रेवंत रेड्डी ने निभाया वादा
चुनाव के समय जनता को लुभाने के लिए कई तरह के वादे किये जाते हैं। दक्षिण भारत के राज्य तेलंगाना मंे भी कांग्रेस ने वादा किया था। जनता ने कांग्रेस की सरकार भी बनवा दी है। कांग्रेस विधायक दल के नेता चुने जाने के बाद ए. रेवंत रेड्डी मुख्यमंत्री बन गये। उन्हांेने 7 दिसम्बर 2023 को पद एवं गोपनीयता की शपथ थी। इस दौरान उनको अपने वादे की याद आ गयी। जनता से वादा किया था तो उसे तुरन्त पूरा करना था। मुख्यमंत्री आवास के दरवाजे खुले रहेंगे- यह वादा मैंने किया था। इसलिए आज से ही प्रगति भवन स्थित मुख्यमंत्री के कार्यालय के सामने से वैरिकेडस हटाये जा रहे हैं। यह अच्छी बात है कि जन और जनप्रतिनिधि के बीच किसी प्रकार के बैरिकेडस नहीं रहने चाहिए। तेलंगाना के नये मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के सामने लगभग आधा दर्जन चुनावी वादों को पूरा करने की चुनौती होगी। इनमंे जनता को 10 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा और गरीबों को घर के लिए जगह व घर बनवाने के लिए 5 लाख रुपये देने का वादा प्रमुख हैं। चुनाव के समय कांग्रेस ने गरीबों को 200 यूनिट बिजली मुफ्त में देने का भी वादा किया था।
विधानसभा चुनाव में जीत के बाद तेलंगाना कांग्रेस विधायक दल के नेता अनुमुला रेवंत रेड्डी ने राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। रेवंत रेड्डी के साथ 11 विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली। रेड्डी का शपथ ग्रहण समारोह लाल बहादुर शास्त्री स्टेडियम में आयोजित किया गया। शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस संसदीय दल (सीपीपी) की अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार समेत कई नेता शामिल हुए। शपथ ग्रहण कार्यक्रम में करीब एक लाख लोग पहुंचे। राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन ने रेवंत रेड्डी को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। मल्लू बी. विक्रमार्क ने तेलंगाना के उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। मंत्री पद की शपथ लेने वाले विधायकों में एन. उत्तम कुमार रेड्डी, सी. दामोदर राजनरसिम्हा, कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी प्रमुख रहे।
रेवंत रेड्डी शपथ ग्रहण समारोह में एक खुली जीप में पहुंचे, जिसे फूलों से सजाया गया था। शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए जनता को आमंत्रित किया गया और कहा कि ‘जनता की सरकार’ कार्यभार संभालेगी, जो लोकतांत्रिक तथा पारदर्शी शासन को महत्व देगी। हाल के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को हराकर 119 में से 64 सीटें जीती हैंl
अब रेवंत रेड्डी के समक्ष कांग्रेस द्वारा दी गई 6 चुनावी गारंटी पूरा करने की सबसे बड़ी चुनौती होगी। महिला-केंद्रित वेलफेयर प्रोग्राम के अंतर्गत महिलाओं के लिए 2500 रुपये हर महीने, 500 रुपये में गैस सिलेंडर और पब्लिक ट्रांसपोर्ट में मुफ्त सफर दिया जाएगा। इसके साथ ही कांग्रेस ने 10 लाख रुपये का हेल्थ इंश्योरेंस देने का भी वादा किया है। कांग्रेस ने कहा था गरीबों को घर के लिए जगह और घर बनवाने के लिए 5 लाख रुपये दिए जाएंगे। गृह ज्योति स्कीम के तहत पात्र घरों को 200 यूनिट बिजली फ्री दी जाएगी। युवा विकासम स्कीम में विद्यार्थियों को 5 लाख रुपये दिए जाएंगे और छठी गारंटी यह थी कि बुजुर्गों, विधवाओं, दिव्यांगों, बीड़ी मजदूर, सिंगल वुमेन, बुनकरों और कुछ गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को इलाज के लिए हर महीने 4000 रुपये की पेंशन दी जाएगी।
