आधी रात ईमेल का जवाब देते सीजेआई
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ के कार्य करने की अलग शैली है। उन्हांेने पिछले दिनों मंे अपने आदेशों से देश भर की निगाहें सुप्रीम कोर्ट की तरफ मोड़ दी हैं। मामला चाहे इलेक्टोरल बांड का हो, जिसमें मजबूर होकर स्टेट बैंक आफ इंडिया (एसबीआई) को सारी जानकारी निर्वाचन आयाग को देनी पड़ी है। चंडीगढ़ मंे मेयर का चुनाव कराने वाले अधिकारी को फटकार लगायी तो तमिलनाडु के राज्यपाल को भी उनका दायित्व स्मरण कराया है। वह कहते हैं कि वर्किंग लाइफ के हर पल मंे सामान्य जनता के लिए मैं मौजूद रहना चाहता हूं। कोई आधी रात को भी ईमेल करे तो उसका जरूरी होगा तो जवाब दूंगा। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कोर्ट में दिव्यांगों के लिए हेल्प डेस्क शुरू की है। इस प्रकार सर्वोच्च न्यायालय में काम करने के तरीके में काफी बदलाव देखा जा रहा है। लोकतंत्र के तीन स्तम्भों मंे न्यायपालिका को वैेसे भी सबसे भरोसेमंद माना जाता है और सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ जैसे न्यायाधीशों ने इसे बरकरार भी रखा है।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के काम करने के तरीके में पिछले कुछ समय में काफी बदलाव आया है। इसकी एक वजह चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी हैं। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने का कहना है कि अगर आधी रात को भी किसी गंभीर मुद्दे की उन्हें जानकारी मिलती है, तो उस मामले की अगले दिन सुनवाई के लिए भी वह तैयार रहते हैं। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने एक केस का जिक्र करते हुए कहा, मुझे एक बार आधी रात को एक संदेश मिला कि एक लड़की को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी की इजाजत चाहिए। इस लड़की के पास समय बहुत कम था, मामले की गंभीरता को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने भांप लिया। उन्होंने बताया, मैंने तुरंत अपने सहकर्मियों को रात में ही इस केस के बारे में सूचित किया और अगले दिन सुबह उस केस पर सुनवाई की गई। डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया कि यह पहला मौका नहीं था, जब इतने कम समय में बेंच बनाकर किसी मामले की सुनवाई की गई। हमारे सामने आना वाला कोई केस छोटा या बड़ा नहीं होता है। अगर किसी का घर गिराया जा रहा है, किसी को सरेंडर करना है, लेकिन उसकी मेडिकल कंडीशन ठीक नहीं है, किसी की नौकरी का मुद्दा है। ऐसी कई समस्याएं लेकर लोग सुप्रीम कोर्ट में आते हैं। इन सभी समस्याओं को हम गंभीरता से लेते हैं और उन्हें सुलझाने की कोशिश करते हैं।
सीजेआई चंद्र चूड़ कहते हैं अदालतों को बनाने का मकसद ही आम लोगों को न्याय दिलाने के लिए हुआ था। इसलिए हम सभी मामलों को एक ही नजरिये से देखते हैं। हमारा उद्देश्य आम लोगों के लिए खड़ा रहना है। हमारे लिए यह मायने नहीं रखता कि किस राज्य में किसकी सरकार है।लोग जब अदालतों पर भरोसा जताते हैं, तब हमें इस संवैधानिक ढांचे का अहम हिस्सा होने पर खुशी होती है। मैं लोगों को यहां से एक संदेश देना चाहता हूं कि हम अपनी वर्किंग लाइफ के हर पल में आम लोगों के लिए मौजूद हैं।
