बच्चो का कोना

वादा निभाना सरकार का दायित्व

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

सरकार का दायित्व ज्यादा है क्योंकि उसके पास शक्ति और संसाधन दोनों रहते है। योगी सरकार किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने में जुट गई है। वर्ष 2022-23 में प्रदेश सरकार विशिष्ट एफपीओ योजना के तहत 825 एफपीओ स्थापित करने जा रही है। संगठित खेती करने से किसानों को उनके उपज की और बेहतर कीमत मिल सकेगी। राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई एनएएम) ने कृषि उत्पादों के लिए बेहतर कारोबारी अवसरों को बढ़ावा देते हुए कई कीर्तिमान रचे हैं।

योगी आदित्यनाथ की सरकार किसानों को बड़ी सुविधा देने जा रही है। वहीं, सरकार के इस कदम से किसानों को उनकी फसल का और बेहतर मूल्य मिलेगा, तो बिचैलियों के जाल से मुक्ति मिल सकेगी। भाजपा सरकार एक वर्ष में विकासखंडवार 825 एफपीओ स्थापित करने जा रही है, इसके लिए 354.75 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है। इससे प्रदेश के 4 लाख किसानों को लाभ पहुंचेगा। साथ ही 100 दिनों में प्रत्येक विकासखंड में एक विशेष फसल का चुनाव किया जाएगा। ये सभी कार्य सरकार के दायित्व भी हैं। विधानसभा चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दलों ने जनता से तमाम वादे किये थे। हालांकि उनमें से कुछ ललचाने वाले थे जो वोट पाने के लालच में किये गये थे। स्कूटी नकद पैसा और किसानों की कर्ज माफी भी लोक लुभावन वादे हैं लेकिन किसानों की फसल का उचित मूल्य दिलाना युवाओं को रोजगार और शिक्षा स्वास्थ्य, सुरक्षा महिला सशक्तीकरण भी सरकार के दायित्व हैं। सरकार ही नहीं बल्कि यह कर्तव्य तो सभी जनप्रतिनिधियों का है चाहे वे ग्राम प्रधान ही क्यों न हो। कर्तव्य निभाने का दायरा छोटा-बड़ा हो सकता है। विपक्ष के विधायक और सांसद भी इससे बरी नहीं हो सकते। वे आवाज तो उठा ही सकते हैं। दबाव बनाने के लिए धरना-प्रदर्शन भी कर सकते हैं।
सरकार का दायित्व ज्यादा है क्योंकि उसके पास शक्ति और संसाधन दोनों रहते है। योगी सरकार किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने में जुट गई है। वर्ष 2022-23 में प्रदेश सरकार विशिष्ट एफपीओ योजना के तहत 825 एफपीओ स्थापित करने जा रही है। संगठित खेती करने से किसानों को उनके उपज की और बेहतर कीमत मिल सकेगी। राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई एनएएम) ने कृषि उत्पादों के लिए बेहतर कारोबारी अवसरों को बढ़ावा देते हुए कई कीर्तिमान रचे हैं। इस अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल का उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 14 अप्रैल 2016 को किया गया था। बीते छह सालों से यह मंडी संचालन को सुव्यवस्थित करने, ई.बिडिंग द्वारा मूल्य खोज को बढ़ावा देने और गुणवत्ता परख प्रणाली को स्थापित करने का काम कर रही है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के तहत काम करने वाला ‘लघु कृषक कृषि व्यापार संघ’ (एसएफएसी) ई-नाम को लागू करने वाली सबसे बड़ी संस्था है।
