सम-सामयिक

पैट्स की तरह सजती नवजात शिशुओं की मंडी!

 

आप माने या न माने इन दिनों नवजात शिशुओं की खरीद-फरोख्त ठीक इसी तर्ज पर की जा रही है जैसे कि संपन्न लोग पैट्स पप्स खरीद लेते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि यह घोर अनैतिक व गैरकानूनी धंधा चोरी-छिपे संगठित पेशेवर के सिंडिकेट चला रहे हैं। हालही में देश की राजधानी दिल्ली में चाइल्ड ट्रैफिकिंग के बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है। इस मामले में सीबीआई ने छापेमारी कर केशवपुरम इलाके के एक घर से तीन नवजात शिशुओं को बरामद किया है। वहीं इसके साथ ही अन्य आठ बच्चों का भी रेस्क्यू किया गया है। इस मामले में खरीद-फरोख्त करने वाले सात लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। गिरफ्तार किए गए लोगों मंे अस्पताल के वार्ड बॉय समेत कुछ महिलाएं और पुरुष भी शामिल हैं। सीबीआई न ेदिल्ली-एनसीआर में कई जगहों पर छापेमारी की थी।

आपको बता दें कि चाइल्ड ट्रैफिकिंग के मामले में सीबीआई ने केशवपुरम इलाके के एक घर से तीन नवजात बच्चों को बरामद किया। केशवपुरम, रोहिणी समेत एनसीआर में भी कई जगह छापेमारी की गई थी । नवजात बच्चो को अलग अलग घरों में लाकर उन्हें बेचा जाता था। बच्चे किन अस्पतालों या मेडिकल सेंटर से लाए जाते थे, क्या उन्हें चोरी किया जाता था या किसी और तरह से लाया जाता था इसकी जांच जारी है। कुछ बड़े अस्पताल और आईवीएफ सेंटर भी सीबीआई की रडार पर हैं।

सूत्रों के मुताबिक सीबीआई की रडार पर असिस्टेंट लेबर कमिश्नर भी हैं, उनके रोल का पता लगाया जा रहा है। ये असिस्टेंट लेबर कमिश्नर इस सिंडिकेट का कथित तौर पर अहम हिस्सा हैं। सीबीआई ने इस असिस्टेंट लेबर कमिश्नर को भी हिरासत में लिया है। पता चला है कि एक महीने में एक ही घर से 10 बच्चे बेचे जा चुके हैं, हर एक बच्चे की कीमत चार से पांच लाख रुपये तय की गई थी। दरअसल सीबीआई की टीम को चाइल्ड ट्रैफिकिंग के बारे में एक गुप्त सूचना मिली थी जिसके आधार पर दिल्ली के कई इलाकों में रेड की गई जिसमे से एक जगह केशवपुरम इलाके का ये घर भी है, जहां से सीबीआई की टीम ने एक महिला समेत सात लोगो को गिरफ्तार किया है और घर से तीन नवजात बच्चो को रेस्क्यू कराया गया है।

सीबीआई की टीम का कहना है कि यह काफी बड़ा गिरोह है और काफी समय से इस तरह का गोरख धंधा चला रहा था। अभी इस मामले में और भी कई गिरफ्तारी हो सकती है। फिलहाल दिल्ली के केशव पुरम इलाके के नारंग कॉलोनी त्रिनगर गली नंबर 9 के एक मकान की चैथी मंजिल पर एक महिला और कुछ लोग किराए के मकान पर रहते है जो बच्चों की देखरेख करते थे और यहीं से बच्चों को बेचा जाता था।

आपको बता दें कि केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने एक बड़ी कार्रवाई के तहत दिल्ली-एनसीआर में सक्रिय बच्चा चोरी गिरोह का भंडाफोड़ किया है। जांच एजेंसी ने 7 से 8 बच्चों को रेस्क्यू भी किया है। इस मामले में कुछ आरोपियों को हिरासत में भी लिया गया है। दिल्ली और आसपास के इलाकों के साथ ही अन्य राज्यों से भी इसके लिंक जुड़े हैं। सीबीआई ने इसी सिलसिले में अन्य राज्यों में भी छापा मारा है। फिलहाल इस मामले में लगातार कार्रवाई की जा रही है। केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई करीब 7-8 नवजात शिशुओं का रेस्क्यू करवाया है। सीबीआई की ओर इस बाबत औपचारिक तौर पर खुलासा किया गया है। सूत्र बताते हैं कि नवजात समेत करीब 10 साल से छोटे बच्चे की चोरी और उससे जुड़े तस्करी करने के मामले में सीबीआई को कई इनपुट्स मिले हैं। ऐसे में जांच एजेंसी द्वारा सर्च ऑपरेशन की कार्रवाई लगातार की जा रही है।
चाइल्ड तस्करी से जुड़े मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने बड़ी कार्रवाई की है। जांच एजेंसी सीबीआई द्वारा दिल्ली एनसीआर समेत कई अन्य राज्यों में सर्च ऑपरेशन की कार्रवाई की जा रही है। सूत्र के मुताबिक, पिछले कुछ समय पहले सीबीआई को मिले चाइल्ड तस्करी से जुड़े इनपुट्स के आधार पर रिपोर्ट दर्ज की गई थी। उसके बाद आरोपियों और कुछ संस्थाओं से जुड़े लोकेशन पर छापेमारी की कार्रवाई की जा रही है। सूत्र के मुताबिक सर्च के दौरान जांच एजेंसी को कई महत्वपूर्ण सबूत मिले हैं।

