अध्यात्म

…जेहि विधि राखे ताहि विधि रहिये

‘शिवयोग’ के जरिए सात्विक शक्तियां स्वयं तुम्हारे में आने लगेंगी

(हिन्दुस्तान समाचार फीचर)

आदिदेव महादेव भगवान शिव को ही कहा गया है। शिव आदि हैं, उसी कैलाशपती के शरण में अपने को समर्पित कर देने के बाद संसार में सत् चित् आनंद के साथ जीवन व्यतीत कर सकोगे। मन को मत हारने दो। न किसी को दुख दो, न पाओ। ‘शिवयोग’ के जरिए सात्विक शक्तियां स्वयं तुम्हारे में आने लगेंगी।

मैं तो यही कहता फिरता हूं तुने मेरे लिए क्या किया वो क्या करेगा जब उसने मुझे सभी कुछ दे रखा है। जब मैं ही अपने लिए कुछ नहीं कर सकता तो मैं किससे क्या कहूगा। तेरा हक लेलिया कोई तेरा कुछ ले ही नहीं सकता क्योंकि तू अन्नत है तू ही अन्नत है और अन्नत से कुछ ले लो तो वो खाली नहीं होता। जब अज्ञानी हो जाता है तब कहता है अरे मेरा ले गया कितना मुर्खन्द वाली बात हो गयी। हुयी कि नहीं हुयी। कृतज्ञता की भावना हमेशा रखो। कल मैंने क्या बताया मैं अपने को क्या करता हूं क्षमा करता हूं और जब मेरे मन मंे यह भाव आता है। तब तुम सबको माफ कर पाओंगे। सब को स्वीकार करता हंू (एंड आई लव एवरी वन अनकंडीशनल लव) और उसके बाद जब भगवान में जरा
ध्यान से देखों तुम्हें सब कुछ दिया क्या तुमने कभी उसको धन्यवाद दिया है।
भोले नाथ तेरी बड़ी कृपा है। मेरी मां जब भी भोजन मिलता था तो एक ही बात बोलती थी खाना सामने आया शुकर है भगवान तुम्हारा, तब हम कहते थे, मां खाना तो बना ही हुआ था भगवान का शुकर किस बात का तो कही बेटा एक दिन तू समझेगा। मैं समझ गया उसका सीग्रेट समझ गया जिस जिस दिन मैंने उसका
धन्यवाद किया मैं शिव योग की स्थिति में आ गया जैसे ही मैं शिव योग की स्थिति में आया तो पूरा ब्रह्माण्ड मुझे भर-भर पेटी देने तथा तुम ये लो तुम ये ले तू ये भी ले सब झोली भर देता है। धन्यवाद करने से कृतज्ञता की भावना हमेशा रखो। (आॅल वे हैव टू फिलिंग आॅफ ग्रेटीट्टूड) जब घर में घूसों तो घर को देख कर प्रसन्न हो तो बड़ा अच्छा है कभी किया तुमने अपने घर को, वह देखा तक नहीं फुर्सत ही नहीं जबकि वह घर अपना एनर्जी बनाकर बैठा है कि तुम आओगे तो तुम्हें एनर्जी देगा बहुत-बहुत
धन्यवाद मेरे प्यारे घर को (एवर एवर से थेक्स यू माई डियर हाउस)ये जड़ और चेतन ध्यान रखो कि हम कहते हैं मै चेतन्य हूं और ये दीवारे जड़ हैं, जड़ कुछ भी नहीं हैं ये भूल मत करना जड़ कुछ भी नहीं सब चेतन्य है चेतन्य।
गुरु ही ज्ञान देता है एक एक एटम दीवाल के अन्दर ओक्सीलेट कर रहा है इस्तेमाल कर रहा है ये तुम्हें जो दिख रहा है लेकिन अन्दर बहुत हलचल हो रही है और हलचल करने वाला कौन है। ऐसा कोई स्थान बता दो जहां शिव न हो से थैक यू घर को जैसे ही तुम बोलते हो