तीन दिसंबर को घोषित नतीजों में कांग्रेस ने 64 सीटें हासिल की जबकि बीआरएस ने 39, भाजपा ने आठ, एआईएमआईएम ने सात और भाकपा ने एक सीट जीती है। रेवंत रेड्डी सरकार के वादे निभाने के लिए यह देखना जरूरी है कि राज्य के वित्त वर्ष 2023-24 बजट के अनुसार, कुल राजस्व 2.16 लाख करोड़ आंका गया था जबकि राजस्व व्यय 2.12 लाख करोड़ था। रेड्डी को बीआरएस, जिसका तेलंगाना की राजनीति पर दबदबा था और महत्वाकांक्षी भाजपा, जो विकल्प के रूप में लिए कड़ी मेहनत कर रही थी, दोनों को चुनौती देकर तेलंगाना में कांग्रेस को सत्ता में लाने का श्रेय दिया जा रहा है।
तेलंगाना के नये मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने विद्यार्थी परिषद से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी। वह भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव के बड़े आलोचक रहे हैं। वह बीआरएस और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के सियासी हमलों का शिकार भी रहे हैं। बीआरएस नेता उन पर पार्टी बदलने को लेकर हमलावर रहे हैं। 2015 के ‘नोट के बदले वोट’ मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया था और उस समय उन्हें तेलुगू देशम पार्टी के अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू का ‘एजेंट’ बताया गया था।
इसी प्रकार एआईएमआईएम ओवैसी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध छात्र संगठन की पृष्ठभूमि को लेकर रेड्डी पर निशाना साधते रहे हैं। रेड्डी पहले समय के लिए बीआरएस (तब तेलंगाना राष्ट्र समिति) में रह चुके हैं। वह 2006 में जिला परिषद चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीते थे। वह 2007 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में आंध्र प्रदेश में विधान परिषद के सदस्य रहे।
इसके बाद रेड्डी तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) में शामिल हो गए थे और पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के करीबी थे। उन्होंने 2009 में तेदेपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीता था और 2014 में तेलंगाना के अलग राज्य बनने पर भी विधायक रहे। वह 2015 में विधान परिषद चुनाव में एक विधायक को तेदेपा के पक्ष में मतदान करने के लिए घूस देने की कोशिश करते हुए कथित रूप से कैमरे में कैद हुए थे। रेड्डी को जेल भेज दिया गया था। बाद में उन्हें जमानत मिली। रेड्डी 2018 के विधानसभा चुनाव में बीआरएस प्रत्याशी से हार गए थे।
रेड्डी ने टेदेपा छोड़कर 2017-18 में राहुल गांधी की उपस्थिति में दिल्ली में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी और 2019 के लोकसभा चुनाव में तेलंगाना की मल्काजगिरि संसदीय सीट से कांग्रेस सांसद के रूप में निर्वाचित हुए। उन्हें 2021 में कांग्रेस में ‘जूनियर’ नेता होने के बावजूद प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई।
इस प्रकार रेड्डी के सामने चुनौतीपूर्ण हालात के बीच कांग्रेस का भविष्य संवारने का कठिन कार्य था और वह पार्टी नेताओं को एकजुट करने में लग गए, इसके बाद सफलता भी मिली। तेलंगाना में 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के 12 विधायकों का 2019 में बीआरएस में शामिल हो जाना भी रेड्डी के लिए असहज करने वाला घटनाक्रम था। तेलंगाना में बंडी संजय कुमार को भाजपा की कमान मिलने के बाद 2020 और 2021 में दो विधानसभा उपचुनावों और ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में भाजपा को सफलता मिली थी और कांग्रेस को एक बार फिर झटका लगा।
रेड्डी कड़ी चुनौतियों के बावजूद कांग्रेस को सफलता दिलाने की मशक्कत करते रहे और इस साल मई में कर्नाटक चुनाव के बाद कांग्रेस को थोड़ी ऊर्जा मिली। तेलंगाना की जनता में कांग्रेस को लेकर धारणाएं बदलने और मुख्यमंत्री केसीआर की बेटी के. कविता पर दिल्ली आबकारी नीति मामले में लगे आरोपों ने भी कांग्रेस को सियासी ताकत दी थी। बीआरएस ने के. चंद्रशेखर राव पर आरोप भी लगाये थे। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)