अब एनसीपी के सेनापति आमने-सामने
महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का झगड़ा एक पहेली बना हुआ था। पार्टी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने कई लोगों के साथ बगावत करके एकनाथ शिंदे की सरकार में भागीदारी कर ली। अजीत दादा स्वयं उपमुख्यमंत्री बन गये लेकिन वे शरद पवार को ही अपना नेता भी बता रहे थे। इतना ही नहीं अजित पवार की मीटिंग मंे शरद पवार की फोटो लगी रहती थी और शरद पवार इसका विरोध भी नहीं करते थे। इस नाटक का सस्पेंस तब और बढ़ गया जब एक दिन अचानक अजित पवार एनसीपी के बगावत करने वाले कई नेताओं के साथ शरद पवार से मिलने उनके आवास पर पहुंच गये। उस समय श्री शरद पवार ने मना नहीं किया। अजीत पवार ने प्रणाम किया तो शरद पवार ने उनकी पीठ पर हाथ रखा। अब ये दोनों शूरमा आमने-सामने आते दिख रहे हैं। अजित पवार ने अब एनसीपी के चुनाव चिह्न पर ही दावा कर दिया है। इससे शरद पवार भी तिलमिला गये हैं।
शरद पवार गुट की तरफ से अजित के साथ खड़े विधान परिषद विधायकों की अयोग्यता पर कार्रवाई की शुरुआत हो चुकी है। अजित पवार के साथ गये विधायकों की अयोग्यता को लेकर तो विधानसभा अध्यक्ष से कार्रवाई के लिए पहले ही कहा जा चुका है। अभी तक शरद पवार कह रहे थे कि उन लोगों को पार्टी मंे वापस लाना चाहते हैं जो अजित के साथ चले गये हैं लेकिन अब कहते हैं कि जो लोग एनसीपी छोड़कर चले गये हैं, उनके लिए पार्टी के दरवाजे बंद हो गये। इस प्रकार दोनों गुट आमने-सामने टकराने को तैयार हैं। इसी बीच एकनाथ शिंदे मंत्रिमंडल विस्तार करने वाले हैं।
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने रविवार (10 सितंबर) को दावा किया कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के लगभग सभी विधायकों ने शरद पवार को पत्र लिखकर उस वक्त सरकार में शामिल होने का आग्रह किया था, जब उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली सरकार जाने वाली थी। उनके इस बयान ने महाराष्ट्र की सियासत में हलचल पैदा कर दी है। कोल्हापुर की ये सभा शरद पवार गुट की बैठक के बाद हुई है। इस सभा के जरिये प्रदेश के शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ के द्वारा अजित पवार गुट की तरफ से शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है।
उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस वाली महाविकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार एकनाथ शिंदे के बगावत करने पर पिछले साल जून में गिर गई थी। यह बगावत पिछले साल 21 जून से 30 जून तक चली थी, जब शिंदे भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने थे। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में हुई बगावत के दौरान एनसीपी के कई विधायक गुजरात के सूरत और वहां से असम ले जाये गए थे। उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने कोल्हापुर में एक रैली में कहा, मेरे बारे में गलत अफवाह फैलायी जा रही है।
जब उद्धव ठाकरे की सरकार गिरने को थी, तब एनसीपी के लगभग सभी विधायकों ने पार्टी प्रमुख (शरद पवार) को पत्र लिख कर उनसे (बीजेपी का समर्थन कर) सरकार में शामिल होने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा, यह (जो उन्होंने कहा है) गलत है तो मैं राजनीति से तुरंत सन्यास ले लूंगा। यदि मेरा दावा सही है तो झूठ फैलाने वालों को (राजनीति से) संन्यास लेना होगा। कोल्हापुर में सभा को संबोधित करते हुए डिप्टी सीएम अजित पवार ने कहा, हम पर काम करने का बहुत अधिक दबाव है। उन्होंने कहा कि मैं किसी से मदद की भीख नहीं मांग रहा हूं, हम भी मराठों की संतान है। उन्होंने कहा कि कोल्हापुर महाराष्ट्र में प्रगतिशील आंदोलन का केंद्र बना हुआ है। ऐसे में अगर कोई कोल्हापुर में शांति भंग करने की कोशिश कर रहा है, तो हम सब सत्ता में रहते हुए इसका विरोध जरुर करेंगे। अजित पवार ने केंद्र सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा चीनी मिलों का टैक्स माफ कर दिया गया है। इससे पहले कभी किसी ने टैक्स माफ नहीं किया था। उन्होंने दावा किया कि अगर ऐसा न होता तो सारी सरकारी चीनी मिलें नष्ट हो गई होती। यही वजह है कि किसानों को एफएआर मिल रहा। अगर सरकार ने चीनी मिलों के संकट से बाहर निकाला है तो कोई गलती नहीं की है।
