राजनीति

वसुंधरा की नाराजगी से बदलेगी हवा

 

राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी ने वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के सभी समर्थक सांसदों के टिकट काट दिए हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे समर्थक विधायकों के बड़ी संख्या में टिकट काटे गए थे। अब लोकसभा चुनाव में भी उनके समर्थकों का सफाया हो गया है। सिर्फ वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह को झालावाड़ से पांचवीं बार सांसद का टिकट मिला है। इससे भाजपा की हवा बदल सकती है।

श्रीगंगानगर सीट पर पांच बार के मौजूदा सांसद निहालचंद मेघवाल का टिकट काटकर अनूपगढ़ नगर परिषद की अध्यक्ष प्रियंका बैलान को प्रत्याशी बनाया गया है। प्रियंका बैलान प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष सीपी जोशी के साथ युवा मोर्चा में प्रदेश सचिव रह चुकी है। निहालचंद मेघवाल 1996, 1999, 2004, 2014 व 2019 में सांसद व 1998 में रायसिंह नगर से विधायक रह चुके हैं। उनके पिता बेगाराम चैहान 1977 में जनता पार्टी से व 1989 में जनता दल से सांसद व 1972 में रायसिंह नगर से स्वतंत्र पार्टी की टिकट पर विधायक रह चुके हैं। निहालचंद के भाई लालचंद चैहान भी 2003 में रायसिंह नगर से भाजपा के विधायक रह चुके हैं। ऐसे में निहालचंद मेघवाल का टिकट काटने का सिर्फ एक ही कारण रहा है। उनका वसुंधरा राजे गुट में शामिल होना। कांग्रेस ने वहां से कुलदीप इंदौरा को प्रत्याशी बनाया है। इसी तरह चूरू से भाजपा के दो बार सांसद रहे राहुल कस्वां का टिकट काटने का भी मुख्य कारण वसुंधरा राजे से नजदीकी होना था। राहुल कस्वां चूरू में मजबूत जनाधार वाले नेता माने जाते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में नेता प्रतिपक्ष रहे राजेंद्र राठौड़ के तारानगर से चुनाव हारने के चलते राहुल कस्वां का टिकट काटा गया है। राहुल कस्वां स्वयं 2014 व 2019 में चूरू से भाजपा टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं। उनके पिता रामसिंह कस्वां चूरू से चार बार सांसद व सादुलपुर से विधायक रह चुके हैं।

राहुल कस्वां के दादा दीपचंद कस्वां 1980 में सादुलपूर सीट से निर्दलिय व राहुल कस्वां की माता कमला कस्वां 2008 में सादुलपुर से भाजपा की विधायक रह चुकी है। उनकी माता कमला कस्वां चूरू की जिला प्रमुख व पंचायत समिति प्रधान भी रही हैं। राहुल कस्वां उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के छोटे भाई कुलदीप धनकड़ के दामाद हैं। फिर भी उनका टिकट महज राजेंद्र राठौड़ के विरोध के चलते काटा गया है। अब राहुल कस्वां कांग्रेस टिकट पर चूरू लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

झुंझुनू से नरेंद्र कुमार खीचड़ का टिकट काटकर उदयपुरवाटी से पूर्व में विधायक रहे शुभकरण चैधरी को प्रत्याशी बनाया गया है। नरेंद्र खीचड़ भी वसुंधरा राजे के नजदीकी माने जाते रहे हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले स्वयं वसुंधरा राजे ने उनको भाजपा में शामिल करवा कर 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा टिकट पर प्रत्याशी बनवाया था। पिछली बार 2019 में उन्हें वसुंधरा राजे की सिफारिश पर ही लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया गया था। झुंझुनू में कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री शीशराम ओला के सुपुत्र विजेंद्र ओला को प्रत्याशी बनाया है।

इसी क्रम के जयपुर शहर लोकसभा सीट से भाजपा से दो बार लगातार सांसद व पूर्व जिला प्रमुख रहे रामचरण बोहरा का टिकट काटकर मंजू शर्मा को प्रत्याशी बनाया गया हैं। रामचरण बोहरा वसुंधरा राजे के नजदीकी लोगों में शुमार होते थे तथा उनके हर कार्यक्रम में पूरी सक्रियता से भाग लेते थे। इसी के चलते उनका टिकट काटा गया है। हालांकि मंजू शर्मा भी भाजपा के तीन बार प्रदेश अध्यक्ष व भाजपा की सभी सरकारों में मंत्री रहे दिग्गज नेता भंवरलाल शर्मा की पुत्री है तथा 2008 में हवामहल सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी बृजकिशोर शर्मा से मात्र 580 वोटो से चुनाव हार गई थी। चर्चा है कि मंजू शर्मा को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सिफारिश पर भाजपा का प्रत्याशी बनाया गया है।

