लेखक की कलमसम-सामयिक

वैदिक अनुसन्धान की प्रेरणा

 

भारत विश्वगुरु था। दुनिया में उस समय मानवीय सभ्यता का विकास नहीं हुआ था। लोग भारत में आकर ज्ञान प्राप्त करते थे। वर्तमान सरकार ने इस गौरव को शिक्षा नीति में स्थान दिया। इसके अनुरूप शिक्षा क्षेत्र में व्यापक सुधार हो रहे हैं।

बीते दिनों कुलपतियों के सम्मेलन के माध्यम से विचार विमर्श का दौर चला। सत्र नियमित हुए। राज्य में प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक व्यापक सुधार देखने को मिले हैं। यही कारण है कि विदेशी अखबारों ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था के विषय में लिखा कि उत्तर प्रदेश की शिक्षा में क्रांतिकारी सुधार हो रहा है। राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने दीक्षांत समारोह मंे कहा भारत विश्व गुरु के पद पर प्रतिष्ठित था। नई शिक्षा नीति के माध्यम से भारत को फिर विश्वगुरु बनाना सम्भव होगा। लखनऊ विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में राज्यपाल का संबोधन प्रेरणा देने वाला था। उन्होंने कहा कि वैदिक काल से ही हमारे अनुसंधान अत्यंत समृद्ध थे। ऋषि-मुनि चर्चा करते थे उन्होंने कहा महर्षि भारद्वाज द्वारा विमान प्रौद्योगिकी पर किए गए शोध ने वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि राइट ब्रदर्स के द्वारा विमान के आविष्कार से आठ वर्ष पहले ही भारत में बम्बई की चैपाटी पर अठारह सौ फुट की ऊँचाईं पर विमान का परीक्षण किया गया था। भारत में एक ही साथ जल, थल एवं नभ पर उड़ान भर सकने वाले विमान का निर्माण प्राचीन काल में ही किया जा चुका था, इसका वर्णन प्राचीन साहित्य में मिलता है।

आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ का दीक्षांत समारोह संपन्न हुआ। उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राएं मिलकर आगे बढ़ें, यह प्रयास होना चाहिए। जब महिलाएं समृद्ध होती हैं तो दुनिया समृद्ध होती है और उनका आर्थिक सशक्तिकरण विकास को बढ़ावा देता है। लखनऊ विश्वविद्यालय को यूजीसी द्वारा एकेडमिक ऑटोनमी में ग्रेड वन का दर्जा दिए जाने उन्होंने बधाई दी। एनआईआरएफ में दो सौ वीं रैंक मिलना सराहनीय है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से भारत में उच्च शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण पर जोर दिया जा रहा है। राज्यपाल ने कहा कि सामाजिक बुराइयों दहेज प्रथा, बाल विवाह व अन्य बुराइयों को दूर करने की जरूरत है। उन पर सकारात्मक सोच रखें। सामाजिक कार्यों से जुड़ें। उच्च शिक्षा राज्य मंत्री और विशिष्ट अतिथि रजनी तिवारी ने विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की शुभकामना देते हुए कहा कि उपाधि पदक प्राप्त करने के बाद विद्यार्थियों की परिवार, समाज व देश के प्रति जिम्मेदारियां और अपेक्षाएं बहुत बढ़ जाती हैं। डिग्री की सार्थकता तभी है, जब वह समाज के कमजोर वर्ग का उत्थान तथा देश विकास में सहयोग दे सके।

कुलपति प्रो आलोक राय ने विश्वविद्यालय की प्रगति आख्या प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि भारत में शिक्षा के महत्व की चर्चा बहुत प्राचीन और विश्व प्रसिद्ध है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति व्यावहारिक है और रोजगारपरक भी। प्रो. राय ने कहा कि शिक्षा मुक्तिदाता होनी चाहिए जो हमें सभी बंधनों से मुक्त कर दे। हम सभी अपने मूल सृजनात्मक शुद्ध स्वभाव से सत्यान्वेषी, सत्यनिष्ठ एवं सदाचारी बनें, ऐसी प्रार्थनाएँ हमारे सभी गुरुकुलों में गूँजती रही हैं। उन्होंने आगे कहा कि अतीत के गौरव को याद करने का महत्व भविष्य में ऊर्जा प्रदान करने में सहायक बन सकता है जिसे हम अपने कार्यों और संकल्पों के माध्यम से उज्ज्वल बना सकते हैं। राज्यपाल ने दीक्षांत समारोह में प्रतिभाग कर रहे भिक्षा से शिक्षा की ओर जुड़े उम्मीद संस्था के तीस बच्चों को स्कूल बैग, पठन-पाठन सामग्री तथा पोषण सामग्री प्रदान की। कार्यक्रम में राज्यपाल नेे बीस आंगनबाड़ी केन्द्रों को सुविधा सम्पन्न बनाने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को किट प्रदान की। ज्ञातव्य है कि प्रदेश स्तर पर राज्यपाल द्वारा अब तक आंगनबाड़ी केन्द्रों हेतु पचहत्तर सौ से अधिक किट प्रदान की जा चुकी हैं।

