राजनीति

दक्षिण के समीकरण सुधार रही भाजपा

 

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस बार लोकसभा चुनाव में चार सौ पार का लक्ष्य घोषित किया है। इस लक्ष्य को पाने के लिए पार्टी को दक्षिण भारत में विशेष प्रयास करने होंगे जहां तीन राज्यों में तो भाजपा का 2019 में खाता तक नहीं खुला था। दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक में भाजपा का आधार सबसे ज्यादा मजबूत है, जहां दो बार उसकी सरकार भी बन चुकी है। इसलिए कर्नाटक में जनता दल (सेक्यूलर) के साथ भाजपा ने फिर से मधुर संबंध बनाने का प्रयास किया है। जेडीएस के साथ मिलकर कांगे्रस की सरकार को अपदस्थ कर कुमार स्वामी को मुख्यमंत्री बनवाया था। इस बार सीटों को लेकर कुछ विवाद था लेकिन अब गलत फहमी दूर हो गयी है। भाजपा यहां की 28 लोकसभा सीटों को एनडीए की झोली में डालना चाहती है। इसी प्रकार दक्षिण भारत के राज्य आंध्र प्रदेश में भाजपा ने तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के साथ पहले भी सत्ता में भागीदारी की है। अब इस बार के लोकसभा चुनाव में टीडीपी नेता चंद्र बाबू नायडू के साथ गठबंधन हो गया है। वहां भाजपा 6 सीटों पर और टीडीपी 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। आंध्र प्रदेश में लोकसभा चुनाव के साथ ही राज्य विधानसभा के भी चुनाव हो रहे हैं। भाजपा ने चन्द्रबाबू नायडू को विधानसभा चुनाव में भी वरीयता दी है। टीडीपी 144 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इस प्रकार भाजपा बहुत ही संजीदगी से दक्षिण भारत में अपने समीकरण सुधार रही है। तमिलनाडु और केरल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिस तरह धुंआधार रैलियां कर रहे हैं और इससे पूर्व मंदिरों, मठों में सिर नवाया उससे यहां भी भाजपा का खाता खुल सकता है।
भाजपा के साथ सीट बंटवारे के मुद्दे पर नाखुशी जताने के एक दिन बाद जनता दल (सेक्युलर) के नेता एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि दोनों पार्टियों के बीच विश्वास की कमी है।

कुमारस्वामी ने कहा था कि उन्हें विश्वास है कि उनकी पार्टी को तीन से चार सीटें मिलेंगी। उन्होंने उस समय यह बात कही जब ये चर्चाएं चल रही हैं कि भगवा पार्टी केवल दो सीटें ही देगी। कुमारस्वामी ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी के नेताओं ने भाजपा द्वारा जद (एस) के नेताओं के साथ ‘सम्मानपूर्वक’ व्यवहार करने के बारे में बात करने के लिए कहा था। वहीं, नेताओं ने उनसे यह भी कहा कि वह भाजपा को राज्य की कम से कम 18 लोकसभा सीटों पर जद(एस) की मजबूत स्थिति के बारे में समझाएं। जद(एस) के प्रदेशाध्यक्ष कुमारस्वामी ने कहा, पार्टी की कोर कमेटी के सदस्यों और नेताओं की बैठक हुई, जिसके बाद मैंने भाजपा और जद(एस) के बीच 28 लोकसभा सीटों में मिलजुलकर, भरोसे के साथ काम करने के संबंध में संवादहीनता को लेकर हमारी पार्टी में हुई चर्चा के बारे में जानकारी साझा की। कुमारस्वामी ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गठबंधन के बाद उनके साथ कई बैठकों के दौरान जद (एस) के अनुरोध का हमेशा सम्मान किया है। जद (एस) पिछले सितंबर में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल हुआ और उसने भाजपा के साथ गठबंधन किया था।

आगामी लोकसभा चुनाव में क्षेत्रीय पार्टी तीन सीट मांड्या, हासन और कोलार पर चुनाव लड़ सकती है। वहीं, दोनों दलों के बीच हुए समझौते के अनुसार, प्रसिद्ध हृदय शल्य चिकित्सक और देवेगौड़ा के दामाद डॉ. सीएन मंजूनाथ को भाजपा के टिकट से बेंगलुरु ग्रामीण से मैदान में उतारा गया है। हालिया रिपोर्टों के अनुसार, भाजपा, कोलार सीट जद (एस) को देने के लिए तैयार नहीं है, जिससे क्षेत्रीय दल नाराज हो गया है। भाजपा के एस मुनीस्वामी कोलार से मौजूदा सांसद हैं।

