लेखक की कलमसम-सामयिक

सुखद: महानगरों में अपराध कम

 

महानगरों में पिछले साल से 10.4 फीसद क्राइम कम हुआ है। देश के 19 महानगरों में 2021 (952273 केस टोटल) के मुकाबले क्राइम रेट 10.4 फीसद घटा है। 2022 में यह आंकड़ा 8 लाख 53 हजार 470 रहा है। इन शहरों में अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, कोयंबटूर, दिल्ली, गाजियाबाद, हैदराबाद, इंदौर, जयपुर, कानपुर, कोच्चि, कोलकाता, कोझिकोड, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, पटना, पुणे और सूरत शामिल हैं।

देश के महानगरों में क्राइमरेट दस प्रतिशत कम हुआ है लेकिन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली अभी भी महिलाओं के लिए एक असुरक्षित शहर है। वहीं तमाम प्रयासों के बाद भी उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ होने वाली आपराधिक वारदातों में कोई कमी नहीं आई है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की 2022 की रिपोर्ट सरकारी दावों की हकीकत बयान करती है। इस रिपोर्ट पर गौर करने पर पता चलता है कि राजधानी दिल्ली महिलाओं के लिए आज भी सबसे असुरक्षित शहर है। यहां 2022 में एक दिन में 3 रेप हुए हर घंटे 51 रिपोर्ट दर्ज की गई। हालांकि महानगरों में अपराध दर दस फीसदी तक कम हुई है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने 2022 की रिपोर्ट रविवार 3 दिसंबर को जारी कर दी है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित शहर है। यहां 2022 में एक दिन में 3 रेप केस दर्ज किए गए। एनसीआरबी की 546 पेज की रिपोर्ट में बताया गया कि देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4 लाख 45 हजार 256 केस दर्ज किए गए, यानी हर घंटे लगभग 51 एफआईआर हुईं। 2021 में यह आंकड़ा 4 लाख 28 हजार 278 था। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 की तुलना में महिला अपराधों में 4 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। वहीं 2022 में 28 हजार 522 मर्डर केस दर्ज हुए यानी हर दिन 78 हत्याएं हुईं।

जब देश में 4 राज्यों के चुनाव परिणाम चर्चा में थे, उस दिन रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि देश में बच्चों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और साइबर क्राइम बहुत ज्यादा बढ़े हैं। आपको बता दें कि हाल ही में एनसीआरबी रिपोर्ट में सामने आया है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर (प्रति 1 लाख जनसंख्या पर घटनाओं की संख्या) 2021 में 64.5 फीसद से बढ़कर 2022 में 66 फीसद हो गई है। इसमें से 2022 के दौरान 19 महानगरों में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 48 हजार 755 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 (43 हजार 414 केस) की तुलना में 12.3 फीसद ज्यादा हैं।
2022 में महिला अपराध में 65 हजार 743 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश टॉप पर है। इसके बाद महाराष्ट्र (45331 केस) और राजस्थान (45058 केस) पश्चिम बंगाल (34738 केस) और मध्य प्रदेश (32765 केस) का नंबर हैं।

एनसीआरबी की रिपोर्ट के तथ्यों के अनुसार भारतीय दंड संहिता और विशेष और स्थानीय कानून के तहत रजिस्टर्ड क्राइम में कमी आई है। रिपोर्ट के मुताबिक प्रति लाख जनसंख्या पर रजिस्टर क्राइम रेट 2021 में 445.9 से घटकर 2022 में 422.2 हो गए हैं। 2022 में 58 लाख 24 हजार 946 अपराध दर्ज किए गए, जिनमें 35 लाख 61 हजार 379 भारतीय दंड संहिता और 22 लाख 63 हजार 567 विशेष और स्थानीय कानून अपराध शामिल हैं। 2021 में यह आंकड़ा 60,96,310 रजिस्टर्ड केस का था। इसमें 2 लाख 71 हजार 364 यानी 4.5 फीसद की कमी आई है।
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो बताता है कि 2022 में 18 साल से कम उम्र के 10 हजार 295 बच्चों ने आत्महत्या की। इनमें लड़कों की संख्या 4616 थी, जबकि लड़कियों की संख्या 5588 थी। 2 हजार से ज्यादा परीक्षार्थियों ने परीक्षाओं में फेल होने के कारण आत्महत्या की।

