अखिलेश के लिए सिरदर्द बना रामपुर
समाजवादी पार्टी (सपा) नेता अखिलेश यादव को विपक्षी दलों के महागठबंधन इंडिया की तरफ से उत्तर प्रदेश मंे ही अपना दमखम दिखाना है। उन्होंने गठबंधन के जो समीकरण बनाए थे, वे नहीं बन पाये लेकिन कांग्रेस के साथ समझौता करके वे सबसे बड़े विपक्षी नेता जरूर माने जा रहे हैं। वह अगर इस बार दहाई से ऊपर सांसद जुटा ले जाते हैं तो यह उनकी बड़ी सफलता होगी। इसीलिए अपनी पार्टी के वर्चस्व वाली सीटों पर बहुत सोच-समझकर प्रत्याशी उतार रहे हैं। रामपुर सीट यूपी की हाईप्रोफाइल सीटों मंे से एक है। यहां पर अभी दो साल पहले 2022 मंे हुए उपचुनाव मंे भाजपा ने मोहम्मद आजम खान का किला धराशायी करते हुए घनश्याम लोधी को सांसद बनवा दिया। आजम खान के प्रभाव वाली इस सीट पर 2014 में भी भाजपा के नेपाल सिंह ने विजयश्री प्राप्त की थी। नेपाल सिंह को इस सीट से 358616 वोट मिले थे जबकि सपा नेता नसीर अहमद को 3 लाख 35 हजार 181 वोट मिले थे। जाहिर है कि मुकाबला कांटे का था और 2019 के लेाकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के मोहम्मद आजम खान ने इस सीट पर कब्जा भी कर लिया। इस बीच रामपुर की राजनीति में काफी बदलाव आ चुका है। आजम खान का परिवार चुनाव लड़ने के अयोग्य हो गया है। इसलिए वह चाहते हैं कि अखिलेश यहां से चुनाव लड़ें लेकिन अखिलेश यादव किसी प्रकार का रिस्क नहीं लेना चाहते। भाजपा ने घनश्याम लोधी को ही फिर से टिकट दिया है। सपा की तरफ से पहले तेज प्रताप यादव को प्रत्याशी बनाये जाने की चर्चा थी लेकिन बाद मंे एमटी हसन का नाम चर्चा में आया। आजम खान हरहालत में रामपुर की सीट सपा के खाते में आते देखना चाहते हैं और अखिलेश यादव को वहां से प्रत्याशी बनाने के पक्ष में हैं। बहरहाल सपा ने मोहिबुल्ला नदवी को रामपुर से प्रत्याशी बनाया है।
उत्तर प्रदेश की रामपुर सीट से समाजवादी पार्टी दिल्ली पार्लियामेंट स्ट्रीट पर स्थित जामा मस्जिद के इमाम को प्रत्याशी घोषित किया है। आजम खान की सीट रामपुर पर पहले तेज प्रताप यादव और फिर डॉ. एसटी हसन का नाम चर्चा में आया था। माना जा रहा था कि दोनों में से किसी एक को पार्टी यहां से उम्मीदवार बना सकती है। डॉ. एसटी हसन को मुरादाबाद से रामपुर भेजने की खबर फैलते ही मुरादाबाद में सपा समर्थकों ने काफी हंगामा किया। वहीं रामपुर से अखिलेश यादव के चुनाव न लड़ने के फैसले के बाद पार्टी के लोगों ने चुनाव बहिष्कार का दावा किया। सूत्रों के मुताबिक आजम खान ने अखिलेश यादव से रामपुर सीट से चुनाव लड़ने के लिए कहा था। हालांकि, अखिलेश यादव ने यहां से चुनाव लड़ने से मना कर दिया था और इसी कारण यहां से किसी भी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की गई थी। आजम खान ने सीतापुर जेल से पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने रामपुर सीट से अखिलेश यादव को चुनाव लड़ने के लिए कहा। उन्होंने अपने पत्र में लिखा, रामपुर के समाजवादी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ अत्याचार हुआ है। हमने सोचा है कि रामपुर के माहौल को बदलने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष (अखिलेश यादव) का रामपुर आना जरूरी है। उन्होंने लिखा, पिछले दो उपचुनावों में जो हुआ है उसे भूला नहीं जा सकता है। हम जिंदगीभर नवाबों और बाहुबलियों से लड़कर यहां तक पहुंचे हैं और आज जो कुछ हो रहा है उसे भी रामपुर के सभी लोग देख रहे हैं। हमने बहुत चुनाव लड़े और जीते भी लेकिन साथ ही हमने हार भी देखी है, लेकिन कभी हम हौंसला नहीं हारे। हालांकि, जब चुनाव-चुनाव न रहे तो सोचना पड़ता है कि एक ही जिले और मंडल में एक ही अधिकारी चुनाव आयोग के नियमों के विरुद्ध जा रहा है तो उसका उद्देश्य सिर्फ चुनाव हराना है। इसे समझा जा सकता है। इस माहौल और हालात में हम चुनाव का बहिष्कार करते हैं।
