशीनरी उसी में व्यस्त है लेकिन इसी के साथ देश की मुख्य फसल गेहूं की कटान और सरकारी खरीद भी हो रही है। खेत में खड़ा गेहूं अगर भीग गया तो कोई हानि नहीं है लेकिन सरकारी खरीद का खुले में रखा और बोरों में भरा गेहूं भीग गया है जो सुखाया न गया तो सड़ जायेगा। अनाज को हम भारतीय देवता मानते हैं। फसल तैयार होने पर पूजा की जाती है लेकिन सरकारी अमला उसी अन्न देवता के साथ कितनी लापरवाही बरत रहा है, इसकी यह एक बानगी है। वर्षा अभी शुरू नहीं हुई है और उत्तर भारत में गेहूं को सुरक्षित रखना बहुत जरूरी है। एक रिपोर्ट के अनुसार डेढ़ करोड़ टन अनाज सालाना बरबाद हो जाता है। उधर, 19 करोड़ लोग भूखे सोने को विवश हैं।

सच यह है कि भारत में आज भी लापरवाही से अनाज का भण्डारण किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन की रिपोर्ट के अनुसार हर साल लगभग 11 से 15 प्रतिशत अनाज नष्ट हो जाता है। हमारे देश में कभी बोरों में या कभी ख्ुले में आसमान के नीचे अनाज डाल दिया जाता है। वारिश तो कभी भी हो सकती है जैसा हरियाणा में हुआ तो क्या हम गेहूं को ऐसे ही भिगोकर नष्ट होने देंगे। चुनाव का मतलब लापरवाही तो नहीं है।

हरियाणा में मौसम ने करवट ली है। प्रदेश में मौसम सुहावना हुआ है। प्रदेश के कई जिलों बारिश हुई है। सूबे के पंचकूला और फतेहाबाद सहित अन्य इलाकों में बारिश हुई। फतेहाबाद में बारिश के कारण मंडियों में गेंहू की फसल पर पानी फिर गया। यहां पर मंडी पानी से भर गई और गेंहू की बोरियां भीग गईं। फतेहाबाद के टोहाना और जाखल में तेज हवाओं के साथ कुछ ही मिनट हुई बरसात के कारण मंडियों में पड़ा गेहूं पूरी तरह से भीग गया। मौसम इतनी तेजी से बदला कि किसानों और व्यापारियों को फसल को ढकने तक का मौका नहीं मिला। मंडी में अनाज से भरे बैग,खुले में पड़ा गेहूं और सरसों की फसल भीग गई। मंडी में अपनी फसल लेकर आए किसानों ने खरीद एजेंसियों और प्रशासन को लापरवाही का जिम्मेदार ठहराया है। किसानों और व्यापारियों का कहना है कि खरीद एजेंसियां पहले तो समय पर उनके अनाज की खरीद नहीं कर रहीं, जितने अनाज की खरीद की गई है। उसका उठान नहीं हो रहा, जिसके कारण मंडी पूरी तरह से अनाज से भरी पड़ी है। अगर समय पर उठान हो गया होता तो उनकी फसल और मेहनत यूं ही जाया नहीं जाती। चंडीगढ़ के मौसम विज्ञान केंद्र के डायरेक्टर एके सिंह ने बताया कि 26 अप्रैल के बाद से तीन-चार दिन वेस्टर्न डिस्टरबेंस के चलते मौसम खराब होगा। विभाग की तरफ से येलो अलर्ट जारी कर दिया गया है। इस दौरान चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा में येलो अलर्ट जारी किया गया है। पश्चिमी विक्षोभ के चलते तेज हवाएं और बारिश होगी। खासकर नॉर्दर्न पार्ट में इसका असर ज्यादा देखने को मिलेगा। इसमें अमृतसर पठानकोट गुरदासपुर रोपड़ के साथ-साथ हरियाणा के कई जिले शामिल है। चंडीगढ़ में बारिश होगी। इसलिए प्रशासन को सतर्क रहना है।