बगावत के बाद अजित पवार ने सीधे तौर पर एनसीपी और सिंबल पर दावा भी कर दिया है। वहीं अजित पवार द्वारा एनसीपी और उसके चुनाव चिह्न पर दावा जताने के बाद शरद पवार गुट आक्रामक नजर आ रहा है। एक तरफ जहां अजित पवार गुट के विधायकों की अयोग्यता को लेकर विधानसभा अध्यक्ष की ओर से कार्रवाई की जा रही है, वहीं अब विधान परिषद विधायकों की अयोग्यता पर कार्रवाई के लिए अर्जी दाखिल की गई है। शरद पवार के गुट ने अयोग्य विधायकों पर कार्रवाई की है। पिछले हफ्ते ही शरद पवार के गुट ने चुनाव आयोग में जवाब दाखिल किया था और अजित पवार के गुट की ओर से किए गए सभी दावों को खारिज कर दिया गया है। इतना ही नहीं, मंत्रियों के अलावा अजित पवार के साथ आए विधायकों के खिलाफ भी अयोग्यता याचिका दायर की गई है। नौ मंत्रियों के अलावा 31 विधायकों के खिलाफ भी अयोग्यता याचिका दायर की गई है और उनमें से चार विधान परिषद विधायक हैं।
शिवसेना के बाद अब एनसीपी में पार्टी के सिंबल को लेकर लड़ाई शुरू होने जा रही है। चुनाव आयोग ने अभी तक पार्टी में फूट को मामला दर्ज नहीं किया है। 2 जुलाई को अजित पवार की बगावत के दो महीने बाद शरद पवार गुट ने चुनाव आयोग को जवाब दाखिल किया है। अजित पवार गुट भी जवाब दाखिल करना चाहता है। हालांकि, इस संबंध में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली है। एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार कहते हैं कि जो लोग छोड़कर चले गए हैं उनके लिए एनसीपी गुट के दरवाजे बंद हो गए हैं। शरद पवार ने अजित पवार के साथ सत्ता में आए विधायकों और पदाधिकारियों के बारे में बात करते हुए यह बयान दिया है। शरद पवार ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है।
उधर, महाराष्ट्र में एक बार फिर कैबिनेट विस्तार की चर्चा शुरू हो गई है। एनसीपी सांसद और अजित पवार गुट के प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे ने कहा कि, राज्य मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा और एनसीपी विधायकों को 19 सितंबर को गणेशोत्सव की शुरुआत से पहले जिला संरक्षक मंत्री विभाग आवंटित किए जाएंगे। तटकरे ने कहा, सीएम एकनाथ शिंदे और उनके दो डिप्टी सीएम अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस इस संबंध में निर्णय लेंगे। किसी भी प्रकार की कोई कलह नहीं होगी। रायगढ़ सांसद ने कहा कि एनसीपी में हर कोई चाहता है कि अजित पवार मुख्यमंत्री बनें। उन्होंने कहा, यह हमारा सपना है कि वह सीएम बनें लेकिन हम यथार्थवादी हैं और जल्दबाजी में नहीं हैं। हम राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए सहयोगी के रूप में चुनाव लड़ेंगे। सुनील तटकरे ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत का चुनाव आयोग (ईसीआई) जैसे शिवसेना के मामले में किया, वैसे ही अजित गुट को असली एनसीपी के रूप में मान्यता देगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चुनाव आयोग एक स्वतंत्र निकाय है और पार्टी के संविधान, संगठन और ताकत के आधार पर अपना निर्णय लेगा। हमें विश्वास है कि चुनाव आयोग हमारे पक्ष में फैसला करेगा। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)