सम-सामयिक

ऐसी हैवानियत कहां से आती है?

 

उत्तर प्रदेश के बदायूं में दो बच्चों की मौत ने पूरे देश को हैरान कर के रख दिया है। इस हत्याकांड में जिस तालिबानी तरीके से दो मासूम बालकों को धारदार हथियार से काट कर हत्या कर दी गई, वह किसी बेहद शातिर पेशेवर हत्यारे के कृत्य से भी अधिक खतरनाक व खौफनाक मालूम पड़ता है। इसे एक हिन्दू परिवार के घर के ठीक सामने सैलून चलाने वाले दो जालिमों ने अंजाम दिया। बच्चों की हत्या का आरोपी साजिद एनकाउंटर में मारा गया है। कई लोगों के मन में सवाल है कि आखिर क्या मामला था कि शख्स ने मासूमों की खौफनाक तरीके से हत्या करने से पहले एक बार सोचा भी नहीं। आखिर घर में घुसकर आरोपी साजिद हत्या कैसे कर पाया?

यूपी पुलिस के मुताबिक, साजिद नाम का शख्स जो नाई की दुकान चलाता है, वह सात बजे के लगभग अपनी दुकान के सामने विनोद नाम के शख्स के घर गया। जानकारी के अनुसार, दोनों एक दूसरे को पहले से जानते थे और उनमें कोई आपसी विवाद भी नहीं चल रहा था। साजिद ने विनोद के घर जाकर पहले उसकी मां और पत्नी से अपनी पत्नी की डिलीवरी के लिए पांच हजार रुपये उधार मांगे फिर तबियत बोझिल होने की बात कहते हुए चाय बनाने को कहा। इसके बाद उसने विनोद के तीन बच्चों आयुष, आहान और पीयूष पर छत पर जाकर धारदार हथियार से हमला शुरू कर दिया। इस हमले में आयुष, आहान की मौत हो गई, पीयूष को हल्की चोट आई है जिसका इलाज कराया जा रहा है। आरोपी दो बच्चों की हत्या को अंजाम देने के बाद मौके से फरार हो गया था। पुलिस ने पास से ही इसे पकड़ा तो इसने पुलिस पर हमला करने की कोशिश की। मुठभेड़ में साजिद को पुलिस ने मार गिराया। पुलिस ने कहा है कि अभी तक की जांच के मुताबिक आरोपी साजिद को एनकाउंटर में मार गिराया गया है। बच्चों की मां का कहना है कि आरोपी साजिद के साथ उसका भाई जावेद भी मृतकों के घर आया था। वह बाहर खड़े होकर इंतजार कर रहा था।

बदायूं में हुए इस जघन्य हत्याकांड के बाद से तनाव का माहौल बना हुआ है। एडीजी बरेली, आईजी राकेश सिंह मौके पर हैं। पुलिस का कहना है कि चुनाव के मद्देनजर पहले से फोर्स थी, कुछ लोगों ने विरोध किया पर उन्हें समझाया गया और बॉडी को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया। दोनों बालकों के शवों को पोस्टमार्टम के बाद परिवार को सोंप दिया गया। देर शाम बेहद गमगीन माहौल में दोनों बच्चों का अंतिम संस्कार कर दिया गया।

