राजनीति

गारंटियों से भरा कांग्रेस का न्यायपत्र

 

पहले चुनाव के समय किसी बड़े राजनीतिक दल का जब घोषणा पत्र जारी होता था, तब उसे बहुत गंभीरता से लिया जाता था। मतदान पर उसका असर भी पडता था लेकिन अब किसी भी दल के घोषणा पत्र को गंभीरता से नहीं लिया जाता। सभी दल जनता को मुफ्त में बांटने की घोषणा करते हैं। घोषणा पत्र को अलग-अलग नाम भी दिया जाने लगा है जैसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने घोषणा पत्र को संकल्प पत्र बताती है। इस बार के लोकसभा चुनाव के लिए गत 5 अप्रैल को कांग्रेस ने घोषणा पत्र जारी किया है। कांग्रेस इसे न्यायपत्र बता रही है। कांग्रेस को न्याय शब्द कुछ ज्यादा ही पसंद आ गया है जबकि देश की आम जनता यह समझ ही नहीं पा रही है कि कांग्रेस का न्याय से तात्पर्य क्या है। राहुल गांधी ने पिछले दिनों लम्बी यात्रा की थी। इस यात्रा को भी न्याय यात्रा बताया गया था। बहरहाल, अब कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए अपना न्यायपत्र जारी किया जिसमें पांच न्याय और 25 गारंटियां दी गयी हैं। गारंटियां मतलब वादे हालांकि गारंटी शब्द भी लगता है ‘मोदी की गारंटी’ से लिया गया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे कहते हैं कि हमारा यह न्यायपत्र राजनीति के इतिहास में न्याय के दस्तावेज के रूप में याद किया जाएगा। पांच न्याय का जिक्र है जैसे हिस्सेदारी न्याय, किसान न्याय, नारी न्याय श्रमिक न्याय और युवा न्याय। एक तरह से ये भी वादे हैं जैसे पिछले चुनावों मंे किये गये। इसके बावजूद कांग्रेस के इस न्यायपत्र को जेहन मंे रखना होगा ताकि सनद रहे और वक्त पर काम आए। भाजपा ने कांग्रेस के इस घोषणा पत्र की आलोचना की है। विपक्षी दलों का महागठबंधन भले ही बना है लेकिन एक-दूसरे के घोषणा पत्र का समर्थन तक कोई नहीं करता है।

कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए 5 अप्रैल को अपना घोषणापत्र जारी किया जो पांच ‘न्याय’ और 25 ‘गारंटी’ पर आधारित है। पार्टी ने इसे ‘न्याय पत्र’ नाम दिया है। पार्टी ने वादा किया कि देश में उसकी सरकार बनने पर वह जाति आधारित जनगणना कराएगी और आरक्षण की अधिकतम सीमा को बढ़ा कर 50 प्रतिशत से ज्यादा करेगी। कांग्रेस ने यह भी कहा है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को मिलने वाले 10 प्रतिशत आरक्षण को वह सभी वर्गों के गरीबों के लिए बिना भेदभाव के लागू करेगी। घोषणा पत्र में कांग्रेस ने यह भी कहा है कि सरकार में आने के बाद वह नई शिक्षा नीति को लेकर राज्य सरकारों के साथ परामर्श करेगी और इसमें संशोधन करें करेगी।
कांग्रेस ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में हुए भ्रष्टाचार के मामलों की जांच कराई जाएगी। कांग्रेस ने वादा किया कि वह ऊपरी अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए उच्चतम न्यायालय के साथ विचार विमर्श कर राष्ट्रीय न्यायिक आयोग का गठन करेगी।

कांग्रेस का घोषणापत्र पार्टी के पांच न्याय- ‘हिस्सेदारी न्याय’, ‘किसान न्याय’, ‘नारी न्याय’, ‘श्रमिक न्याय’ और ‘युवा न्याय’ पर आधारित है। पार्टी ने ‘युवा न्याय’ के तहत जिन पांच गारंटी की बात की है, उनमें 30 लाख सरकारी नौकरियां देने और युवाओं को एक साल के लिए प्रशिक्षुता कार्यक्रम के तहत एक लाख रुपये देने का वादा शामिल है।