हरियाणा में किसानों की परेशानियां बढ़ती जा रही है। मौसम खराब होने के कारण किसानों की फसल बारिश में भीग रही है। उधर मंडी में अनाज का उठान धीमी प्रक्रिया से हो रहा है। आलम ये है कि हजारों टन गेहूं और सरसों बर्बाद हो रहा है। चरखी दादरी- हरियाणा सरकार ने भले ही किसानों से गेहूं के दाने-दाने की खरीदने का दावे किए हों, लेकिन मंडी में गेहूं उठाने की धीमी प्रक्रिया के चलते जमीन पर अन्न का खराब हो रहा है। पिछले दिनों हुई बारिश के चलते सरसों भीग गयी और गेहूं की गुणवत्ता में खासी कमी आई है। हालात ऐसे हो गए हैं कि गेहूं के लोथड़े बन गए हैं।

आढ़तियों ने फसल उठान कंपनी के अलावा अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी आरोप लगाए हैं। वहीं, मंडी का जायजा लेने पहुंचे अधिकारी के सामने आढ़तियों ने अपना दुखड़ा सुनाया। आईएएस देवेंद्र सिंह ने अधिकारियों को व्यवस्था बारे दिशा-निर्देश दिए हैं। बाढड़ा बस स्टैंड में अस्थाई मंडी का भी समाधान करने की बात कही है। खरीद एजेंसियों और अधिकारियों की लापरवाही के चलते दादरी की मंडी में अन्न का अनादर हो रहा है। मंडी में हजारों टन गेहूं खुले में पड़ा है, तो कहीं पर जगह नहीं होने के कारण किसान सड़कों पर ही फसल डालने को मजबूर हो रहे हैं। हालात ऐसे बने हुए हैं कि मंडी में चारों तरफ अनाज के ढेर लगे हैं। ऐसे में खरीद प्रक्रिया पर भी खासा असर पड़ रहा है। मंडियों में अनाज डालने के लिए किसानों के साथ आढ़तियों को भी काफी परेशानी हो रही है।

आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान रामकुमार रिटोलिया ने मंडी अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि अधिकारियों की लचर प्रणाली व उदासीन रवैये के चलते आढ़तियों को काफी नुकसान हो रहा है। आढ़तियों ने कहा कि समय पर उठान नहीं हुआ तभी बारिश से गेहूं को नुकसान हुआ है। उठान एजेंसी द्वारा सिर्फ फॉर्मेलिटी की जा रही है। अगर ऐसा ही रहा तो बारिश होने पर काफी नुकसान हो सकता है।
सबको पता है कि हर गर्मियों में मौसम बिगड़ना और बारिश हो जाना अब बेहद आम हो गया है। बीते कुछ दशकों से तमाम पर्यावरणीय विक्षोभ यही बताते हैं लेकिन हमारी सड़ांध मारती अनाज भण्डारण व्यवस्था कहें या लीपापोती का जुगाड़ हर बार हजारों मीट्रिक टन अनाज खुले आसमान के नीचे भिगाकर ऐसा खराब करती है कि पशुओं का निवाला तक नहीं बन पाता। जिम्मेदार बड़ी ही आसानी से सारा दोष बेमौसम बारिश के मत्थे मढ़ बच जाते हैं जो खुद की बुलाई आपदा के असल दोषी होते हैं। मिट्टी में मिलती है किसान की मेहनत जिसने बड़ी लगन से फसल को उगाया और मण्डियों तक पहुंचाया था और शुरू हो जाता है कागजों में साफ-सफाई का दौर। आखिर में सारा कुछ बेमौसम बारिश के मत्थे मढ़ लीपापोती कर बस्ता बन्द कर दिया जाता है। देश में अनाज को सुरक्षित रखा जाना कभी किसी की प्राथमिकता में रहा हो, ऐसा भी नहीं दिखा! बीते पखवाड़े से अब तक देशभर में खुले आसमान के नीचे रखा न जाने कितने लाख टन गेहूं असमय हुई बारिश से भीगा। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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