बदायूं की यह घटना स्वयं में दिल झकझोर देने वाली है। इस घटना में कई एंगल विचारणीय हैं। पीड़ित परिवार की महिलाओं के बयानों में बताया गया है कि नाई का काम करने वाला साजिद अपने भाई जावेद के साथ सैलून के सामने रहने वाले विनोद के घर पहुंचा और पत्नी को गर्भवती बताया और डिलीवरी के लिए अस्पताल में दाखिल होने की बात कहते हुए 5000 रुपये उधार मांगे जिस पर विनोद की पत्नी ने विनोद को फोन मिलाकर अनुमति लेकर 5000 रुपये साजिद को दिए तभी साजिद ने थोड़ा तबियत बोझिल होने का बहाना बनाते हुए संगीता का पार्लर देखने और थोड़ा खुले में जाने की बात कह कर आयुष(13 साल) बड़े बच्चे को साथ लेकर छत पर चला गया। बताया गया है कि इसी बीच बच्चों की मां संगीता ने साजिद के लिए चाय बनाकर भेजी, साजिद ने दूसरे बच्चे आहान को पानी लेने के लिए नीचे भेजा और इस बीच आयुष को बड़ी छुरी से मार दिया जब छोटा बालक आयान वहां पानी लेकर ऊपर पहुंचा तो उसने देखा कि साजिद ने बड़े भाई आयुष को धारदार हथियार से काट कर मार दिया था। आरोप है कि साजिद ने पानी लेकर गए छोटे बच्चे 7 साल के अयान को भी धारदार हथियार से काटकर मार दिया। इसी बीच मझला बालक पीयूष साजिद द्वारा मंगाया गया गुटखा मसाला लेकर छत पर पहुंचता है तो देखता है कि वहां उसके दोनों भाई खून से तरबतर जमीन पर पड़े तड़प रहे हैं और साजिद हाथ में छुरी लिये हुए पीयूष को पकड़ने के लिए दौड़ता है। पीयूष किसी तरीके से धक्का देकर उसके हाथ से छूट जाता है क्योंकि साजिद के पांव में शराब पिए हुए गिलास के टूटने से कांच लग जाता है। साजिद के चंगुल से बचा बालक पीयूष नीचे आता है। मां व दादी को हांफते हुए जल्दी से ऊपर का घटनाक्रम बताता है और मां दादी समेत घर से बाहर निकल जाता है और घर का दरवाजा बंद कर देता है, हत्यारा साजिद घर के अंदर बंद हो जाता है। इसी बीच महिलाओं की चीख पुकार सुनकर आसपास के लोग बचाव के लिए मौके की ओर दौड़ते हैं। लोग दरवाजा खोलते हैं तो साजिद बाहर खड़े अपने भाई जावेद की मदद से फरार होने में कामयाब हो जाता है। इसी बीच घटना की सूचना पाकर मौके पर पुलिस पहुंचती है और फरार बदमाशों का पीछा करती है। करीब आधा किलोमीटर दूर शेखपुरा के जंगल में पुलिस और फरार बदमाशों के बीच मुठभेड़ होती है जिसमें साजिद पिस्तौल से फायर करता है जिससे एक पुलिसकर्मी घायल हो जाता है। जवाबी फायरिंग में साजिद मौके पर ढेर हो जाता है जबकि उसका भाई जावेद भाग निकलने में कामयाब रहता है। इस पूरे घटनाक्रम में सबसे अधिक गौर करने वाली एक बात यह है कि अभी तक दोनों बच्चों के मर्डर के पीछे कोई मोटिव निकलकर सामने नहीं आया है। मृतक बच्चों के पिता विनोद और मां संगीता साजिद जावेद उसके परिवार से किसी भी तरह की रंजिश होने से इंकार करते हैं फिर ऐसी स्थिति में साजिद इन लोगों के घर में पहुंचकर दो मासूम बच्चों का इस निर्मम तरीके से कत्ल क्यों करता है? यह सवाल अनुत्तरित खड़ा है इस समुचित घटनाक्रम में सबसे अधिक चिंता जनक पहलू यह है कि रमजान के पाक महीने में एक मुस्लिम युवक हिंदू महिला के घर में आकर जबकि घर में कोई पुरुष सदस्य मौजूद नहीं है सिर्फ छोटे-छोटे बच्चे मौजूद हैं तो इस में उसकी एंट्री करने की इजाजत क्यों दी जाती है। वह तबीयत बोझिल होने का बहाना करके बच्चों के साथ घर की तीसरी मंजिल पर छत पर कैसे चला जाता है? और वहां शराब पीने की इजाजत उसे कौन देता है? क्या एक सामान्य घर में इस तरह की परमिशन किसी बाहरी आगंतुक को होती है? जबकि यह युवक तो मुस्लिम है और इससे किसी तरह का संबंध होने से परिवार इनकार कर रहा है। इस परिवार ने यह क्यों नहीं सोचा कि जब यह पड़ोसी युवक छत पर शराब पिएगा तो इसका छोटे बच्चों पर क्या असर पड़ेगा।

सवाल यही है कि क्या साजिद संगीता से एक तरफा प्यार करता था? क्या साजिद और संगीता के बीच किसी तरह का संबन्ध था? क्या साजिद तीनों बच्चों की हत्या कर संगीता और अपने बीच के कांटे साफ कर रहा था और इसीलिए उसने कहा कि उसने काम पूरा कर दिया है।

बहरहाल जो भी हो इस समूचे नृशंसता भरे घटनाक्रम ने पूरे देश को भीतर तक झकझोर दिया है सवाल यह है कि ऐसी हैवानियत कहां से आती है? आखिर क्यों एक 22 साल का बेखौफ हत्यारा दो मासूम बच्चों को मौत के घाट उतार देता है इतनी बहशियाना तरीके से हत्या की जाती है कि इंसानियत जार-जार हो जाती है कुछ सियासी दल राजनीतिक रोटी सेकने के लिए पुलिस के एनकाउंटर पर तमाम तरीके से सवाल उठाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन घटना की नृशंसता को देखते हुए पुलिस के किसी भी एनकाउंटर पर सवाल उठाना अनुचित मालूम पड़ता है। इसी बीच आपको बता दें कि प्रयागराज में भी एक ननद ने अपने दो मासूम भतीजों का लकड़ी के पटरे से सिर पर वार कर कत्ल कर दिया। नन्द अपनी भाभी से नाराज थी। (हिफी)

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)

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