यहां यह भी गौरतलब है कि महानगरों में पिछले साल से 10.4 फीसद क्राइम कम हुआ है। देश के 19 महानगरों में 2021 (952273 केस टोटल) के मुकाबले क्राइम रेट 10.4 फीसद घटा है। 2022 में यह आंकड़ा 8 लाख 53 हजार 470 रहा है। इन शहरों में अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, कोयंबटूर, दिल्ली, गाजियाबाद, हैदराबाद, इंदौर, जयपुर, कानपुर, कोच्चि, कोलकाता, कोझिकोड, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, पटना, पुणे और सूरत शामिल हैं। हालांकि यह एक बेहतर संकेत है लेकिन इतना भर पर संतोष करना स्वयं को धोखा देने जैसा है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ अपराध के रजिस्टर मामलों की संख्या 2021 में 428,278 की तुलना में 2022 में 4 प्रतिशत बढ़कर 445,256 हो गई। 20 लाख से ज्यादा आबादी वाले मेट्रो शहरों में, 2022 में ऐसे अपराधों की वृद्धि 12.3 प्रतिशत बढ़कर 48,755 हो गई।

राज्यों की बात करें, तो उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध दर्ज किए गए। पिछले साल यूपी में ऐसे मामलों की संख्या 56,083 थी। “भारत में अपराध 2022” रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में, यूपी में 49,385 ऐसे मामले दर्ज किए गए थे। 2022 में, यूपी के बाद महाराष्ट्र (45,331 मामले) और राजस्थान (45,058 मामले) थे। आंकड़ों से पता चला कि भारत के ज्यादातर राज्यों में महिलाओं के खिलाफ मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है।
केंद्र शासित प्रदेशों में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध दिल्ली शहर में 14,158 दर्ज किए गए। इसके बाद मुंबई में 6,176 मामले और बेंगलुरु में 3,924 मामले थे।

रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में शहर में प्रति 100,000 महिलाओं पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के 239.3 मामले दर्ज किए गए। इसके बाद दिल्ली में 186.9 और इंदौर में 174.3 मामले दर्ज किए गए।राज्यों में, महिलाओं के खिलाफ अपराध की सबसे ज्यादा दर हरियाणा (118.7) में दर्ज की गई, इसके बाद तेलंगाना (117) और राजस्थान (115.1) का स्थान है। कुल मिलाकर, 2022 में अपराध दर 66.4 थी, जबकि 2021 में यह 64.5 थी।

भारतीय दंड संहिता के तहत महिलाओं के खिलाफ अपराध के ज्यादातर मामले “पति या उसके घरवालों द्वारा क्रूरता” (31.4 प्रतिशत) कैटेगरी के तहत दर्ज किए गए थे। इसके बाद “महिलाओं की किडनैपिंग” (19.2 प्रतिशत), “महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से हमला” (18.7 प्रतिशत), और “बलात्कार” (7.1 प्रतिशत) का नंबर आया।
यह एक चिंता जनक पहलू है कि मोदी सरकार की महिलाओं के सम्मान व सुरक्षा के तमाम प्रयास व दावों के बाद भी हकीकत में बड़ा बदलाव नहीं आ सका है। हालांकि यह तर्क भी मायने रखता है कि अब तमाम मामले दर्ज किए जा रहे हैं पहले की तरह रिकार्ड सही दिखाने के लिए मामलों को दर्ज नहीं करने की ट्रेन्ड टूट रही है। तथापि इस दिशा में अभी बहुत काम करने की जरूरत है साथ ही जरूरत इस बात की है कि सरकारी प्रयासों को घनीभूत कर महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों के ग्राफ को कम करने के लिए प्रयास किया जाए! ताकि सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने का सपना पूरा हो सके। (हिफी)

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)

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