बीमारियों का समन हैं मिलावटी मिठाइयां
देसी घी के नाम पर कैमिकल मिश्रित देसी घी से खुली धोखाधड़ी की जा रही है दोगुना दाम वसूल कर भी उपभोक्ताओं को ठगा जा रहा है और उनके स्वास्थ्य की उपेक्षा की जा रही है। आजकल नकली दूध, नकली घी, नकली तेल, नकली चायपत्ती आदि सब कुछ धड़ल्ले से बिक रहा है।
देश भर में परम्परागत मिठाइयों में मिलावट का बड़ा खेल चल रहा है। त्योहारी सीजन में मिलावटी खाद्य पदार्थों का खतरा बढ़ जाता है । मिलावट का खेल वैसे तो पूरे साल चलता है, लेकिन त्योहारों में माँग बढ़ने से मिलावटखोरी और बढ़ जाती है। दूध की अनुपलब्धता से बढिया शुद्ध मावा उपलब्ध नहीं है ऐसे में मावा आलू पिठठी और दूसरे कैमिकल प्रोडक्ट का इस्तेमाल कर बनाया जा रहा है। इस मिलावटी मावे से तैयार मिठाई बीमारी का आमंत्रण है। देश में हर चीज की कीमतें बढ़ चुकी हैं। खाने पीने की चीजों सहित मिठाई बनाने के लिए प्रयोग होने वाली सामग्री, जैसे दूध, घी, मावा, चीनी, मैदा सहित सभी चीजों के दाम बढ़े हैं। इससे मिठाई बनाने का खर्च बढ़ गया है है । देश में त्योंहारी सीजन शुरू हो चुका है। नवम्बर महीने की शुरूआत करवा चैथ से हो चुकी है। इसके बाद दीपावली, छठ पूजा, देवप्रबोधिनी एकादशी और बैकुंठ चतुर्दशी आदि पर्व मनाए जाएंगे।
दीपावली का त्योहार एक सप्ताह तक चलता है। सप्ताह के दौरान धनतेरस, छोटी दीपावली, दीपावली, गोवर्धन पूजा अन्नकूट और भाईदूज एक के बाद एक आते है। इस अवसर पर गरीब और अमीर सभी वर्ग के लोग अपने सामर्थ्य के अनुसार घर की साफ सफाई, नए कपड़े, सोने चांदी के सामान के साथ मिठाइयां और पकवान खरीदने में व्यस्त हो जाते है। इस दौरान घर-घर में मीठे पकवान बनते है । होटलों पर मिठाइयां सज्ज जाती है। त्योहारी सीजन शुरू होते ही मिलावटिये भी सक्रिय होकर आमजन के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करते है। त्योहार आये और मिलावटिये सक्रिय न हों ऐसा हो नहीं सकता। अब तो मिलावट और त्योहार का लगता है चोली दामन का साथ हो गया है। देश भर में मिलावट को लेकर आमजन अभी भी भयभीत है और उसे विश्वास नहीं है की वह जो खा रहा है वह शुद्ध है। खाद्य नियामक एफएसएसएआई की एक ताजा रिपोर्ट का गहनता से विश्लेषण करें तो पाएंगे कि आज भी मिलावट को लेकर लोगों में भारी असमंजस की स्थिति है जिसके कारण देशभर में बड़े स्तर पर मिलावटखोरी की धारणा बनने से लोगों का विश्वास घटा है। आबोहवा और पानी के बाद अब खाद्य पदार्थों के सैंपल भी मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं। विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों की प्रयोगशाला में जांच के बाद यह पुष्टि की गई है।
देसी घी के नाम पर कैमिकल मिश्रित देसी घी से खुली धोखाधड़ी की जा रही है दोगुना दाम वसूल कर भी उपभोक्ताओं को ठगा जा रहा है और उनके स्वास्थ्य की उपेक्षा की जा रही है। आजकल नकली दूध, नकली घी, नकली तेल, नकली चायपत्ती आदि सब कुछ धड़ल्ले से बिक रहा है। सच तो यह है अधिक मुनाफा कमाने के लालच में नामी कंपनियों से लेकर खोमचे वालों तक ने उपभोक्ताओं के हितों को ताख पर रख दिया है। अगर कोई इन्हें खाकर बीमार पड़ जाता है तो हालत और भी खराब है, क्योंकि जीवनरक्षक दवाइयाँ भी नकली ही बिक रही हैं। आज समाज में हर तरफ मिलावट ही मिलावट देखने को मिल रही है। पानी से सोने तक मिलावट के बाजार ने हमारी बुनियाद को हिला कर रख दिया है। सामान्य तौर पर एक परिवार अपनी आमदनी का लगभग 60 फीसदी भाग खाद्य पदार्थों पर खर्च करता है। खाद्य अपमिश्रण से अंधापन, लकवा तथा ट्यूमर जैसी खतरनाक बीमारियाँ हो सकती हैं। सामान्यत रोजमर्रा जिन्दगी में उपभोग करने वाले खाद्य पदार्थों जैसे दूध, छाछ, शहद, हल्दी, मिर्च, पाउडर, धनिया, घी, खाद्य तेल, चाय- कॉफी, मसाले, मावा, आटा आदि में मिलावट की सम्भावना अधिक है। मिलावट एक संगीन अपराध है। मिलावट पर काबू नहीं पाया गया तो यह ऐसा रोग बनता जा रहा कि समाज को ही निगल जाएगा। मिलावट के आतंक को रोकने के लिए सरकार को जन भागीदारी से सख्त कदम उठाने होंगे।