किसान अब राजनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके हैं। उत्तर भारत में तो किसान आंदोलन ने केंद्रीय सरकार को हिला दिया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजनीतिक दूरदर्शिता दिखाते हुए विवादास्पद तीनों क्रषि कानून वापस ले लिये थे। चार राज्यों में इसीलिए कोई विपरीत प्रभाव नहीं पडा और भाजपा की सरकार बन गयी लेकिन किसानों को लेकर राजनीति अब भी हो रही है। दक्षिण भारत के राज्य तेलंगाना के मुख्यमंत्री और तेलंगाना राष्ट्र समिति के अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव ने केंद्र सरकार को चुनौती दी है। उन्होंने यह चुनौती केंद्र सरकार की धान खरीद नीति के खिलाफ दी है। पिछले कुछ समय से चंद्रशेखर राव लगातार पीएम मोदी और केंद्र सरकार पर निशाना साथ रहे हैं और अब उन्होंने सरकार को सीधे-सीधे चेतावनी दे डाली है। सीएम ने केंद्र सरकार से कहा कि जल्द से जल्द नई कृषि नीति लाओ नहीं तो हम सत्ता से हटा देंगे और इसकी ताकत है हमारे पास। खैर, यह तो उनका बड़बोलापन है। मोदी की सरकार गिराने की उनकी हैसियत नहीं है लेकिन उत्तर प्रदेश में किसानों के नेता दक्षिण भारत में अपने पैर जमाना चाहते हैं। इसलिए टीआरएस नेता की धमकी को हल्के में भी नहीं लेना चाहिए।
बता दें कि तेलंगाना के सीएम चंद्रशेखर राव, टीआरएस एमएलसी के. कविता और टीआरएस पार्टी के कई अन्य नेताओं ने धान खरीद के मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया। इस धरने में केसीआर के साथ किसान नेता राकेश टिकैत भी मौजूद रहे। राकेश टिकैत उत्तर प्रदेश के ही किसान नेता हैं। हालांकि विधान सभा चुनाव में जनता ने राकेश टिकैत को ठुकरा दिया है।
सीएम केसीआर ने कहा कि मैं हाथ जोड़कर केंद्र सरकार से कहता हूं कि कृपया हमारा अनाज खरीद लें। हम आपको 24 घंटे का वक्त देते हैं। इसके बाद हम अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है। इतना ही नहीं केसीआर ने यह भी कहा कि हम किसी भी हाल में किसानों को एमएसपी दिलाकर रहेंगे।
इसलिए योगी सरकार ने किसानों को लेकर जो बड़ा कदम उठाया है उसके बेहतर नतीजे मिल सकते हैं। यूपी सरकार एक वर्ष में विकास खंडवार 825 एफपीओ स्थापित करने जा रही है, इसके लिए 354.75 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है। इससे एक तरफ किसानों के प्रति सरकार का दायित्व पूरा होगा और दूसरी तरफ किसानों को उनकी फसल का और बेहतर मूल्य मिलेगा। बिचैलियों से भी मुक्ति मिलेगी।
इससे प्रदेश के 4 लाख किसानों को लाभ पहुंचेगा। साथ ही 100 दिनों में प्रत्येक विकासखंड में एक विशेष फसल का लाभ मिलेगा।
एफपीओ यानी किसान उत्पादक संगठन किसानों का एक समूह है, जो कृषि उत्पादन करता हो और खेती-किसानी से जुड़ी व्यावसायिक गतिविधियां भी चलाएगा। एफपीओ के माध्यम से सामूहिक खेती को बढ़ावा मिलेगा और किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए बाजार आसानी से उपलब्ध होगा
एफपीओ के तहत संगठित रूप से खेती करने के लिए सरकार सहायता भी उपलब्ध कराएगी, जिससे एक साथ खाद, बीज, दवाइयां और कृषि उपकरण खरीदने में आसानी होगी. इसके अलावा प्रोसेसिंग यूनिट और स्टोरेज की व्यवस्था की जा सकती है और फसल की अच्छी कीमत प्राप्त की जा सकती है। अगर किसान अकेले अपनी फसल को
बेचने जाता है तो उसका फायदा बिचैलिया उठाता है। एफपीओ व्यवस्था में बिचैलिये नहीं होंगे, इसलिए किसानों को उनके उत्पाद की अच्छी कीमत मिलेगी। इससे किसानों की शक्ति भी बढ़ेगी। इसके साथ ही प्रदेश सरकार 100 दिनों में हर विकासखंड के लिए विशेष फसल का चयन करने जा रही है, जिससे खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। (हिफी)

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