धन्यवाद मैं तुम्हें ये पांच दिन में करके दिखाऊगा जैसे ही तुम बोलते हो मैं महान हूं (आई एम ग्रेटफुल) तो घर के वास्तु एनर्जी बड़े-बड़े वास्तु एक्सपर्ट को तुम खोजते हो पहले घर को वास्तु तुम ठीक कर दो पेमेन्ट देते हो, दिल दे कर देखो। एक दम एनर्जी बढ़ जाएगी अपने घर से, अपने कार से, हर एक वस्तु से, परिवार वालों से, और माता-पिता से प्यार करों। (लव यू हाउस, लव यू कार, लव एवरीथिंग, एवरी लविंग, विच यू हेव लव यू फैमली, लव यू पेरेन्ट्स) वे इसलिए नहीं कि तुम उनको फायदा देने वाले हो ये इसलिए कि जहां प्यार की भावना कृतज्ञता की भावना (फिलिंग आॅफ लव, फिलिंग आॅफ ग्रेटीट्टूयड) होगी। तुम्हारे मन में आएगा कैसी भावना पैदा होगी खुशी की, खुशी आएगी की नहीं आएगी, सच्चे चित का आनंद का भाव आएगी की नहीं आएग, आएगा और अगर वो खुशी का भाव पैदा हो गया तो तुम चाहते क्या हो जो तुम चाहते हो शिव योग में तुमको वो प्राप्त होगा कुछ न करके देखो खाली यही कर के देखो शिव से जुड़ के देखो उसके बाद तुम अपने आप को चेक करा के देखो, देख लेना बिमारी भाग जाएगी लेकिन रहना शिव योग की ही स्थिति में उससे हटना नहीं करके देखों अभ्यास। आज मेडिकल टेस्ट कर लो अच्छे से करा लो फिर चिंता नहीं करना, घबराना नहीं, सिर्फ उसी का ध्यान और उसी को धन्यवाद देना है। तेरा परमात्मा मुझे अच्छे बेटे दे दिये उनको देखो जिनका कोई बेटा ध्यान नहीं करता तुम्हारा ध्यान करने वाल पुत्र मिल गया तब भी
धन्यवाद नहीं करते तो कब करोगे। सब कुछ जिसको मिला है पांच छः चीज नहीं मिली वो उसी के लिए रो रहा है। तो माया में फसं रहा है। जो मिला है उसका धन्यवाद करना तो देखो ये पांच छः चीज जहां 70,80 चीज मिल गयी तो पांच छः चीजे मिलने में कितनी देर लगेगी करके तो देखो नमामी ग्रेटीट्यूड नमामी
धन्यवाद। मैं तेरे को लाख-लाख शुकर करता हूं नमामी मैं तेरे को प्रणाम करता हूं हे भोले नाथ तूने सब कुछ तो दिया हाथी दे दीया ये पूछं की बकरी ये भी दे दी फिर कह के देखों फिर देखों वो नहीं देगा क्या। नमामी शमीशंन…..।
जितना तुमको दूसरे से प्रेम होगा तुम्हारे घर में जितना सबके प्रति सेवा का भाव होगा वह भी अनकंडिशनल सेवा, अनकंडिशनल लव, यह नहीं कि वो तो मेरा ख्याल नहीं करता वो तो आराम से बैठा है। हम ही करते रहे तुम भाग्यशाली हो तुम्हें करने का मौका मिल रहा है। उसके लिए प्रार्थना करो, उस बेचारे का भी भाग्य खुले सेवा उससे तुम्हारे भीतर आनंद का प्रार्दुभाव होगा। वो बढ़ेगा और जब आंनद बढे़गा तो जो तुम चाहते