कांग्रेस ने ‘किसान न्याय’ के तहत न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा, कर्ज माफी आयोग के गठन तथा जीएसटी मुक्त खेती का वादा किया है। ‘श्रमिक न्याय’ के तहत मजदूरों को स्वास्थ्य का अधिकार देने, न्यूनतम मजूदरी 400 रुपये प्रतिदिन सुनिश्चित करने, असंगठित मजदूरों के लिए जीवन और दुर्घटना बीमा, मुख्य सरकारी कार्यों में कांट्रैक्ट सिस्टम मजदूरी बंद और शहरी रोजगार गारंटी का वादा किया है। कांग्रेस ने ‘नारी न्याय’ के अंतर्गत ‘महालक्ष्मी’ गारंटी के तहत गरीब परिवारों की महिलाओं को एक-एक लाख रुपये प्रति वर्ष देने, केंद्र सरकार की नई नौकरियों में 50 प्रतिशत महिला आरक्षण, आशा, मिड डे मील और आंगनवाड़ी वर्कर्स का ज्यादा सैलरी, दोगुने सरकारी योगदान, महिलाओं को कानूनी हक और सरकारी योजनाओं की जानकारी देने वाली एक अधिकार-सहेली, हर पंचायत में, कामकाजी महिलाओं के लिए दोगुने होस्टल देने का वादा किया है। कांग्रेस ने घोषणापत्र में कहा कि लोगों से अपील है कि वे धर्म, भाषा, जाति से परे देखें और बुद्धिमानी से चुनें तथा लोकतांत्रिक सरकार स्थापित करें। साथ ही कहा कि सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए 25 लाख रुपये तक के कैशलेस बीमा का राजस्थान मॉडल अपनाया जाएगा।

भाजपा ने कांग्रेस के घोषणापत्र को झूठ का पुलिंदा बताया है। भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस पर तंज करते हुए कहा है कि कांग्रेस का मेनिफेस्टो को मतदाताओं में भ्रम उत्पन्न करने के लिए तैयार किया गया है। उन्होंने कहा है कांग्रेस ने विधानसभा और लोकसभा चुनावों के अपने पहले के घोषणापत्रों में किए गए किसी भी वादे को पूरा नहीं किया। उन्होंने कहा है कोविड महामारी को छोड़कर भाजपा शासन में मुद्रास्फीति सबसे कम और विकास दर उच्चतम रही है। घोषणापत्र जारी करने के अवसर पर कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल, महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा, पार्टी की घोषणा पत्र समिति के प्रमुख और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और कई अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद थे। पार्टी ने वादा किया कि देश में उसकी सरकार बनने पर वह जाति आधारित जनगणना कराएगी और आरक्षण की अधिकतम सीमा को बढ़ा कर 50 प्रतिशत से ज्यादा करेगी। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी का घोषणापत्र जारी होने के बाद कहा कि यह देश, लोकतंत्र एवं संविधान बचाने का चुनाव है तथा विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की तरफ से प्रधानमंत्री कौन होगा, इस बारे में चुनाव में जीत के बाद घटक दल मिलकर फैसला करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि यह चुनाव संविधान और लोकतंत्र को नष्ट करने का प्रयास करने वालों और संविधान एवं लोकतंत्र की रक्षा करने का प्रयास करने वालों के बीच है।

राहुल गांधी ने कहा, ‘‘यह चुनाव बुनियादी रूप से अलग है। मुझे नहीं लगता कि संविधान और लोकतंत्र को इतना खतरा पहले कभी था जितना आज है। उन्होंने दावा किया, एक तरफ, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संविधान और लोकतंत्र पर आक्रमण कर रहे हैं, संस्थाओं पर कब्जा कर रहे हैं। दूसरी तरफ ‘इंडिया’ गठबंधन है जो लोकतंत्र एवं संविधान की रक्षा करने के लिए है। यह देश, संविधान और लोकतंत्र बचाने का चुनाव है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, यह समझना होगा कि हिंदुस्तान के राजनीतिक ढांचे में क्या हो रहा है। आरएसएस, भाजपा और खासकर नरेन्द्र मोदी जी ने क्या बुनियाद बनाई है, सबसे पहले यह समझना होगा। जैसे विभिन्न कारोबारी क्षेत्रों में अडाणी का एकाधिकार है, उसी तरह नरेन्द्र मोदी ने पॉलिटिकल फाइनेंस (राजनीतिक वित्तपोषण) का एकाधिकार बना लिया है।
उन्होंने दावा किया कि यह एकाधिकार सीबीआई और ईडी जैसी तमाम संस्थाओं पर कब्जा करके कायम किया गया है। राहुल गांधी के अनुसार, यह सारी जानकारी चुनावी बॉण्ड के जरिये सामने आ गई है। उन्होंने दावा किया, ‘‘नरेन्द्र मोदी ने पूरे विपक्ष को चुनावी बॉण्ड के जरिये एक ‘चार्जशीट’ पकड़ा दी है। इसलिए नरेन्द्र मोदी को थोड़ा डर लग रहा है। ऐसे में वह 400 पार की बात कर रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि कहीं 180 या 160 हुआ तो नैया डूब जाएगी। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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