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जब तक पाकिस्तान हमारे गले की फांस बना रहेगा, हम दुनिया में अपना उचित स्थान नहीं पा सकेंगे : मणिशंकर अय्यर

नई दिल्ली

पूर्व राजनयिक और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने पाकिस्तान के साथ बातचीत की बहाली की पैरवी करते हुए कहा है कि जब तक यह पड़ोसी देश ‘हमारे गले की फांस बना रहेगा’ तब तक भारत दुनिया में अपना उचित स्थान हासिल नहीं कर सकेगा।

पाकिस्तान के वाणिज्यिक शहर कराची में दिसंबर, 1978 से जनवरी, 1982 तक भारत के महावाणिज्यदूत रहे अय्यर ने अपनी आत्मकथा ‘मेमॉयर्स ऑफ ए मेवरिक’ में पाकिस्तान में बतौर राजनयिक अपने कार्यकाल को एक पूरा अध्याय समर्पित किया है।

उनकी यह नई पुस्तक सोमवार को बाजार में बिक्री के लिए आई। अय्यर ने कहा कि उनके नौकरशाही के करियर का उच्चतम पड़ाव पाकिस्तान में उनकी महावाणिज्यदूत के रूप में था और उन्होंने कराची में अपने तीन वर्षों की राजनयिक सेवा के बारे में विस्तार से बताया।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान में भारत की ‘सबसे बड़ी पूंजी’ वहां के लोग हैं जो भारत को दुश्मन देश नहीं मानते। अय्यर ने बताया, ‘‘पाकिस्तान में बतौर राजनयिक अपनी तैनाती के पहले 2-3 हफ्तों के भीतर हम एक दिन रात्रिभोज से वापस आ रहे थे, उस समय मेरी पत्नी सुनीत ने मुझसे एक सवाल पूछा कि श्यह एक दुश्मन देश है?

यह सवाल कराची में रहने के दौरान मेरे में दिमाग गूंजता रहा।’’ उनका कहना था, ‘‘मैंने वहां अपने तीन वर्षों के दौरान खुद से यह सवाल पूछा। पाकिस्तान से वापस आने के बाद पिछले 40 वर्षों में मैं खुद से यह सवाल पूछता रहा। मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि वहां की सेना या राजनीतिक व्यवस्था के किसी भी वर्ग का दृष्टिकोण कुछ भी हो, जहां तक पाकिस्तान के लोगों का सवाल है, वे न तो दुश्मन देश हैं और न ही वे भारत को दुश्मन देश मानते हैं।’’


पूर्व राजनयिक ने कहा, ‘‘हर बार जब हम (पाकिस्तानी) सरकार के प्रति अपनी अस्वीकृति प्रदर्शित करना चाहते हैं, तो वीजा रोक दिया जाता है, फिल्में रोक दी जाती हैं…किताबें रोक दी जाती हैं, यात्रा रोक दी जाती है, इसलिए मुझे समझ नहीं आता कि हम क्यों नहीं जानते कि कैसे कूटनीतिक दृष्टिकोण के अभिन्न अंग के रूप में पाकिस्तान के लोगों की सद्भावना का लाभ उठाया जाए।’’ उन्होंने कहा कि पिछले नौ वर्षों से भारत और पाकिस्तान के बीच सभी तरह के संवाद बंद हैं।

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कोयला घोटाला
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अय्यर का कहना है, ‘‘जब तक श्री (नरेंद्र) मोदी भारत के प्रधानमंत्री नहीं बने थे, लगभग हर प्रधानमंत्री, अगर उनके पास समय होता था तो पाकिस्तानियों के साथ किसी न किसी तरह की बातचीत का प्रयास करते थे, लेकिन अब हम ठहर गए हैं। इस ठहराव का शिकार पाकिस्तान की सेना नहीं है जो अपने आप में मदहोश है, बल्कि असल शिकार पाकिस्तान के लोग हैं जिनके रिश्तेदार बड़ी संख्या में भारत में रहते हैं और बहुत सारे लोग हमारे देश का दौरा करना चाहते हैं।’

 

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अय्यर ने कहा कि कराची में अपने राजनयिक कार्यकाल के दौरान उन्होंने तीन लाख वीजा जारी किए और दुरुपयोग की एक भी शिकायत नहीं मिली। वर्ष 1989 में भारतीय विदेश सेवा छोड़ने वाले पूर्व राजनयिक ने कहा, ‘‘हम पाकिस्तानी लोगों को क्यों निशाना बना रहे हैं? आप चाहें तो पाकिस्तानी प्रतिष्ठान को निशाना बना सकते हैं, लेकिन जहां तक घ्घ्लोगों का सवाल है, वे हमारी सबसे बड़ी पूंजी हैं।’

 

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