सुप्रीम कोर्ट इसी का नतीजा है कि में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि उसने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन कर दिया है। चुनाव आयोग को दानदाता और लाभार्थी पक्ष की चुनावी बॉन्ड संख्या दे दी गई है। एसबीआई के चेयरमैन दिनेश खारा ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बैंक ने अब ईसीएल को संचयी रूप से म्ठ क्रेता का नाम, मूल्यवर्ग और ईबी की विशिष्ट संख्या, भुनाने वाली पार्टी का नाम और पार्टी के बैंक खाते के अंतिम चार अंक दिए हैं। हलफनामे में कहा गया है कि चुनावी बॉन्ड का कोई अन्य विवरण अब बैंक के पास नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भारतीय स्टेट बैंक ने चुनावी बॉन्ड पर सारी जानकारी चुनाव आयोग को सौंप दी है। चुनाव आयोग को दिए डेटा में चुनावी बॉन्ड के सभी यूनीक नंबर शामिल हैं। इन यूनीक नंबरों के जरिए दानदाताओं और चंदा पाने वाले राजनीतिक दलों के बारे में जानकारी मिल सकेगी। गत 18 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से कहा था कि हम जो जानकारी आपसे चाहते हैं, वो आप अभी तक नहीं दे पाएं हैं। हमने आपसे जो भी जानकारी मांगी है, उसे देने के लिए आप बाध्य हैं। आपको हर जानकारी विस्तार से देनी होगी।
सीजीआई चंद्रचूड़ ने मीडिया और कैमरामैन की एक बहुत बड़ी मांग को पूरा कर दिया है। उन्होंने महज दो महीनों में ही अपने इस वादे को पूरा किया है। दरअसल, पिछले एक दशक से पहले से ही यह मांग उठाई जाती रही है कि सुप्रीम कोर्ट के लॉन में केसों की कवरेज के लिए रोजाना घंटों तक कैमरामेन अपने उपकरण लेकर खड़े रहते हैं और इस वजह से उनके लिए सिर पर छत का इंतजाम किया जाए। सीजेआई चंद्रचूड़ ने मीडिया और कैमरा के लोगों की इस मांग को पूरा कर दिया है। कमेटी ने दिव्यांगों के लिए हेल्प डेस्क के साथ-साथ इस मीडिया इनक्लोजर का भी फीता काटकर शुभारंभ किया। अब ना केवल उनके बैठने की व्यवस्था है बल्कि पंखें, बिजली सॉकेट और वाटर कूलर का इंतजाम भी किया गया है। कुछ महीने पहले सीजेआई चंद्रचूड़ मीडिया लाउंज में आए थे तब उनके सामने कैमरामैन की समस्याओं को रखा गया था। उन्होंने कहा था कि वो इस मुद्दे पर विचार करेंगे। इसके कुछ दिन बाद ही लॉन में कैमरामैन के लिए इस इनक्लोजर के निर्माण का काम शुरू हो गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने एक डीएमके नेता की दोषसिद्धि पर रोक लगाए जाने के बावजूद उन्हें दोबारा मंत्री बनाए जाने से इनकार करने पर तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि को भी कड़ी फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सख्त टिप्पणी करते हुए केंद्र सरकार से पूछा कि, अगर राज्यपाल संविधान का पालन नहीं करते हैं, तो सरकार क्या करती है? पीठ ने राज्यपाल को डीएमके के नेता के पोनमुडी को मंत्री नियुक्त करने के लिए एक दिन का समय दिया। आरएन रवि द्वारा के पोनमुडी को राज्य मंत्रिमंडल में फिर से शामिल करने से इनकार करने के बाद एमके स्टालिन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। तमिलनाडु सरकार ने राज्यपाल के कदम पर कहा है कि यह संवैधानिक नैतिकता के खिलाफ होगा। मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में संपत्ति मामले में बरी किए जाने के फैसले को पलटने के बाद पोनमुडी को विधायक के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दोषसिद्धि और दो साल की जेल की सजा पर रोक लगा दी। इसके बाद तमिलनाडु सरकार ने पोनमुडी को मंत्री पद पर बहाल करने की मांग की थी, लेकिन राज्यपाल ने कहा कि उनकी सजा को केवल निलंबित किया गया है।
चीफ जस्टिस ने कहा कि राज्यपाल सर्वोच्च न्यायालय की अवहेलनाष् कर रहे हैं। उन्होंने कहा, जिन्होंने उन्हें सलाह दी है उन्होंने उन्हें ठीक से सलाह नहीं दी है। सीजेआई ने कहा हमें संवैधानिक कानून के अनुसार चलना होगा। मुख्यमंत्री कहते हैं कि हम इस व्यक्ति को नियुक्त करना चाहते हैं, राज्यपाल को संसदीय लोकतंत्र के हिस्से के रूप में ऐसा करना चाहिए। वे राज्य के एक औपचारिक प्रमुख हैं। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)