हो। शिव योग की स्थिति में पहुंचोगे तो जो तुम चाहते हो । एक ने मुझे कागल लिख कर भेजा मैं 100 करोड़ रोज कमाना चाहता हूं। मिलेगा शिव दे देगा लेकिन उसका करोगे क्या, अगर तुम्हारा भाव गलत है खाली 100 करोड़ लेना ही है, देना नहीं हैं तुम्हें 100 पैसा भी नहीं मिलेंगे। तो भूल जाना जो लिखने वाला है वह भी भूल जाना। तुम चाहते क्या हो अपने से पूछो तो पहले। मजाक नहीं है (इट्स नाॅट जोक) और शुद्ध भावना, जहां भावना अशुद्ध होगी वहां कुछ नहीं मिलने वाला। जब भावना असुद्ध होगी, मन मैला होगा और मैले मन में सैतान बैठता है। सैतान दरिद्रता लाता है। सम्पन्नता नहीं। भावना शुद्ध होगी तो मन क्या होगा, निर्मल होगा और निर्मल मन में शिव बैठता है। शिव जीवन मंे जो भी तुम्हारी इच्छा है वो पूर्ति करता है। तुम्हारे अंदर सकारात्मकता की भावना होनी चाहिए। (यू हेव टू ब्रिंग दा पोजिटिव इमोशलन) खाली ये नहीं समझांेगे कि बाबा ने कहा तुम चाहते क्या हो ये रास्ता मैं तुमको बता रहा हूं ,इससे तुमे कई नये नये बदलाव आयेगें। तुम करना शुद्ध भावना, निर्मल मन निश्चल मन, निशाद मन, प्रेम भीतर आना चाहिए और मेरे को कुछ प्राप्त हो तो मुझे क्या करना है। सेवा सीमरण कीजिए। यही सिग्रेट है और सीमरण मन से होना चाहिए, सिमरन भाव से होना चाहिए। उसका ध्यान धन्यवाद का भाव होना चाहिए। अभी तुम कुछ चाह रहे हो उससे पहले सोचो क्या-क्या मिल चुका है। पहले उसका धन्यवाद तुमने चुकाया कि नहीं, चुकाया? अगर उसका नहीं चुकाया तो अगला खाता कैसे खुलेगा। पहले पीछला तो कुछ चुकाना होगा वो तुम्हें क्या वापस चुकाना है। नमामि समीशांम् निवार्णरूपं….।
शिव सब दे रहा है। तुमने धन्यवाद कब किया। तुमने धन्यवाद दिया। तेरी सांस मेंु बसना चाहिए। नमः शिवायं, मैं चल रहा हूं क्योंकि शिव की कृपा हो रही है। मैं अपने परिवार के साथ आनन्द ले रहा हूं शिव कृपा हो रही है। मुझे भोजन मिल रहा है। शिव कृपा हो रही है। मैं सतसंग कर रहा हूं। शिव कृपा हो रही है। नमः शिवाएं, और जैसे-जैसे नमः शिवाए करोगे ये कृपा और बढ़ती जाएगी और बढ़ती जाएगी और तुम मुझे बताओ तुम चाहते क्या हो? जितना तुम चाहते हो उससे ज्यादा वो इच्छुक तुम्हें देने के लिए तैयार है क्योंकि वो चाहता है। जो तुम अनुभव करने आये हो जल्दी कर डालों और पृथ्वी लाए हुए जल में, जल लाए हुए अग्नि में अग्नि लाए हुए वायु में, वायु ज ल होय अकाश में, और आकाश जल होय शिव में। नमामि समीशाय निवाणर््ा रूपं…..ऊं नमः शिवाय, ऊं नमः शिवाय, उसको धन्यवाद देना,हर सांस तुम्हारी उसी की ही देन है तुम्हारी हर सांस मंे धन्यवाद होना चाहिए। …………..
