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मुफ्त खाद्यान्न योजना बढ़ाने को अगले 5 साल के लिए कैबिनेट की मंजूरी, सालाना खर्च होंगे 2.4 लाख करोड़ रुपये

अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले मुफ्त खाद्यान्न योजना (प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना) में विस्तार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज औपचारिक तौर पर मंजूरी दे दी। इस योजना को 1 जनवरी, 2024 से अगले 5 साल के लिए बढ़ाया गया है, जिस पर 11.80 लाख करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है। अगर 11.80 लाख करोड़ रुपये को 60 महीनों में बांटा तो हर महीने करीब 20,000 करोड़ रुपये बैठते हैं। इस तरह इस योजना पर हर साल 2.4 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे यानी चालू वित्त वर्ष के आखिरी तीन महीनों (जनवरी से मार्च) में केंद्र को करीब 60,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ उठाना पड़ सकता है।
वित्त वर्ष 2024 की पहली छमाही में अभी तक केंद्र ने बजट में पूरे वित्त वर्ष के लिए आवंटित 2 लाख करोड़ रुपये की खाद्य सब्सिडी का 48 फीसदी हिस्सा खर्च किया है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में वास्तविक व्यय करीब 56 फीसदी रहा था।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत केंद्र 81.35 करोड़ गरीबों को हर महीने 5 किलोग्राम खाद्यान्न मुफ्त देता है। इस योजना को पिछली बार 31 दिसंबर, 2023 तक बढ़ाया गया था। लोकलसर्कल्स के एक सर्वेक्षण में शामिल 26 फीसदी परिवारों ने कहा कि उन्हें चावल खरीदने के लिए पिछले एक साल में 20 से 40 फीसदी तक अधिक रकम देनी पड़ी है। 7 फीसदी परिवारों ने कहा कि इस दौरान अनाज खरीदने के लिए उन्होंने करीब 40 फीसदी अधिक भुगतान किया है। एक आघ्धिकारिक विज्ञघ्प्ति में कहा गया है, ‘लाभार्थियों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए और लक्षित आबादी तक सस्ते खाद्यान्न की उपलब्धता सुनिघ्श्चित करते प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मुफ्त खाद्यान्न वितरण अगले पांच साल के लिए जारी रखने का निर्णय लिया गया है।’
विज्ञघ्प्ति में कहा गया है कि मुफ्त खाद्यान्न योजना में विस्तार करने से समाज के प्रभावित वर्ग की वित्तीय कठिनाई स्थायी तौर पर दूर करने में मदद मिलेगी। साथ ही इससे लाभार्थियों के लिए बिना खर्च के दीर्घकालिक मूल्य निर्धारण रणनीति सुनिश्चित होगी जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली की प्रभावी पहुंच के लिए महत्त्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए एक अंत्योदय परिवार के लिए 35 किलो चावल पर 1,371 रुपये और 35 किलो गेहूं पर 946 रुपये खर्च आता है। गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत केंद्र सरकार यह खर्च उठा लेती है ताकि खाद्यान्न वितरण पूरी तरह से मुफ्त रखा जा सके है। बयान में कहा गया है कि मुफ्त खाद्यान्न वितरण के कारण राशन कार्ड धारकों की मासिक बचत महत्त्वपूर्ण है। यह योजना वैघ्श्विक महामारी के दौरान राहत उपाय के तौर पर 2020 में शुरू की गई थी। इसके तहत लाभार्घ्थी को हर महीने 5 किलो अनाज मुफ्त दिया जाता था जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अघ्धिनियम के तहत दिए जा रहे सब्सिडी वाले 5 किलो अनाज के अलावा थी। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना कई बार बढ़ाई गई और दिसंबर 2022 में उसकी मियाद पूरी हो गई। लाभार्घ्थियों को एक साल तक मुफ्त राशन प्रदान करने के लिए उसे एनएफएसए में शामिल कर दिया गया। एनएफएसए के तहत 75 फीसदी ग्रामीण आबादी और 50 फीसदी शहरी आबादी को दो श्रेघ्णियों- अंत्योदय अन्न योजना और प्राथमिकता वाले परिवार में रखा गया है।

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