राजनीति

चुनाव मैदान में अपनों से नाराजगी

 

जनसेवा के लिए चुनावी मैदान मंे उतरने वाले अपनों से ही नाराज दिखाई पड़ रहे हैं। देश को सबसे ज्यादा सांसद देने वाले राज्य उत्तर प्रदेश मंे सत्तारूढ़ भाजपा ने अपने पूर्व सांसद वरुण गांधी को इस बार पीलीभीत से टिकट नहीं दिया लेकिन उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी करते हुए वरुण गांधी की माताश्री मेनका गांधी को सुल्तानपुर से टिकट दे दिया है। अब वरुण गांधी अपनों से नाराज तो हैं लेकिन नाराजगी जता नहीं सकते। उधर, यूपी के बाद सबसे ज्यादा सांसद (48) देने वाले महाराष्ट्र मंे विपक्षी दलों का गठबंधन बिखरता नजर आ रहा है। वरिष्ठ नेता शरद पवार नाराज बताए जा रहे हैं। उनकी नाराजगी वाजिब भी है क्योंकि जब गठबंधन है तो उम्मीदवारों की सूची एक साथ और सहमति से जारी होनी चाहिए थी लेकिन पहले कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी घोषित किये, फिर शिवसेना ने भी उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी। कांग्रेस और शिवसेना मंे आरोपों से तीर भी चल रहे हैं। इसी तरह बिहार मंे भी अपनों से नाराजगी साफ-साफ दिखाई पड़ रही है। राजीव रंजन उर्फ पप्पू यादव ने अपनी पार्टी का कांग्रेस मंे विलय कर दिया है। वह पूर्णिया सीट अपनी पार्टी के लिए चाहते थे लेकिन वहां से गठबंधन की तरफ से बीमा भारती को प्रत्याशी बना दिया गया है। स्वाभाविक है कि पप्पू यादव इससे नाराज हैं। बीमा भारती जद(यू) से राजद मंे आयी हैं। हिमाचल में प्रतिभा सिंह ने मंडी से चुनाव लड़ने से ही इंकार कर दिया है। वहां भाजपा प्रत्याशी कंगना को लेकर सुप्रिया श्रीनेत ने अभद्र टिप्पणी की थी।

बिहार मंे जदयू से राजद में आने और पूर्णिया सीट का सिंबल मिलने के बाद बीमा भारती पहली बार पूर्णिया पहुंचीं। पूर्णिया में राजद कार्यकर्ताओं ने उनका जबरदस्त स्वागत किया। इस मौके पर मीडिया से बात करते हुए बीमा भारती ने कहा कि पूर्णिया से इंडिया गठबंधन का उन्हें आशीर्वाद मिला है और वह चुनाव लड़ रही हैं। बीमा भारती का यह बयान पप्पू यादव के लिए बहुत बड़ा झटका है। बीमा भारती ने कहा कि वह 3 अप्रैल को नामांकन करेंगी। पप्पू यादव की बाबत पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पप्पू यादव भी उन्हें सहयोग करेंगे, क्योंकि महागठबंधन का आशीर्वाद उन्हें मिल चुका है और यह सर्वमान्य निर्णय है। उन्होंने कहा कि वह पप्पू यादव का सम्मान करते हैं। पप्पू यादव के भी पूर्णिया से चुनाव लड़ने के दावा पर बीमा भारती ने कहा कि वह मेरे गार्जियन हैं और उम्मीद है कि वह मेरे साथ रहेंगे मुझे सहयोग करेंगे। पप्पू यादव पूर्णिया नहीं छोड़ेंगे।

महागठबंधन के नेता कोई बीच का रास्ता भी निकाल सकते हैं और न तो पूर्णिया और न ही मधेपुरा, बल्कि पप्पू यादव को सुपौल संसदीय सीट से चुनाव लड़ने के लिए कहा जा सकता है। हालांकि, पप्पू यादव मानेंगे या नहीं इसको लेकर अभी संशय है, क्योंकि कांग्रेस पप्पू यादव की सीट को लेकर आश्वस्त थी। पप्पू यादव ने कई बार कहा भी है कि ‘पूर्णिया मेरी मां है और मैं पूर्णिया नहीं छोड़ूंगा भले ही जान दे दूंगा’। अब देखने वाली बात होगी कि पप्पू यादव का अगला कदम क्या होगा?