उत्तर प्रदेश की रामपुर सीट से समाजवादी पार्टी ने दिल्ली पार्लियामेंट स्ट्रीट पर स्थित जामा मस्जिद के इमाम मोहिबुल्लाह नदवी को प्रत्याशी बनाया है। सपा द्वारा इसकी घोषणा कर दी गई है और नामांकन के लिए उन्हें फॉर्म ए भी जारी कर दिया है। उत्तर प्रदेश में 27 मार्च को नामांकन का आखिरी दिन था। बीजेपी के रामपुर से प्रत्याशी घनश्याम लोथी ने अपना नामांकन किया।
रामपुर लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश की हाई प्रोफाइल सीट में से एक है। 2014 में इस सीट से बीजेपी के नेपाल सिंह ने जीत दर्ज की थी। उन्हें इस सीट से 3,58,616 वोट मिले थे, जबकि सपा नेता नसीर अहमद 3,35,181 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे थे। हालांकि, 2019 में इस सीट से समाजवादी पार्टी के आजम खान ने जीत दर्ज की थी। हालांकि, इसके बाद 2022 में हुए उपचुनाव में बीजेपी के घनश्याम लोधी ने यहां जीत दर्ज की थी। इतना ही नहीं बीजेपी ने एक बार फिर इस सीट से घनश्याम लोधी को ही टिकट दिया है।
समाजवादी पार्टी (सपा) ने लोकसभा चुनाव के साथ उत्तर प्रदेश की चार विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए भी अपने तीन उम्मीदवारों की घोषणा की। समाजवादी पार्टी ने ददरौल विधानसभा क्षेत्र से अवधेश कुमार वर्मा को, गैंसड़ी विधानसभा क्षेत्र से राकेश यादव को और दुद्धी विधानसभा क्षेत्र से विजय सिंह गोंड को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चैधरी ने बताया कि पार्टी ने अभी तक लखनऊ पूर्व विधानसभा क्षेत्र के लिए अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। उत्तर प्रदेश की चार विधानसभा सीट पर उपचुनाव लोकसभा चुनाव के साथ चार चरणों में होंगे। राज्य की जिन चार विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है, वे शाहजहांपुर जिले की ददरौल, लखनऊ जिले की लखनऊ पूर्वी, बलरामपुर जिले की गैसड़ी और सोनभद्र जिले की दुद्धी विधानसभा सीट हैं। विधानसभा उपचुनाव कार्यक्रम की जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया था कि ददरौल विधानसभा सीट पर उपचुनाव चतुर्थ चरण में 13 मई को होगा जबकि लखनऊ पूर्वी विधानसभा सीट पर उपचुनाव पांचवे चरण में 20 मई, गैसड़ी में छठे चरण में 25 मई और दुद्धी में सातवें चरण में एक जून को मतदान होगा। मतगणना चार जून को होगी।
लखनऊ पूर्वी विधानसभा क्षेत्र से विधायक आशुतोष टंडन के निधन के बाद उपचुनाव जरूरी हो गया है। टंडन का नौ नवंबर, 2023 को 63 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। लखनऊ पूर्व विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक रहे टंडन, योगी आदित्यनाथ की पहली सरकार में मंत्री रहे थे। ददरौल विधानसभा सीट पर भी विधायक मानवेंद्र सिंह (70) के निधन के बाद उपचुनाव कराया जा रहा है। ददरौल से भाजपा विधायक सिंह का लंबी बीमारी के बाद पांच जनवरी को दिल्ली में निधन हो गया था। बलरामपुर जिले का गैसड़ी विधानसभा सीट पर सपा विधायक डॉ. शिव प्रताप यादव के निधन के बाद उपचुनाव कराया जा रहा है।
इसी प्रकार दुष्कर्म के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद भाजपा विधायक रामदुलार गोंड को अयोग्य ठहराए जाने के बाद सोनभद्र जिले के दुद्धी विधानसभा क्षेत्र (अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित) पर उपचुनाव हो रहा है। नौ साल पहले एक लड़की से दुष्कर्म के आरोप में 25 साल के कठोर कारावास की सजा पाने वाले भाजपा विधायक रामदुलार गोंड को दिसंबर 2023 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)