पदम श्री प्रोफेसर बलराम भार्गव ने यह समय हमारी आजादी का अमृत काल है। आईटी और मोबाइल सेक्टर, क्रिकेट और बॉलीवुड के अलावा देश की रक्षा सेवाओं ने देश की रक्षा की है और देश को स्थिरता प्रदान की है। दुनिया में छह में से एक डॉक्टर भारतीय है, इसी तरह पूरी दुनिया में पांच में से एक नर्स भारतीय है। भारत पैसठ प्रतिशत जेनेरिक दवा और लगभग साठ वैक्सीन का निर्माता है। राज्यपाल ने कहा पांच बिंदुओं का पालन करना चाहिए। समय की पाबंदी, व्यावसायिक ज्ञान और योग्यता, पेशे में सत्यनिष्ठा और ईमानदारी, सामाजिक प्रतिबद्धता, पेड़ लगाना। इस विश्वविद्यालय में आध्यात्मिक साधना के क्षेत्र में ऐसे महान विद्वान, वैज्ञानिक, लोक सेवक, सामाजिक कार्यकर्ता, विचारक और लेखक हैं और उनकी प्रतिभा को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है। यह हम सबके लिए गर्व की बात है कि पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा भी यहीं के छात्र थे।

राज्यपाल के अनुसार विश्वविद्यालय का उद्देश्य शिक्षा, अनुसंधान और नवीन तरीकों के माध्यम से ज्ञान के प्रसार के लिए मानव संसाधन विकसित करना है। इसका उद्देश्य संस्कृति की उत्पादकता बढ़ाना और समतामूलक समाज का निर्माण करना है। निर्माण का उद्देश्य आर्थिक, सामाजिक एवं आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देना है। ये सभी लक्ष्य हैं जिन्हें हमारे समाज का कोई भी समाज हासिल करने की कोशिश कर रहा है। इसे उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा किया जाना चाहिए। ये लक्ष्य हमारी संवैधानिक, धार्मिक और प्राचीन मान्यता के अनुरूप हैं। हमारी शिक्षा का उद्देश्य जांच करना, प्यास बुझाना, हर चीज के बारे में चिंता न करना और इस प्रकार बेहतर इंसान और अधिक उपयोगी नागरिक बनाना है। आधुनिक समय में लक्ष्य को चार सद्गुणों के रूप में रखा गया है, संयम, साहस, न्याय और हमें विवेक प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि, हमारे संविधान के अनुच्छेद इक्कीस ए के अनुसार। शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाया गया है ताकि छह से चैदह वर्ष की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा सुनिश्चित की जा सके।

भारत में नौ सौ से अधिक विश्वविद्यालय और पचास हजार से अधिक उच्च शिक्षा संस्थान हैं,जिनमें तीन करोड़ से अधिक विद्यार्थि है। भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली अमेरिका और चीन के बाद तीसरे स्थान पर है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस समय भारत में करीब अस्सी हजार विदेशी छात्र हैं जबकि सात लाख भारतीय छात्र विदेश में पढ़ रहे हैं। एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज के अनुसार भारत में कई अंतरराष्ट्रीय छात्रों को आकर्षित करने की जबरदस्त क्षमता है। शिक्षकों को उनकी जिम्मेदारियों से मुक्त नहीं किया जा सकता है जब तक शिक्षक अपने छात्रों के प्रति सराहना और स्नेह नहीं रखता है और यदि वह ऐसी शिक्षा प्रदान करने में अनिच्छुक है तो वह वास्तविक शिक्षक नहीं बन सकता है। (हिफी)

(डॉ दिलीप अग्निहोत्री-हिफी फीचर)

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