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार होने के बावजूद पार्टी का कोई भी दिग्गज मंडी संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने को तैयार नहीं है। वर्तमान सांसद प्रतिभा सिंह ने पार्टी नेतृत्व से चुनाव न लड़ने की इच्छा जताई है। हालांकि शीर्ष नेतृत्व ने उनकी हां में हां नहीं मिलाई है।नामांकन को अभी 50 दिन से अधिक का समय होने की बात कह टिकट पर चर्चा फिलहाल आने वाले कुछ दिनों के लिए टाल दी है। प्रतिभा सिंह को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने को कहा गया है। इससे मंगलवार को दिल्ली में आयोजित कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में मंडी संसदीय क्षेत्र से पार्टी प्रत्याशी को लेकर कोई निर्णय नहीं हो पाया है। रतिभा सिंह ने 2021 में विपरीत हालात में उपचुनाव लड़ भाजपा को पटखनी देकर जीत हासिल की थी। अब चुनाव से कन्नी काटने की बात कर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को दुविधा में डाल दिया है। यह संसदीय क्षेत्र प्रतिभा सिंह व उनके स्व। पति वीरभद्र सिंह की कर्मभूमि रही है। 1971 से 2021 तक दोनों ने नौ बार चुनाव लड़ा है। वीरभद्र सिंह को एक व प्रतिभा सिंह को दो बार हार का सामना करना पड़ा था। पति-पत्नी दोनों ही तीन-तीन बार विजयी हुए हैं। प्रतिभा सिंह ने चुनाव न लड़ने की इच्छा जताते हुए पूर्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर (ज्ञंनस ैपदही ज्ींानत) और विधानसभा चुनाव में भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व मंत्री खीमी राम शर्मा का नाम आगे बढ़ाया है।
भाजपा से टिकट कटने के बाद मौजूदा सांसद वरुण गांधी का पहला रिएक्शन सामने आया है। वरुण गांधी ने 27 मार्च को एलान करते हुए कहा कि वह पीलीभीत सीट से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। वरुण गांधी ने कहा, बिना किसी भेदभाव के अपने निर्वाचन क्षेत्र और उसके लोगों की भलाई और कल्याण के लिए किए गए मेरे सभी ईमानदार योगदानों के बावजूद मेरे साथ क्या हुआ, इसकी मुझे उम्मीद नहीं थी। उधर, जितिन प्रसाद ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया है, जो नामांकन प्रक्रिया के समापन का प्रतीक है। पीलीभीत 1989 से भाजपा सांसद मेनका और फिर वरुण गांधी का गढ़ रहा है, जब उन्होंने जनता दल के बैनर तले इस निर्वाचन क्षेत्र से अपनी पहली लोकसभा जीत हासिल की थी। वह 1991 का चुनाव हार गई थीं, लेकिन 1996 में उन्होंने फिर से पीलीभीत सीट जीत ली और 1996, 1998, 1999 और 2004 में भी इस सीट से जीतती रहीं। इस प्रकार वरुण गांधी ने अपनी नाराजगी भी जता दी है।

मेनका गांधी ने 2009 में वरुण गांधी को कमान सौंपी जो बीजेपी के चुनाव चिह्न पर जीते थे। मेनका गांधी 2009 में सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर स्थानांतरित हो गईं, 2014 में पीलीभीत लौट आईं और 2019 में वापस सुल्तानपुर चली गईं। बता दें, 1989 के बाद यह पहला चुनाव होगा, जब मेनका गांधी और उनके बेटे पीलीभीत से मैदान में नहीं होंगे। लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी जितिन प्रसाद ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया है।

यूपी के बाद सबसे ज्यादा सांसद देने वाले महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी में नाराजगी की खबर सामने आ रही है। उद्धव ठाकरे के एक तरफा उम्मीदवार घोषित करने से कांग्रेस खुश नहीं है। पहले कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने अपना गुस्सा जाहिर किया और अब कांग्रेस के एक और नेता जीशान सिद्दीकी ने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा है। शिवसेना के एकतरफा 17 उम्मीदवारों के ऐलान से कांग्रेस में नाराजगी के सुर उठने लगे हैं। कांग्रेस नेता जीशान सिद्दीकी ने कहा, भाजपा से बड़ी दुश्मन शिवसेना यूबीटी ग्रुप है। शिवसेना कांग्रेस को खत्म कर रही है। ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। ये कोई नई बात नहीं है। शिवसेना की दादागिरी जबसे हमारी गठबंधन शुरू हुई तबसे है। सांगली की जो सीट है वो कांग्रेस की पारंपरिक सीट है। मुंबई साउथ सेंट्रल की भी सीट हमारी है। कल को ये भी हो सकता है कि अगर हम नॉर्थ सेंट्रल सीट से उम्मीदवार ना उतारें तो वो यहां से भी अपने उम्मीदवार उतार दें। हमारे नेता कुछ कहेंगे भी नहीं। हमारे घर बचाने से ज्यादा उनको गठबंधन बचाने की ज्यादा पड़ी है। ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। कार्यकर्ता नाराज हैं। जीशान सिद्दीकी ने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा, गठबंधन में रहते हुए शिवसेना ने कांग्रेस की कब्र खोदी है। मेरे खिलाफ 4 साल काम किया। कांग्रेस का कम सीट पर लड़ना, कांग्रेस की पारंपरिक सीट पर शिवसेना का लड़ना दुर्भाग्यपूर्ण है। महाआघाड़ी गठबंधन की बुनियाद कमजोर थी। राहुल गांधी को गुमराह किया जाता रहा है। राहुल गांधी को सही तस्वीर नहीं दिखाई गई। उनके सलाहकार सही बात नहीं बताते हैं। कांग्रेस पार्टी को अपने नेता-कार्यकर्ता की नहीं पड़ी है। पार्टी और कार्यकर्ताओं को एक दिन पता चलेगा की मैं क्यों गठबंधन के खिलाफ बोल रहा था। इस तरह अपनों के प्रति नाराजगी खुलकर सामने आ रही है। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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