सीबीआई सूत्र के मुताबिक, आरोपियों के खिलाफ किए गए सर्च ऑपरेशन के दौरान कई नवजात बच्चे बरामद किए गए। सर्च ऑपरेशन के दौरान दिल्ली स्थित एक अस्पताल में कार्यरत नीरज नाम का एक वार्ड ब्वॉय, इंदु नाम की महिला समेत कई अन्य आरोपियों को हिरासत में लेने की जानकारी मिली है।दरअसल, छापेमारी वाले दिन जिस आरोपी महिला के घर से दो बच्चे मिले, उनको बेचने की तैयारी थी। इन बच्चों में से एक की उम्र महज 36 घंटे जबकि दूसरी की 15 दिन थी। जानकारी यह भी मिली है कि आरोपी महिला 500 रुपए एक दिन के हिसाब से बच्चों को अपने यहां रखने के लिए लेती थी। बच्चों की कीमत उनके उम्र के हिसाब से लगाई जाती थी, जितना कम समय का बच्चा, उसकी कीमत उतनी ज्यादा होती थी। गैंग के लोग 50 हजार से लेकर 6 लाख रुपए तक की सौदेबाजी करते थे।बता दें कि सीबीआई बच्चों की डिटेल खंगालने में जुटी है। इस बात का पता लगाया जा रहा है कि बच्चों को कहां-कहां से खरीदा गया और फिर किसे बेचा गया। दूसरे राज्यों तक फैले नेटवर्क का भी पता लगाया जा रहा है। वहीं कुछ अस्पतालों में चलाए जा रहे नवजात बच्चे के खरीद-फरोख्त को लेकर इनपुट मिले थे।

सवाल यह है कि ये कौन लोग हैं जो बच्चों को खरीद कर अपने परिवार या वंश चलाने के लिए दूसरे के बच्चों को चोरी कराने के धत करम की प्रेरणा बने हैं। दरअसल आजकल नवदंपतियों में शहरी जीवन के चलते शारीरिक प्रजनन क्षमता प्रभावित हो रही है। संपन्न दंपति दलालों के मार्फत नवजात शिशुओं को खरीद लेते हैं दलाल भारी रकम वसूलकर गरीब लोगों को अपने बच्चे को पैसे लेकर कथित गोद देने के लिए तैयार करते हैं। आमतौर पर कई बार गरीब परिवारों से सम्बद्ध माताएं गर्भपात के लिए अस्पताल/नर्सिंगहोम में आती है तो वहां मौजूद डॉक्टर्स व नर्स ऐसी माताओं को प्रलोभन देकर बच्चे को जन्म देने और तदुपरांत पैसे लेकर गोद देने के लिए तैयार कर लेते हैं। कई बार नवजात शिशुओं को चोरी कर बिक्री के लिए लाया जाता है। देश भर में हर साल लाखों नवजात शिशुओं की चोरी की वारदातें सामने आ रही हैं। मामले पुलिस स्टेशन की फाइल में दबकर रह जाते हैं यही बच्चे निसंतान दंपति मुंह मांगी कीमत चुकाकर खरीद लेते हैं कानूनी बचाव के लिए गोदनामा बना दिया जाता है। क्या यही नैतिकता का आचरण है? स्पष्ट है कि सिर्फ अपना परिवार चलाने के लिए नैतिक अनैतिक तरीके से दूसरे के बच्चों को खरीदना न सिर्फ समाज के प्रति अपराध है वरन बेहद संगीन अपराध भी है। ऐसे लोगों के साथ जितनी सख्ती की जाए कम होगी। (हिफी)

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)

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