दौसा से भाजपा सांसद जसकौर मीणा की टिकट काट दी गयी है। जसकौर मीणा पूर्व में सवाई माधोपुर से सांसद व बाजपेयी सरकार में राज्य मंत्री रह चुकी है। वह वसुंधरा राजे के नजदीकी मानी जाती है। दौसा सीट पर वर्तमान सांसद जसकोर मीणा अपनी पुत्री अर्चना मीणा को टिकट दिलवाना चाहती थी। वहीं राजस्थान सरकार में मंत्री किरोड़ीलाल मीणा अपने भाई जगमोहन मीणा को टिकट दिलवाना चाहते थे। ऐसे में भाजपा ने वहां से चार बार विधायक व मंत्री रह चुके कन्हैयालाल मीणा को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने दौसा से मौजूदा विधायक मुरारीलाल मीणा को प्रत्याशी बनाया है। करौली-धौलपुर लोकसभा सीट से भाजपा ने मौजूदा सांसद मनोज राजोरिया का टिकट काट कर पूर्व प्रधान इन्दु देवी जाटव को प्रत्याशी बनाया है। मनोज राजोरिया 2014 व 2019 में सांसद बनने में सफल रहे थे। उनका वसुंधरा राजे के प्रति जुड़ाव किसी से छिपा हुआ नहीं है। इसी के चलते उनका टिकट काटा गया है।

उदयपुर सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। यहां से लगातार दो बार सांसद रहे अर्जुनलाल मीणा का टिकट काटकर उनके स्थान पर परिवहन विभाग में कार्यरत मन्नालाल रावत को उम्मीदवार बनाया गया है। अर्जुन लाल मीणा वसुंधरा राजे गुट के माने जाते हैं। इसी के चलते उनका टिकट काट दिया गया है। कांग्रेस ने यहां से पूर्व जिला कलेक्टर ताराचंद मीणा को प्रत्याशी बनाया है। बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर मौजूदा सांसद कनकमल कटारा का टिकट काटकर कांग्रेस से भाजपा में आए विधायक महेंद्रजीत सिंह मालवीय को प्रत्याशी बनाया गया है। मालवीय प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी व लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की पसंद माने जाते हैं।

भीलवाड़ा लोकसभा सीट पर लगातार दो बार से सांसद बनते आ रहे सुभाष बहेड़िया का टिकट कटना भी तय माना जा रहा है क्योंकि यहां से अभी तक प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं हो पाई है, जबकि कांग्रेस ने यहां से दामोदर गुर्जर को अपना प्रत्याशी बना दिया है। सुभाष बहेड़िया ने 2019 का लोकसभा चुनाव 611460 वोटो के अंतर से जीता था। इतनी बड़ी जीत होने के बावजूद भी बहेड़िया का टिकट क्लियर नहीं होने के चलते कयास लगाए जा रहे हैं कि पिछली बार अजमेर से कांग्रेस प्रत्याशी रहे रिजु झुंझुनूवाला के भाजपा में शामिल होने के चलते भीलवाड़ा से उनको भी प्रत्याशी बनाया जा सकता है। अजमेर से भाजपा के मौजूदा सांसद व प्रत्याशी बनाये गये भागीरथ चैधरी पिछले विधानसभा चुनाव में किशनगढ़ सीट पर तीसरे स्थान पर रहे थे। मगर इसके बावजूद उनको प्रत्याशी बनाया गया है। भागीरथ चैधरी भी पहले वसुंधरा राजे के नजदीकी थे। मगर उन्होंने परिस्थितियों देखकर उनसे दूरी बना ली। इसी के चलते उनका प्रत्याशी बना दिया गया है।

बहरहाल राजस्थान भाजपा में अब पूरी तरह पीढ़ीगत बदलाव हो रहा हैं। एक तरफ जहां भजनलाल शर्मा जैसे आम कार्यकर्ता को वसुंधरा राजे पर तरहीज देते हुए मुख्यमंत्री बना दिया गया है। वहीं लोकसभा चुनाव में भी सभी वसुंधरा समर्थकों के टिकट काटकर नए लोगों को प्रत्याशी बनाना इस बात का संकेत है कि राजस्थान की राजनीति में अब वसुंधरा राजे का प्रभाव समाप्त हो रहा है और नई पीढ़ी के नेता आगे आ रहे हैं। (हिफी)

(रमेश सर्राफ धमोरा-हिफी फीचर)

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