नामधारी मिठाई विक्रेताओं के यहाँ भी पर्याप्त सुरक्षा मानकों का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। यह समाज के स्वास्थ्य के साथ सबसे बड़ा धोखा और अपराध है। मिठाई खरीदने से पहले उस की शुद्धता परखें तभी उपयोग करें।
खाद्य अपमिश्रण से मूल खाद्य पदार्थ तथा मिलावटी खाद्य पदार्थ में भेद करना काफी मुश्किल हो जाता है। अपमिश्रित आहार का उपयोग करने से शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और शारीरिक विकार उत्पन्न होने की आशंका बढ़ जाती है। खाद्य अपमिश्रण से आखों की रोशनी जाना, हृदय संबन्धित रोग, लीवर खराब होना, कुष्ठ रोग, आहार तंत्र के रोग, पक्षाघात व कैंसर जैसे हो सकते हैं। अनेक स्वार्थी उत्पादक एवं व्यापारी कम समय में अधिक लाभ कमाने के लिए खाद्य सामाग्री में अनेक सस्ते अवयवों की मिलावट करते हैं, जो हमारे शरीर पर दुष्प्रभाव डालते हैं। सामन्यातरू दैनिक उपभोग वाले खाद्य पदार्थ जैसे दूध, छाछ, शहद, मसाले, घी, खाद्य तेल, चाय-कॉफी, खोया, आटा आदि में मिलावट की जा सकती है। प्रस्तुत सारणी-2 में खाद्य पदार्थों में संभावित मिलावटी पदार्थ तथा उनसे होने वाले रोग के नाम इंगित हैं।
व्यावहारिक रूप से खाद्य अपमिश्रण की जांच केन्द्रीय खाद्य प्रयोगशालाओं में की जाती है। खाद्य अपमिश्रण के परीक्षण के लिए मैसूर, पुणे, गाजियाबाद एवं कोलकाता में भारत सरकार द्वारा चार केन्द्रीय प्रयोगशालाएं व्यवस्थित रूप से स्थापित की गई हैं। केन्द्रीय खाद्य प्रयोगशाला, मैसूर, कर्नाटक- 570013 के अंतर्गत क्षेत्र आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडू, लक्षद्वीप व पुडुचेरी। केन्द्रीय खाद्य प्रयोगशाला, पुणे, महाराष्ट्र-400001 के अंतर्गत क्षेत्र गुजरात, मध्य परदेश, दादर तथा नगर हवेली, गोवा, दमन व दियू। केन्द्रीय खाद्य प्रयोगशाला, गाजियाबाद-201001, उत्तर प्रदेश के अंतर्गत क्षेत्र हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, चंडीगढ़ एवं दिल्ली और केन्द्रीय खाद्य प्रयोगशाला, कोलकाता-700016, पश्चिम बंगाल के अंतर्गत क्षेत्र असोम, बिहार, मेघालय, नागालैंड, ओड़ीशा, त्रिपुरा, अंडमान एवं निकोबार, अरुणाचल प्रदेश व मिजोरम आते हैं।
खाद्य पदार्थों में मिलावट की जांच के लिए इन केन्द्रीय प्रयोगशालाओं के अतिरिक्त राज्य सरकार के खाद्य निरीक्षक, भोज्य पदार्थों के नमूने को सरकारी अफसर लोक विश्लेषक के पास भेजते हैं। एक गृहणी प्रत्येक खाद्य पदार्थ को परीक्षण के लिए प्रयोगशाला नहीं भेज सकती। अतः यह अवशयक है कि गृहिणी को मुख्य खाद्य पदार्थों में की जाने वाली मिलावट का अनुमान अवश्य हो। मिलावटी पदार्थों से बचने और अपमिश्रण की पहचान के लिए गृहिणियों का जागरूक होना अति आवश्यक है। खाद्य अपमिश्रण एक अपराध है। खाद्य अपमिश्रण अधिनियम 1954 के अंतर्गत किसी भी व्यापारी या विक्रेता को दोषी पाये जाने पर कम से कम 6 महीने का कारावास, जो कि तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त मानदण्ड का भी प्रावधान है। खाद्य पदार्थों में मानव स्वास्थ्य के लिए अहितकर है और इसका रोकथाम में उपभोक्ताओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। प्रत्येक उपभोक्ता (विशेषकर गृहिणियों) को अपमिश्रण से बचने हेतु जागरूक होना चाहिए। इसके लिए कुछ आवश्यक बिंदुओं का ध्यान रखना चाहिए जैसे खुली खाद्य सामग्री न खरीदें। अधिकतर मानक प्रमाण चिन्ह (एगमार्क, एफपीओ , आईएसआई, हॉलमार्क) अंकित सामग्री खरीदें तथा खरीदे जाने वाली सामग्री के गुणों, रंग, शुद्धता आदि की समुचित जानकारी रखें। (हिफी)
(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)