मैंने बहुत लोगों को देखा जब वो कष्ट में होते हैं तब उसका ध्यान लगाते हैं तब उसकी लौकिक शक्तियों का कनेक्शन छूट जाता है। कोस्मिक कनेक्शन उपेेपदह होगा तो रोग कैसे ठीक होंगे और वो क्या मिशिंग होता है, क्योंकि वो कनेक्शन अब उससे हट कर यहां (पेट में) आता है। बीमारी से कनेक्शन जुड़ा, कष्ट से कनेक्शन जुड़ा दुख से कनेक्शन जुड़ा है। मेरे अंदर कृतज्ञता की भावना नहीं है लेकिन मेरे अंदर क्षमा की भावना है।(आई डोन्ट हेव दा फिलिंग आॅफ ग्रेटीट्टूयड, बट आई हेव दा फिलिंग आफ सोरो)
जो मुझे नहीं मिला उस तरफ मेरा ध्यान है और जो मुझे नहीं मिला जो गुरू ने दिया। तन गुरू नानक, तन गुरू नानक….. एक बार ये सांस में तुम्हारे बस तो जाए वो आया वो दे गया तुमने कब धन्यवाद किया। नमः शिवायं….।
प्रभु जिस विधि राखे उस विधि रहीये और उस पर विश्वास करिये क्योंकि शिव तुमसे प्रेम करता है। शिव तुमको कभी दुख नहीं देगा, शिव कभी तुमको पीड़ा नहीं देगा, शिव कभी तुमको रोग नहीं देगा, शिव कभी तुम्हें दरिद्रता नहीं देगा, शिव कभी तम्हें पारिवारिक दुख नहीं देगा और जब हम जैसा भाव ले आते हैं हम कुछ गड़बड़ करते हैं तो मैं ही अपना बैरी हूं, नहीं तो जो शिव है वही तो मैं हूं। वो अगर सचचित आनंद है तो मैं भी सचचित आनंद है। लेकिन जब मैं भूल जाता हूं मै अपने को यातना लोक से जोड़ देता है तो कहता हूं दुख वो दे रहा है। वो थोड़ी दे रहा है। मै ही अपना बैरी हूं आनंद की स्थिति को हमेशा अपने भीतर जोड़ के रखीये और जो भी मिले एक बार धन्यवाद करना।
धन्यवाद की जो शक्ति है। कृतज्ञता की शक्ति (दा पावर आफ ग्रेटिट्टूयड) जैसे ही तुम्हारे भीतर एक्सप्रेस हुआ वो अश्रवशक्तियां जो तुम्हें भोगने आ रही थी। वो तुरन्त दूर हो जाएंगी। मन ही करता मन ही भोगता उपनिषद यही कहते हैं। मन ही पैदा करता है मन ही तोड़ता है और मन को कन्ट्रोल करना है तो उसी के साथ जोड़ों कैसे जोड़ोगें? ईमानदारी के साथ अपने आप से पूछना क्या-क्या उसेन दिया तुमको नमामि शमिशायं निर्वाण
रूपं…. नमः शिवायं…..।
अब शान्त होकर बैठ जाओ मै उससे प्राथर्ना करूगां। एहसास और होगा। भगवान शिव चाहता है कि तुम पूरी तरह से स्वस्थ हो जाओ जब वो चाहते तो तुम भी चाहो तुम पूरी तरह से स्वस्थ हो जाओ अगर तुम चाहते हो कि पूरी तरह से स्वस्थ हो जाओ तो मन में क्या भाव आये स्वस्थ का भाव, अगर मन में ये भाव आये कि मैं तो बीमार हूं तो तुम क्या चाह रहे हो। बेशक जो वो चाह रहा है तुम वो नहीं चाह रहे हो। तुम अपने आप को कैसे बनाना चाह रहे हो स्वस्थ शरीर को उसको जरा अनुभव करों। मैं तुम्हें उस शिव के साथ जोड़ूगा। भगवान महामृत्यंुजय के साथ मैं तुमको जोड़़ूगा और
धीरे-धीरे वो शक्ति तुम्हारे भीतर आना शुरू हो जाएगी। (हिफी)

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