इसी तरह आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) और बीजेपी के बीच सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत फाइनल हो गई है। भाजपा छह लोकसभा और 10 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। जबकि टीडीपी 17 संसदीय और 144 राज्य सीटों पर चुनाव लड़ेगी। समझौते के तहत, पवन कल्याण की जनसेना दो लोकसभा और 21 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। टीडीपी सुप्रीमो एन चंद्रबाबू नायडू ने बैठक के बाद ये घोषणा की।

वरिष्ठ भाजपा नेता और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आगामी संसदीय और विधानसभा चुनावों के लिए सीट बंटवारे को अंतिम रूप देने के लिए अमरावती में नायडू और पवन कल्याण के साथ बातचीत की थी। आंध्र प्रदेश में 25 लोकसभा और 175 विधानसभा सीटें हैं। जनसेना को पहले 24 विधानसभा और तीन लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ना था, लेकिन हाल ही में टीडीपी के एनडीए गठबंधन में शामिल होने के बाद सीट-बंटवारे के फॉर्मूले में उसे 21 विधानसभा और दो लोकसभा सीटें मिलीं।

2024 का चुनाव पहली बार होगा जब तीन दल एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पूर्व 2014 में, जब टीडीपी और भाजपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था, तब जनसेना उनकी बाहरी सहयोगी थी।
टीडीपी और जनसेना ने पहले ही 100 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है। नायडू ने कहा कि संबंधित पार्टियां जल्द ही अन्य उम्मीदवारों के नाम घोषित करेंगी। टीडीपी के एक सूत्र ने बताया अगर मोदी बैठक में भाग लेते हैं, तो यह एक दशक में पहली बार हो सकता है कि मोदी, नायडू और कल्याण एक साथ मंच शेयर करेंगे।

9 मार्च को टीडीपी आधिकारिक रूप से एनडीए में शामिल हो गई थी। टीडीपी ने 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले 2018 में एनडीए गठबंधन से अपना नाम वापस ले लिया था। आंध्र प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा न मिलने से नाराज चंद्रबाबू नायडू ने एनडीए सरकार से नाम वापस ले लिया था। उन्होंने गठबंधन से नाम वापस लेते हुए कहा था कि हमारा फैसला बिल्कुल सही है। उन्होंने कहा केंद्र सरकार ने आंध्र के लिए अपने वादे पूरे नहीं किए। हम बजट सत्र की शुरुआत से ही संसद में मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं, पर अब तक कोई जवाब नहीं मिला।चंद्रबाबू नायडू ने जून 2023 में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। इसके बाद से ही 2024 लोकसभा चुनावों से पहले टीडीपी की एनडीए में वापसी के कयास तेज हो गए थे।

अगस्त 1995 में चंद्रबाबू नायडू ने एनटीआर की सरकार गिराकर अपनी सरकार बनाई। एनटीआर की पार्टी टीडीपी भी दो टुकड़ों में बंटी। टीडीपी (नायडू) का नेतृत्व चंद्रबाबू नायडू कर रहे थे। 96 के लोकसभा चुनावों के लिए नायडू की टीडीपी अटल के नेतृत्व में एनडीए में शामिल हो गई। लेकिन तबसे लेकर 2009 के लोकसभा चुनाव तक संयुक्त आंध्रप्रदेश की 42 सीटों पर भाजपा एक भी सीट नहीं जीती। साल 2014 में टीडीपी और भाजपा ने आंध्रप्रदेश में एक साथ चुनाव लड़ा। चुनाव के नतीजे आने के बाद आंध्रप्रदेश का विभाजन हो गया था और फिर साल 2018 में टीडीपी गठबंधन से अलग हो गई।
जून 2017 की बात है। नरेंद्र मोदी और आंध्र प्रदेश के तब के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू एक मंच पर थे। नायडू ने मोदी का स्वागत किया। नायडू जब मंच से जाने लगे तो पीएम मोदी तेजी से उनकी तरफ बढ़े और हाथ पकड़कर जबरदस्ती अपनी कुर्सी पर बैठा दिया और खुद बगल में लगी दूसरी कुर्सी पर बैठ गए। ये वो दौर था जब चंद्रबाबू की पार्टी टीडीपी, भाजपा की अगुआई वाले एनडीए का हिस्सा थी। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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